देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए श्रम आयुक्त कार्यालयों ने रिकवरी के लिए आरसी काटने का काम शुरू कर दिया है। जिन मीडिया कर्मियों के पक्ष में फैसला आया है, उनका सवाल है कि वे आरसी कटने के बाद क्या करें। इस पर मजीठिया वेज बोर्ड मामले में पत्रकारों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा ने काफी महत्वपूर्ण सलाह दी है।
उन्होंने कहा कि जिन अखबार मालिकों के खिलाफ आरसी कटी है पहले उन मालिकों के बैंक खाते सील कराइये। श्री उमेश शर्मा ने कहा है कि आरसी कटने के बाद इसे जिलाधकारी कार्यालय में भेजा जाएगा। वहां लापरवाही होगी और विभाग द्वारा कहा जाएगा कि प्रबंधन को नोटिस भेजा जा रहा है। आप सीधे जिलाधिकारी को कंपनी प्रबंधन के बैंक खाते, गाड़ी और फ्लैट और यहाँ तक कि जिस पर मालिक बैठते हैं उस कुर्सी का भी डिटेल दीजिये और कहिये बैंक खातों को सील कराइये।
बैंक खातों को सील कराने के लिए जिलाधिकारी एक पत्र सम्बंधित बैंक को लिखेंगे और बैंक मैनेजर खाता सील कर देंगे। उसके बाद खुद ब खुद मालिक आपके बकाये को क्लीयर करने को मजबूर हो जायेंगे क्योंकि उनकी गाड़ी तक कब्जे में ले ली जायेगी। यहाँ तक कि अखबार मालिक जिस कुर्सी पर बैठते हैं उसे भी कब्जे में ले लिया जाएगा जो कि मालिक कभी नहीं चाहेगा कि ऐसा हो।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335
mm
October 22, 2016 at 5:29 pm
Shrikant ji, aap aur apkey Umesh Sharma ji bhi humlogon ko khoob bahlaatey hain… Aapko kya lagta hai, ki aap Ziladhikari se kahenge ki falaan-2 malikon ki car, kursi tak jabt ker lijiye aur aapki baat wo ziladhikari SC ka order maanker Jabt ker lega….! Arrey bhaiyye, jab ye tuchhey malikon ko Supreme Court ka koi bhai (Darr) nahin hai, to ye bhalaa ziladhikari ko kya samjhenge….!
Ghalib ka ek Sher hai, jiski pahli pankti main bhool raha hoon… wo iss tarah hai…ki
“Dil ko bahlaaney ka Ghalib…
Khayaal Achhha hai….”
Regards
N.B.: Waisey main jaanta hun ki meri ye post bhadas par nahin aayegi… Fir bhi bhej raha hun. Yashvant ji ek nishpaksh patrakar hain, ye sochkar…..
अरुण श्रीवास्तव
October 23, 2016 at 5:39 pm
शशिकांत भाई , मोदी की केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारों को छोडि़ये केरल और त्रिपुरा की वामपंथी सरकार भी ऐसा कदम नहीं उठा पाएंगी।
lovely
October 25, 2016 at 2:22 am
बात परियों की कहानी जैसी लगती है ,अछि लगती है लकिन नामुमकिन।