राजेश यादव-
पुलिसिया बर्बरता का शिकार हुए मनीष गुप्ता की विधवा मीनाक्षी गुप्ता पुलिस लाइन के एक बंद कमरे में मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात होने के बाद संतुष्ट दिखीं। कल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपने बच्चे का मामा डिक्लेयर करने के बाद अब योगी जी को अभिवावक तुल्य बताकर बयान दिया है। मुआवजा तय हो गया, कितना दिया जाएगा ये अभी साफ नहीं है। कानपुर विकास प्राधिकरण में OSD के पद पर नौकरी भी मिलेगी।
बड़ा सवाल ये है कि सरकार अब तक सभी पुलिसवालों को जेल भेज क्यों नहीं पाई। डीएम एसएसपी भले सरकार के चहेते हैं, पर इंतजाम उनका कब होगा। कब दंडित होंगे।
ज्ञात हो कि एप्पल कम्पनी में कार्यरत विवेक तिवारी की विधवा कल्पना तिवारी एप्पल कंपनी से लगभग 7 लाख रु, यूपी सरकार की तरफ से 25 लाख रु, सरकारी नौकरी, घर और 5- 5 लाख रु की 3 एफडी पा गयीं थी। उसके बाद न्याय की लड़ाई का क्या हुआ, कुछ पता न चला।
अखिलेश सरकार के वक्त ड्यूटी पर शहीद हुए मरहूम जियाउल हक की बेवा डॉक्टर परवीन याद हैं। जिन्होंने सरकार से खूब मोल तोल किया था और बाद में अपने सास ससुर को हिस्सा तक नही दिया। परवीन ने मुआवजा पाने के वावजूद सरकार के पक्ष में बयान नही दिया था।
हम आप यूपी की फेक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस द्वारा मुख्यमंत्री के निर्देश पर ठोंक दिए गए निर्दोष नोयडा के जितेंद्र यादव, पुष्पेंद्र यादव, मेरठ के सुमित गुर्जर, आजमगढ़ के मुकेश राजभर, अलीगढ़ के नौशाद और मुस्तकीम के एनकाउंटर को मुद्दा बनाने से चूक गए।
याद रहे योगी बाबा की ठोंको नीति के बाद बेलगाम हो चुकी यूपी पुलिस ने लगभग 400 फेक एनकाउंटर किये हैं, जिनमे 100 से अधिक निर्दोष मारे गए हैं। यूपी पुलिस अब बाकायदा फर्जी एनकाउंटर की सुपारी उठाती है। बहरहाल हमारी इसी ढिलाई की वजह से मेन स्ट्रीम मीडिया ने भी इन फर्जी एनकाउंटर को कोई खास तवज्जो नही दी वरना इनपर भी लगातार 3 दिन से अखबारों के 3 पन्ने भरे गए होते।
शिवानी कुलश्रेष्ठ-
मनीष गुप्ता की पत्नी ने जाने अनजाने एक बहुत बड़े स्कैम में हाथ डाल दिया है। सोते हुए असुर को छेड़ दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने जिस तरह से जगत नारायण सिंह और तमाम पुलिस कर्मियों को बचाया है, उसके पीछे ऐसा लगता है जैसे सबको अपनी कलई खुलने का डर है।
पुलिसकर्मी इतना सब कुछ करते रहे लेकिन उनको कानून व्यवस्था का डर नहीं लगा। होटल वालों ने खून साफ कर दिया। डीएम एसपी मनीष गुप्ता की पत्नी पर दबाव बनाने लगें कि एफआईआर मत करो। कोर्ट के चक्कर काटने पड़ेंगे। आखिर यह लोग अपनी कौन सी पोल पट्टी खुलने के डर में बचा रहे थे? ये जगत डर क्यों नहीं रहा था?
कानून व्यवस्था का बहुत बुरा हाल है। सरकार चाहे किसी की भी हो लेकिन यह अधिकारी अपना चरित्र नही बदलते। दलाली प्रथा से लेकर अवैध कारनामों तक चीजें हावी है। हमारे पास तो केस आता है। देखते है सुबह से शाम तक कि चल क्या रहा है।
ये जो लोग उचक उचक कर यूपीएससी क्वालीफाई करने वालों का फोटो डाल रहे हैं। यह सब लोग टॉपर होने के बाद यही सब करते हैं। किसको सही कहा जाएं और किसको गलत कहा जाए। समझा पाना मुश्किल है और खुद समझना मुश्किल है।
वरिष्ठ अधिकारी भी ब्लैकमेल होते हैं। भ्रष्टाचार की जड़े नीचे तक फैली है। इसके लिए सिर्फ अधिकारी गलत नही हैं। हम सब गलत है। आम जनता थाने में जाकर खुद पैसा देकर उन लोगों को पैसे की आदत डाल देती है। कभी न्यायपालिका से न्याय नहीं मांगती। ऐसे चढ़ावा चढ़ाती है जैसे बहू की मुंह दिखरौनी में लोग चढ़ावा चढ़ाते हैं।
लोग तो इतने बदमाश हैं कि सच सुनना ही नहीं चाहते। आम जनता कहती हैं कि शिवानी आपके पोस्ट डालने से समाज सुधर जाएगा? फेसबुक पर टाइम वेस्ट करती हो। कुछ लोगों को जातिवाद का कीड़ा ही काटता रहता है। सही बात लिखती हूं। सही सवाल पूछती हूं लेकिन मेरी बातों का किसी के पास जबाव नहीं होता। इसलिए मेरी आलोचना करते हैं। करते रहो मेरी आलोचना, मेरे बाप का क्या जाता है। अभी तो जाने कितने मनीष गुप्ता मरेंगे। सरकार आती रहेगी और जाती रहेगी। कुछ भी बंद नहीं होगा। यह सब कुछ चलता रहेगा क्योंकि हम सुअर है। हमको गंदे नाले में लोटा मारने की आदत है। मैं फिनायल डालकर साफ करना चाहती हूं लेकिन लोगों को तो मेरे लिखने से भी दिक्कत है।
न तो सरकार दोषी हैं और न अधिकारी दोषी हैं। यदि कोई दोषी हैं तो सिर्फ हम दोषी हैं। अपने नौकरों से सवाल नहीं पूछते हैं। नौकर का जो मन आयेगा। वह करेगा। इसमें गलत क्या है?
