अनिल सिन्हा-
मयंक भट्ट आज गुजर गया. कनाडा में कैंसर ने उसकी जान ली. मुंबई में जिन सहृदय और गंभीर लोगों से मेरी मित्रता हुई, मयंक उनमें से एक था. एक सधा हुआ पत्रकार और बेहतर इंसान. हमलोग प्रेस कांफ्रेंस, आयोजनों में मिलते रहते थे और लोकल ट्रेन में साथ सफर करते थे. मैं उसके घर भी गया. समाजवादी पृष्ठभूमि हमारी आत्मीयता का एक और आधार थी. उससे संवाद करना सुखद और ऊर्जा भरनेवाला था.
पत्रकारिता से उसका मोहभंग बहुत पहले हो गया था. उसने अमेरिकी दूतवास की नौकरी कर ली थी. मुंबई में जब पोस्टेड हुआ तो उसने अमेरिकी राजदूत फ्रैंक वाइजनर से मिलवाया और उसका इंटरव्यू मैंने जनसत्ता में छापा. भाषायी पत्रकारों को अमेरिकी दूतवास में शायद ही ऐसा प्रवेश मिलता होगा.
मैं ने मुंबई छोड़कर दिल्ली की राह ले ली और हमारा संपर्क टूट सा गया. लम्बे अंतराल के बाद फेसबुक पर उसने मुझे ढूंढ लिया और फिर हमने बात की.
पता चला वह कनाडा में बस गया है. अपनी यात्रा से वह रोमांचित था. वहां की साहित्यिक गतिविधियों का हिस्सा भी बन गया था. दो साल पहले पैंक्रियाज़ के कैंसर से ग्रस्त हुआ तो उसने इसका सामना बहादुरी से किया. वह इससे निकल भी गया था. लेकिन आज उसकी मौत की खबर मित्र Jatin Desai की पोस्ट से मिली. एक पुराने मित्र की मौत से मन दुखी है. उसकी माता जी, पत्नी और बेटे को यह दुःख सहने की ताकत मिले.
जतिन देसाई-
Mayank Bhatt (61), a veteran journalist, passed away in Canada. He worked with many newspapers in India. He also worked with USIS.
He was a good friend. Whenever he used to come to Mumbai we used to meet at the Press Club. He was sympathetic to my work and always concerned. He believed in socialist ideology. His father was also a socialist.
He had a cancer and came out of it. On his experience of fighting cancer, he wrote a brilliant piece. He was a brave.
He wrote a brilliant book Belief. It was on the issue of immigrants. How they live and their struggle. It was translated in Marathi also. It was released at the Press Club. Kumar Ketkar, Sharda Sathe, myself and Mayank spoke.
Personally I lost a dear friend.