मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश महाराष्ट्र में लागू कराने के लिये बनायी गयी त्रिपक्षीय समिति की बैठक में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त यशवंत केरुरे ने अखबार मालिकों के प्रतिनिधियों को स्पष्ट तौर पर कह दिया कि 19 जून 2017 को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आये फैसले के बाद अखबार मालिकों को बचने का कोई रास्ता नहीं बचा है। अखबार मालिकों को हर हाल में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू करनी ही पड़ेगी। श्री केरुरे ने कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट ने जो आदेश जारी किया है उसको लागू कराना हमारी जिम्मेदारी है और अखबार मालिकों को इसको लागू करना ही पड़ेगा। इस बैठक की अध्यक्षता करते हुये कामगार आयुक्त ने कहा कि अवमानना क्रमांक ४११/२०१४ की सुनवाई के बाद माननीय सुप्रीमकोर्ट ने 19 जून 2017 को आदेश जारी किया है जिसमें चार मुख्य मुद्दे सामने आये हैं। इसमें वर्किंग जर्नलिस्ट की उपधारा २०(जे), ठेका कर्मचारी, वेरियेबल पे, हैवी कैश लॉश की संकल्पना मुख्य थी।
कामगार आयुक्त ने कहा कि अखबार मालिक २० (जे) की आड़ में बचते रहे हैं जबकि १९ जून २०१७ के आदेश में सुप्रीमकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि सभी श्रमिक पत्रकार और पत्रकारेत्तर कर्मचारी आयोग की तरह वेतन पाने के पात्र हैं। सुप्रीमकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस आयोग का अधिक लाभ यदि एकाद कर्मचारी को मिल रहा हो तो भी अधिक से अधिक कर्मचारी इसके लाभ के पात्र हैं। ठेका कर्मचारी के मुद्दे पर उन्होने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उक्त अधिनियम की धारा २(सी), २ (एफ) और २(डीडी ) में दिये गये वर्किंग जर्नलिस्ट एंड नान जर्नलिस्ट न्यूज पेपर इम्पलाईज की व्याख्या के अनुसार तथा मजीठिया वेतन आयोग की शिफारिश के अनुसार स्थायी और ठेका कामगार में फर्क नहीं है। सुप्रीमकोर्ट का मानना है कि सभी ठेका कर्मचारी को मजीठिया वेतन आयोग की शिफारिश के अनुसार वेतन देने की सीमा में शामिल नहीं किया गया है। वेरियेबल पेय के मुद्दे पर उन्होने कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट ने इस मुद्दे पर स्पष्ट किया है कि केन्द्र शासन ने केन्द्र शासन के कर्मचारियोें के लिये ६ वें वेतन आयोेग की तर्ज पर मजीठिया वेतन आयोग ने देश के श्रमिक पत्रकार और पत्रकारेत्तर कर्मचारियों के लिये वेरियेबल पे की संकल्पना की है। भारी वित्तीय घाटे के मुद्दे पर श्री केरुरे ने माननीय सुप्रीमकोर्ट द्वारा लिये गये निर्णय को त्रिपक्षीय समिति को बताया।
इस दौरान नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट (एनयूजे) महाराष्ट्र की महासचिव शीतल करंदेकर ने अध्यक्ष यशवंत केरुरे का ध्यान दिलाया कि अखबार मालिक फर्जी एफीडेविट दे रहे हैं। साथ ही लोकमत और सकाल अखबारों में अखबार मालिक मजीठिया वेज बोर्ड मांगने वालों की छंटनी कर रहे हैं। इस पर यशवंत केरुरे ने तीखी नाराजगी जतायी और कहा कि अखबार मालिक ऐसा नहीं कर सकते। मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन हर मीडियाकर्मी का अधिकार है और ये अधिकार उन्हें सुप्रीमकोर्ट ने दिया है। उन्होंने कहा कि कई अखबार मालिकों की ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि वे मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन मांगने वाले कर्मचारियों को शोषण कर रहे हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इस बैठक में कामगार आयुक्त ने कहा कि किसी भी मीडियाकर्मी को मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन मागने पर अगर तबादला या परेशान किया गया तो वे इस मामले को निजी तौर पर भी गंभीरता से लेंगे।
शीतल करंदेकर ने इस दौरान एक अन्य मुद भी उठाया जिसमें अखबार मालिकों द्वारा जानबूझ कर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करना शामिल है। कामगार आयुक्त ने इस दौरान मालिकों के प्रतिनिधियों की बातों को भी समझा और आदेश दिया कि वे प्रेस रीलिज जारी करने जारहे हैं ताकि हर अखबार मालिक मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू करें। इस बैठक में बृहन्मुंबई जर्नलिस्ट यूनियन (बीयूजे) के एम जे पांडे, इंदर जैन आदि के अलावा वरिष्ठ लेबर अधिकारी श्री बुआ और सहायक कामगार आयुक्त शिरिन लोखंडे आदि भी मौजूद थीं। कामगार आयुक्त ने इस दौरान यह भी कहा कि अखबार मालिक अपनी अलग अलग यूनिट दिखा रहे हैं और बचने का रास्ता खोज रहे हैं तथा २ डी एक्ट का उलंघन कर रहे हैं। यह नहीं चलेगा। सुप्रीमकोर्ट ने इसपर भी व्याख्या कर दी है। बीयूजे के एम जे पांडे ने कहा कि आज अखबार मालिक क्लासिफिकेशन के नाम पर बचते आरहे हैं और उनकी आयकर विभाग से बैलेंससीट मंगाने की जरुरत है इस पर उन्होने कहा कि हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इंदर जैन ने भी मीडियाकर्मियों का पक्ष रखा।
शशिकांत सिंह
पत्रकार, आरटीआई एक्सपर्ट और मजीठिया सेल समन्वयक (एनयूजे महाराष्ट्र)
९३२२४११३३५
Kashinath Matale
July 24, 2017 at 11:40 am
Cases ki hearing jaldi honi chahiye.
ALC me bahot time laga.
Ab IC me timepass ho raha hai.
Raj Alok Sinha
August 26, 2017 at 6:42 pm
यदि कोई मीडिया संस्थान संपादकीय विभाग में कार्यरत पत्रकार को नियुक्ति पत्र दिए बिना कार्य करवाती है तो वह कर्मचारी क्या मजीठिया के लिए क्लेम कर सकता है?