हर्षित आज़ाद-
दरअसल अमर उजाला से यहां खबर के शीर्षक में त्रुटि हुई है। अमर उजाला शीर्षक में ‘जुटा लेने’ की जगह ‘मिटा लेने’ लिखना चाहता था। आम आदमी होता तो अब तक मुख्यमंत्री एनकाउन्टर करा देते। भारतीय मीडिया और व्हाट्सअप विश्वविद्यालय की वजह से हम हिंसा के प्रति बहुत असंवेदनशील होते जा रहे है।
देश रत्न श्रीवास्तव
October 2, 2021 at 12:39 pm
मुझे दुख है कि तुमने, इस पोस्ट में मृतक की पत्नियों के लालची और सौदे बाज बोला. मरने वाला चला गया, उसको इंसाफ मिले या नहीं मिले ये उसकी पत्नि की जिम्मेदारी नहीं है, ये जिम्मेदारी है समाज की, सरकार की और तुम पत्रकारों की. एक विधवा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है उसके बच्चे, उनका पालन पोषण और उनका सुखी जीवन अपना नहीं. ये बात तुम भी जानती हो, और वो भी की आज से छह महीने बाद तुम्हें शायद मनीष गुप्ता की विधवा की शक्ल तक याद नहीं होगी, उसको न्याय मिला कि नहीं ये बात जेहन से जा चुकी होगी और तुम जैसे कई के उकसाने पर जो लड़ाई वो लड़ना चालू करेगी उससे उसके बच्चे गरीबी, और भूखमरी के दलदल में जा चुके होंगे. सौदेबाजी समझो, लालच समझो या एक मां के अंदर की असुरक्षा की भावना, वो जो भी फैसला ले रही है, जज्बातों में आ कर नहीं, हालातों को समझ के ले रही है और इसका कारण भी वही पति ही है जो अब नहीं रहा और जिसकी विधवा बन, उसके बच्चों को एक गरिमापूर्ण जीवन देने के लिए वो प्रतिबध्द है, किसी सात फेरे के वचन से मजबूर होकर नहीं, पत्नी, माता और प्रेम के फर्ज के अधीन हो कर. लालची वो नहीं तुम हो जो विधवाओं को बदनाम कर अपना प्रचार और मार्केटिंग कर रही हो, कि किसी राजनैतिक दल की गोदी मीडिया या बड़े मीडिया घराने में घुसने का रास्ता खुल सके. तुम्हारी इस पोस्ट और कार्टून के लिए तुमको सौ बार धिक्कार.
देश रत्न श्रीवास्तव,
निशुल्क विधिक सलाहकार,
निष्पक्ष मीडिया फ़ाउंडेशन
अतुल गोयल
October 4, 2021 at 11:22 pm
वो विधवा तो नही बोल सकती पर उसके बारे में आपने जैसे विचार परगट किये हैं उन विचारों के आधार पर तुम जो कर सकते हो क्या वो करोगे या तुम भी कोई बहाना बना कर अपना जमीर बेच दोगे…
अतुल गोयल
October 4, 2021 at 11:23 pm
वो विधवा तो नही बोल सकती पर उसके बारे में आपने जैसे विचार परगट किये हैं उन विचारों के आधार पर तुम जो कर सकते हो क्या वो करोगे या तुम भी कोई बहाना बना कर अपना जमीर बेच दोगे…
सिन्टू
January 7, 2022 at 12:32 am
आपकी पोस्ट ने हमें सोचने को मजबूर कर दिया ? आज के समय में ज्यादातर लोग सिर्फ पैसे से प्यार करते हैं। प्यार का नाटक भर करते हैं । जो DM SSP लाश की सौदेबाजी कर रहे थे। वहीं सबसे बड़े दोषी थे। कोई दरोगा बिना बड़े अधिकारी से मिले भ्रष्टाचार कर ही नहीं सकता। आपने भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी। मैं क्या कहूं।