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महाराष्ट्र के श्रम मंत्री के पास पत्रकारों से मीटिंग का टाइम नहीं, मजीठिया मामले में दूसरी बैठक भी स्थगित

भड़ास के जरिये क्लेम फाइल करना ही एकमात्र विकल्प

मजीठिया मामले में महाराष्ट्र में लगता है पत्रकारों के अच्छे दिन नहीं आने वाले हैं। महाराष्ट्र के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता को अपने ही राज्य के पत्रकारों से गुरेज हो गया है। राज्य के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन और सुविधाओ से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड को अमल में लाने के मामले में चुप्पी साध ली थी। विपक्ष ने जब इस मामले को विधान सभा में उठाया तो मंत्री महोदय ने आनन फानन में पत्रकारों और प्रबंधन तथा कामगार विभाग की 20 अप्रैल को बैठक बुलाने का एलान किया।

<p><span style="font-size: 18pt;">भड़ास के जरिये क्लेम फाइल करना ही एकमात्र विकल्प</span></p> <p>मजीठिया मामले में महाराष्ट्र में लगता है पत्रकारों के अच्छे दिन नहीं आने वाले हैं। महाराष्ट्र के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता को अपने ही राज्य के पत्रकारों से गुरेज हो गया है। राज्य के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन और सुविधाओ से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड को अमल में लाने के मामले में चुप्पी साध ली थी। विपक्ष ने जब इस मामले को विधान सभा में उठाया तो मंत्री महोदय ने आनन फानन में पत्रकारों और प्रबंधन तथा कामगार विभाग की 20 अप्रैल को बैठक बुलाने का एलान किया।</p>

भड़ास के जरिये क्लेम फाइल करना ही एकमात्र विकल्प

मजीठिया मामले में महाराष्ट्र में लगता है पत्रकारों के अच्छे दिन नहीं आने वाले हैं। महाराष्ट्र के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता को अपने ही राज्य के पत्रकारों से गुरेज हो गया है। राज्य के श्रम मंत्री प्रकाश मेहता ने पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन और सुविधाओ से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड को अमल में लाने के मामले में चुप्पी साध ली थी। विपक्ष ने जब इस मामले को विधान सभा में उठाया तो मंत्री महोदय ने आनन फानन में पत्रकारों और प्रबंधन तथा कामगार विभाग की 20 अप्रैल को बैठक बुलाने का एलान किया।

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पत्रकार यूनियनों को बाकायदे एक आमंत्रण पत्र भी भेजा गया। पत्रकार खुश हो गए। मीटिंग की तैयारी होने लगी। मीटिंग का एजेण्डा बनाया गया। मगर अचानक कामगार विभाग से पता चला मीटिंग 20 को नहीं बल्कि 21 अप्रैल को हॉगी। साथ में चाय और नाश्ता भी मिलेगा। पत्रकार बेचारे मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन पाने के लिए नागपुर औरंगाबाद और पुणे तथा राज्य के दूसरे हिस्सों से धक्का खाते हुए होटल में रुके। नहाकर मीटिंग में जाने की तैयारी ही कर रहे थे तभी पता चला की श्रम मंत्री प्रकाश मेहता जी को कोई जरूरी काम आ गया इसलिए आज की पत्रकारो की मीटिंग कैंसिल है। यानि पत्रकारो से मीटिंग मंत्री जी की नजर में जरूरी काम नहीं था। साफ़ साफ़ कहूँ तो हम सुप्रीम कोर्ट में केस जीत चुके हैं लेकिन इन मंत्रियों के भरोसे रह कर केस हारने वाले हैं।

दोस्तों अब एक मात्र विकल्प यही बचा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता उमेश शर्मा जी और भड़ास के यशवंत जी द्वारा आयोजित 30 अप्रैल के दिल्ली के सेमीनार में भाग लें और अपना क्लेम फ़ाइल तैयार कराएं। याद कीजिये जब किसी यूनियन ने आपका साथ नहीं दिया था तब सामने यही लोग आये थे और हम केस जीते भी। अब एरियर पाने के लिए भी भड़ास पर भरोसा करना पड़ेगा। अभी नहीं तो कभी नहीं।

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शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट

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0 Comments

  1. Sandy

    April 21, 2016 at 3:59 pm

    Sir, aapne meeting aise time par rakhi hai ki chahkar bhi nahi aa sakta…mahine ki aakhri tareekh jab sabki jebein khali hoti hain aise mai koun 1100/- Rs. aur aane,jane,khane,peene ka kharcha utha payega.aap log hum logo ki paristhiti jante ho ki salary aane se pehle itne kharche taiyaar hote hain ki salary milne ke 2 din baad hi jeb khali ho jati isliye aapse request hai ki seminaar ki date bhadhane ki kripa karien….

  2. Rahi MK

    April 21, 2016 at 7:01 pm

    Ye to hona hi thha….! Jab Bhadas par kuchh dino pahley padha tha ki Maharashtra ke Shram Mantri Itney badey kadam uthaney jaa rahey hain, to wahin par ek jhatka lagaa tha.. Par Lagaa ki ye BJP (Baniya Party) waley lagta hai thoda workers par bhi dhyan dene lagey hain aur inhein kuchh-2 Sadbuddhi aa gai hai.. Par hua wahi, jo dil keh raha thha…. Ye Baniyon (Adani, Ambani aur bhi jitney ssaaley baniye hain) ka Pet (Udar) pahley bharenge, baad me jo bhi hoga dekha jayega… Abhi to lagbhag “Dhai Saal” bachey hi hain… Satta abhi thodey hi Chhin rahi hai….
    Modi ji ke Ghar hi ab logon ko chal kar dharna dena padega, aisa lagta hai…..

  3. Kashinath Matale

    April 22, 2016 at 9:47 am

    Dear,
    It is the only way to file the CLAIM.
    Ministers are under pressure of newspaper owners. Majority employees are also afraid / under pressure from their employers/seniors. They wants only shortcut.
    If really they wanted to fight legally, they put the claim before the concerned authority.
    Ummed karta hu ki minister ke meeting me kuchh achha ho jay.
    Parntu bharosa nahi hai. Aur Isse khuchh honewala bhi nahi hai.

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