बांग्ला भारत चैनल के एडिटर इन चीफ उमेश कुमार ने चैनल लांच के तुरंत बाद अपनी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम द्वारा वेस्ट बंगाल सरकार के कई मंत्रियों-विधायकों के करप्शन का स्टिंग करा लिया. इस स्टिंग के डिटेल उन्होंने प्रेस क्लब आफ इंडिया, दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को जारी किया. इस स्टिंग के सामने आते ही पश्चिम बंगाल सरकार बजाय अपने भ्रष्टाचारियों को बर्खास्त करने के, बदले की भावना में ‘शूट द मैसेंजर’ की कुनीति पर काम करने लगी.
स्टिंग करने वाली टीम के खिलाफ धड़ाधड़ फर्जी एफआईआर दर्ज कर लिए गए. एक खोजी पत्रकार को वेस्ट बंगाल पुलिस यूपी में घुसकर उठा ले गई. उमेश कुमार समेत बाकी सभी पत्रकार सरकारी दमन के आगे न झुकने की नीति पर चलते हुए भूमिगत हो गए. उमेश और उनकी टीम हरीश साल्वे समेत कई बड़े वकीलों के जरिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मीडिया के खिलाफ की जा रही मनमानी का मामला उठाया.
उमेश सबसे पहले अपनी टीम के साथियों के लिए सुप्रीम कोर्ट गए. सर्वोच्च अदालत ने बड़ी राहत देते हुए स्टिंग करने वाले पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. इसके बाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के नक्शेकदम पर चलते हुए उमेश कुमार की भी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. इससे लगा कि ममता सरकार पत्रकारों का उत्पीड़न बंद कर देगी पर हुआ उल्टा. कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी पर रोक लगाने के फैसले के बाद ममता सरकार ने उमेश कुमार के खिलाफ कई नए मुकदमे दर्ज कर फिर से गिरफ्तारी के लिए पुलिस की क्राइम ब्रांच, डिटेक्टिव डिपार्टमेंट और एंटी राउडी सेक्शन की टीमें लगा दीं.
कई राज्यों में सत्ताओं-सरकारों से भिड़ंत करते करते और कोर्ट के जरिए सत्ता के दमन के दांतों को चकनाचूर करने वाले उमेश को अनुभवों ने कानूनी विशेषज्ञ बना दिया है. सो, वो फिर से कोलकाता हाईकोर्ट पहुंचे और ममता बनर्जी की पुलिस की अराजकता का मामला उठाया.
सूचना है कि कोलकाता हाईकोर्ट ने बंगाल पुलिस द्वारा उमेश कुमार के खिलाफ नए दर्ज किए गए आधा दर्जन मुकदमों में अग्रिम जमानत दे दी है. हाईकोर्ट ने उमेश व उनकी टीम के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को एक साथ टैग कर इनकी सुनवाई शुरू कर दी है. बताया जाता है ऐसा कम ही होता है जब कोर्ट आरोपियों के खिलाफ सभी मामलों को एक जगह लाकर सबको एक साथ अग्रिम जमानत दे दे. उमेश कुमार की टीम के लिए कोलकाता उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता एसके कपूर, शेखर वसु, राजदीप मजूमदार और दिल्ली करन गोगना ने पैरवी की.
इस तरह उमेश कुमार ने अपनी टीम को और खुद को फिर से राहत दिला दी है लेकिन सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी सरकार इसके बाद शांत बैठ जाएगी या फिर से उमेश और उनकी टीम को बंगाल में घुसकर पत्ररकारिता करने की सजा देने के वास्ते साजिशों के नए चैप्टर लिखने की शुरुआत करेगी?
ममता बनर्जी के मूड-मिजाज को जानने वाले कहते हैं कि ममता बनर्जी नियम-कानून से नहीं बल्कि अपनी सनक के हिसाब से काम करती हैं. उन्होंने अगर कोई गलत या सही चीज ठान ली तो फिर उसे पूरा करके ही मानती हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि उमेश कुमार के लिए आगे भी बंगाल मिशन आसान नहीं रहने वाला है. उन्हें वहां बांग्ला भारत न्यूज चैनल के माध्यम से खोजी पत्रकारिता करने के दौरान शासन-सत्ता की तरफ से भयंकर प्रतिरोध, दमन व उत्पीड़न झेलना पड़ सकता है.
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