जयपुर। राजस्थान पत्रिका के कम्प्यूटर विभाग में डिज़ायनर पद पर रहे विमल सिंह तंवर ने 18 जुलाई 2013 को संस्थान से इस्तीफा दे दिया था। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के लागू होने के बाद उन्हे उम्मीद थी कि पत्रिका प्रबंधन उन्हे एरियर व अन्य लाभ दे देगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विमल ने पत्रिका के संपादक, मुद्रक व प्रकाशक के नाम नोटिस भेज कर सात दिनों के अन्दर नए वेज बोर्ड के हिसाब से बकाया भुगतान की मांग की है। तय सीमा में भुगतान न होने पर वे न्यायालय की शरण लेंगे।
राजस्थान पत्रिका जयपुर के संपादकीय विभाग में चीफ सब एडिटर रहे राकेश कुमार ने भी अपने बकाए भुगतानो के लिए पत्रिका प्रबंधन को नोटिस भेजा है। राकेश ने 02 जुलाई को पत्रिका से इस्तीफा दे दिया था। प्रबंधन को बकाए भुगतान के लिए सात दिन का समय दिया गया है। भुगतान नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने पर पत्रिका प्रबंधन और संपादकों के खिलाफ अवमानना याचिका लगाई जाएगी। इसके लिए राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में पत्रकारों की तरफ से पैरवी करेंगे।
सूचना है कि राजस्थान पत्रिका में कार्यरत कुछ वर्तमान और पूर्व पत्रकारों ने भी प्रबंधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। इन पत्रकारों ने पत्रिका प्रबंधन की तरफ से वेजबोर्ड नहीं लेने संबंधी परिपत्र पर हस्ताक्षर नहीं करके बहादुरी दिखाई थी। इनमें से कुछ पत्रकारों ने दूर-दराज़ किए गए तबादलों के चलते इस्तीफा दे दिया है। इस समय पत्रिका प्रबंधन में गहरा मंथन चल रहा है। प्रबंधन देश के हाईकोर्ट व लेबर कोर्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट में लग रही हर याचिका को मंगवा रहा है और अपनी लीगल टीम से राय-मशविरा कर रहा है।
भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।
sanj
July 20, 2014 at 12:14 pm
आपने बडा अच्छा काम किया है। मजीठिया काे लागू कराने के लिए आपका कदम मील का पत्थर होगा। पत्रकार व गैर पत्रकारों का प्रबंधन द्वारा किए जा रहे शोषण के विरूद्ध उठे इस आवाज के साथ हम हें।
मुकेश कुमार
July 22, 2014 at 7:08 am
अापके कदमों का स्वागत है। कुछ करेंगे तो ही कुछ हाथ अाएगा। गु़डलक……।