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मजीठिया मामला : प्रताड़ना से परेशान हिन्दुस्‍तान के पत्रकार ने की आयोग से शिकायत

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में हिन्दुस्तान प्रबंधन  द्वारा परेशान किये जाने से तंग आकर गोरखपुर के पत्रकार सुरेन्द्र बहादुर सिंह ने एक पत्र मानवाधिकार आयोग को भेजा है। इस पत्र की मूल प्रति श्रम आयुक्त कार्यालय और वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक को भी भेजी गयी है। पत्र को पढ़ने के बाद साफ तौर पर लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में अब भी श्रम आयुक्त  कार्यालय और उसके अधिकारी सुधरे नहीं हैं। नीचे सुरेंद्र का मानवाधिकार आयोग को भेजा गया पत्र…


 सेवा में

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श्रीमान श्रमायुक्त
उत्तर प्रदेश
कापी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर व मानवाधिकार आयोग

महोदय,

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मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन निर्धारित किये जाने तथा इससे संबंधित अब तक का एरियर व अन्तरिम राहत पाने के लिए 19/07/2016 को जिला श्रम आयुक्त गोरखपुर को संबोधित पत्र लिखकर गोरखपुर स्थित श्रम कार्यालय में जमा किया था। पद की सही जानकारी न होने से मैंने जिला श्रम आयुक्त लिखा था, मेरा आशय उप श्रमायुक्त गोरखपुर को संबोधित करना था। इसके अलावा यूपी के चीफ सेक्रेटरी को एक जुलाई को मेल तथा दो जुलाई को स्पीड पोस्ट कर चूका हूँ

इस बारे में जानकारी होने के बाद से अखबार प्रबंधन मुझे किसी न किसी तरह से परेशान कर रहा है। माँ की  तबीयत ख़राब होने पर उसे देखने के लिए 24 और 25 जुलाई तथा पारिवारिक कारणों से दो से लेकर छह अगस्त तक छुट्टी पर जाने के लिए मैंने आवेदन किया था। डेस्क इन्चार्ज और एनई की सहमति से चला गया था। इन्होंने मेरा मेल भी फॉरवर्ड किया था। वहीं तबीयत ख़राब होने पर 19,20 और 21 अगस्त को नहीं आ सका था। इसके सम्बंध में छुट्टी के लिए आवेदन किया था। शुरुआती छुट्टियों के लिए कई बार मैंने रिमाइंडर भी भेजा पर आज तक उस पर विचार नहीं किया गया। इन दोनों मेल की कापी भी संलग्न कर रहा हूँ। 

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मेरे द्वारा क्लेम किये जाने कि जानकारी होने पर आफिस से कई साथी  5 सितम्बर 2016 को उप श्रमायुक्त के पास 17(1) के तहत क्लेम करने गये थे। उप श्रमायुक्त ने कहा की हिंदुस्तान अख़बार मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों से ज्यादा पैसा दे रहा है। उल्टे श्रम कार्यालय के लोगों ने प्रबंधन को इसकी सूचना दे दी और एचआर मेनेजर मो. आसिक लारी मौके पर पहुँच  गये। उन्होंने स्थानीय संपादक सुनील द्विवेदी को सूचित कर दिया। संपादक ने एक-एक साथी को अलग-अलग केबिन में बुलाकर फटकार लगायी, जिससे वे इस मामले से पीछे हट गये और  अब वे मुझे देख कर दूसरी तरफ मुंह कर लेते हैं।

दूसरी यूनिटों में काम कर रहे  साथियों के माध्यम से पता चला कि वहां पर श्रम विभाग की ओर से मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ दिलाने से संबंधित फार्म भराया गया है तो उसे मंगाकर मैं भी 12/09/2016 को भरकर श्रम कार्यालय के आफिस में जमा करने गया था। वहां पर एक महिला तथा छोटेलाल नाम के कर्मचारी ने फ़ार्म कि रिसीविंग देने की जगह पर श्रम कार्यालय के अधिकारी श्री सियाराम जी को फोन कर दिया। सियाराम जी ने फ़ार्म लेने से रोक दिया और बोले मैं आऊंगा तो देखूँगा, जिससे डरकर मैं वहां से चला गया और रजिस्ट्री के माध्यम से श्रम आयुक्त तथा उप श्रमायुक्त को इसे भेज दिया। इसके बाद मुझे हदस होने लगी कि संपादक जी शाम को मुझे किसी न किसी बहाने फटकार लगायेंगे।

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शाम को आफिस में जाने पर संपादक किसी न किसी बहाने तीन-चार बार केबिन में बुलाते रहे व मेरी समीक्षा व पेज प्लानिंग पर मुझे भला बुरा कहते रहे।  इसी दौरान उन्होंने मेरे द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ पाने के लिए लड़ी जा रही लड़ाई कि खिल्ली उड़ाई। मेरे सामने ऐसी स्थिति पैदा की  जा रही है कि आत्महत्या कर लूं या रिजाइन दे दूं। इस परेशानी, नौकरी छुटने के डर तथा संपादक के दुर्व्यवहार से बहुत आहत हूँ। इस तनाव में मुझे 5,6 और 7 सितम्बर कि रात नींद न के बराबर आई। 5 तारीख से पहले मुझे 3 जिलों के पूल में सेकंड इन्चार्ज के तौर पर रखा गया था, पर व्यवहार में सेकंड इन्चार्ज नहीं समझा जाता था। खबरों से संबंधित किसी भी प्लानिंग में मेरी भूमिका नगण्य रहती थी। मुझे ज़रा भी महत्व नहीं दिया जाता था। कुछ पूछने के लिए पूल इन्चार्ज को बुलाते थे। स्टोरी प्लानिंग व पेज प्लानिंग चीफ कापी एडिटर से कराते थे। मीटिंग में भी मुझे नहीं बुलाया जाता था। यहाँ पर आठ घंटे काम लिया जाता है। नाइट शिफ्ट के लिए अलग से पैसे नहीं मिलते।

5 तारीख को मजीठिया के लिए 17(1) का फ़ार्म जमा करने के लिए साथियों के साथ जाने पर संपादक का व्यवहार बहुत आक्रामक हो गया है। उनकी कोशिश रहती है कि सारी गलतियां  मेरे सर मढ दी जायें। इसके चलते मुझे 5,6 7 सितम्बर को घबराहट होती रही। इन तीन दिनों में मुझे खाना अच्छा नहीं लगा। हर समय बुखार महसूस होता रहा और पतली दस्त कई बार हुई। 7 तारीख की रात ऐसा लगा कि मेरा सिर फट जायेगा। मेरी बेटी ने सिर दबाया तो कुछ राहत मिली। ऐसी स्थिति में संभव है कि मेरा हार्ट अटैक हो जाये। मजीठिया वेज बोर्ड के लिए क्लेम करने से नाराज़ प्रबंधन मुझे जान से मरवाने की कोशिश कर सकता है। मुझे अपने अख़बार के स्थानीय संपादक सुनील द्विवेदी व प्रधान संपादक शशिशेखर से जान का खतरा है।   

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भवदीय

 सुरेन्द्र बहादुर सिंह

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सीनियर कापी एडिटर
हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड,बरगदवा, सोनौली रोड    गोरखपुर (इम्प्लाई  कोड M77284)

मेरा पता
सुरेन्द्र बहादुर सिंह C/O डा० डी०एन० सिंह(पुलिस इंस्पेक्टर)
336 क्यूक्यू वैभव नगर कालोनी, भाटीविहार, नियर चंद्रा पेट्रोल पंप, गोरखपुर 273015

फोन न० – 8858371279
मेल ऐड्रेस [email protected]

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0 Comments

  1. neeraj

    September 16, 2016 at 1:59 pm

    bahut sahi kiya

  2. Abhipal

    September 18, 2016 at 7:00 am

    Ye print media wale na court se dar Rahe na case se.
    Labour officer bhi bas Khana purti karne me Lage hai.iss case k bas ek hi Tasha hai media Maliko ko jail.

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