Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के नैतिक मूल्यों में आई भयंकर गिरावट

परिचर्चा को संबोधित करते हुए प्रमुख वक्तागण… क्रमश: सांसद चंदूलाल
साहू, विद्युत लोकपाल श्रीमती अनुराधा खरे , कलेक्टर हिमशिखर गुप्ता,
पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह, वरिष्ठ पत्रकार ईश्वर शर्मा, अधिवक्ता अनिल
शर्मा, पत्रकार बाबूलाल साहू, प्रेस क्लब अध्यक्ष आनंदराम साहू।

प्रेस क्लब महासमुंद ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की भूमिका पर आयोजित की परिचर्चा

महासमुंद । आजादी के पूर्व स्वतंत्रता आंदोलन के समय व्यापक जनजागरण और
आजादी के बाद देश के नवनिर्माण के दौर में जनता और शासन के बीच सेतु के
रूप में समाचार पत्रों ने जिस महती भूमिका का निर्वाह किया, उससे राष्ट्र
के जनमानस ने पत्रकारिता को भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में
मान्यता मिली है। समय के साथ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में
भी जिस प्रकार स्थापित मूल्यों में गिरावट आई है, उससे मीडिया भी अछूता
नहीं रहा । आज पत्रकारिता के सामने कई चुनौतियां हैं, किन्तु लोकतंत्र का
सजग प्रहरी के रूप में मीडिया की भूमिका आज भी अहम है और रहेगी। ‘भारतीय लोकतंत्र में चौथे स्तंभ की भूमिका” विषय पर 8 अप्रैल को सर्किट
हाउस लभराखुर्द (महासमुंद) में आयोजित हुई परिचर्चा में उक्ताशय का सार
निकला। यह महासमुंद प्रेस क्लब के इतिहास में संभवत: पहला अवसर है जब
परिचर्चा में लोकतंत्र के चारों स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका,
न्यायपालिका और पत्रकारिता के प्रतिनिधि हस्ताक्षरों को एक मंच पर लाने
का प्रयास हुआ । सभी ने खुलकर अपनी बात कही।

मीडिया के समक्ष विश्वसनीयता की है बड़ी चुनौती- चंदूलाल

महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के सांसद चंदूलाल साहू ने कहा कि मीडिया,
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ तो है ही इसके साथ ही बहुत शक्तिशाली भी है।
किसी को उठा सकता है तो किसी को गिरा भी सकता है। अन्न्ा हजारे के आंदोलन
से हजारों-लाखों लोग मीडिया के माध्यम से ही जुड़ते गए । आजादी के पहले भी
और बाद में भी मीडिया की महती भूमिका रही है। तत्कालीन स्वरूपों में
सनातन काल से मीडिया की महती भूमिका रही है। आज लोकतंत्र के संवैधानिक
स्तंभों में मूल्यों की जो गिरावट है, तब इस दौर में मीडिया का सजग
प्रहरी के रूप में और अधिक विश्वसनीयता के साथ अपनी जिम्मेदारी निभानी
होगी । फेक न्यूज पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया को ही
इसका मुकाबला करना है, क्योंकि विश्वनीयता ही अखबार के प्राण हैं । सांसद
साहू ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की जागरूकता जरूरी है, मीडिया जनता को
जगाने का काम तो करता ही है, शासन और जनता के बीच सेतु के रूप में कार्य
करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पत्रकार की छोटी से गलती से हो जाता है अनर्थ- खरे

सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश और वर्तमान में विद्युत लोकपाल
रायपुर अनुराधा खरे ने कहा कि पत्रकारिता से जुड़े लोग अपनी महत्ता और
भूमिका को स्वयं समझें। आपकी जरा सी गलती बड़ा अनर्थ कर देती है। उन्होंने
उदाहर देकर कहा कि ‘ मेरो तो गिरधर गोपाल, दूजा न कोय । ” इस वाक्य को
लिखते समय यदि पत्रकार से मात्रात्मक त्रुटि हो जाए और लिख दे- ‘ मरे तो
गिरधर गोपाल, दूजा न कोय । ” तो अनर्थ हो जाएगा । हमारी सोच हो कि हम
अपने स्तर पर पूरी लगन से और सही काम करें। ईमानदारी और सजगता के साथ
अपनी जिम्मेदारी निभाएं। जिस प्रकार स्वच्छता पर देशव्यापी अभियान चल रहा
है, और गांवों में भी लोगों में जागरूकता आई है, वह मीडिया की अहम भूमिका
का असर है। उन्होंने मीडिया का जनमानस पर असर का उल्लेख करते हुए कहा कि
एक खबर पढ़ी थी कि अगरबत्ती के बीच में बांस का उपयोग होता है । जिसे
जलाने से हानिकारक वायु निकलता है। इसका मनोमष्तिशक पर इतना गहरा प्रभाव
हुआ कि अगरबत्ती जलाना ही छोड़ दी। इस तरह मीडिया का प्रभाव समाज पर सीधा
पड़ता है।

मीडिया धरातल है, जिस पर टिकी है तीनों स्तंभ- अनिल

Advertisement. Scroll to continue reading.

महासमुंद जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने परिचर्चा में भाग
लेते हुए कहा कि समाज में लोगों को कोई पीड़ा होती है तो शासन-प्रशासन के
पास जाते हैं। कार्यपालिका और विधायिका से जब राहत नहीं मिलती है तब
न्याय के लिए न्यायालय की शरण लेते हैं। किन्तु पिछले दिनों भारत ही नहीं
वरन विश्व के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि उच्चतम न्यायालय के चार
वरिष्ठ न्यायाधीश अपनी पीड़ा बताने के लिए मीडिया से मुखातिब हुए । इससे
स्पष्ट होता है कि मीडिया के धरातल पर ही तीनों स्तंभ विधायिका,
कार्यपालिका और न्यायपालिका टिका है। मीडिया सदैव स्वतंत्र और निष्पक्ष
रही है। लोकतंत्र के सभी स्तंभ संस्थाओं में मूल्यों की गिरावट के साथ
मीडिया में भी विसंगतियां परिलक्षित होती हैं, जिसमें सुधार कर स्वतंत्र,
निर्भीक और निष्पक्षता के मानदंडों पर खरे उतरते हुए भारतीय मीडिया पूरे
विश्व में अपना नाम करेगी।

ऐसी परिचर्चाओं से मीडिया का रहेगा खुद पर अनुशासन- गुप्ता

Advertisement. Scroll to continue reading.

कलेक्टर हिमशिखर गुप्ता ने मीडिया के समक्ष उत्पन्न् नई चुनौतियों की
चर्चा करते हुए कहा कि पत्रकारिता का व्यवसायीकरण, सोशल मीडिया के बढ़ते
प्रभाव , फेक न्यूज, पेड न्यूज जैसे विषयों पर भी परिचर्चाआयोजित करने की
आवश्यकता है। ब्रेकिंग न्यूज के चक्कर में फैक्ट चेक करना पत्रकार साथी
भूल जाते हैं। आरोप-प्रत्यारोप पर दूसरे प्रभावित पक्ष को भी समान अवसर
देकर उनका वर्सन निश्चित रूप से लेने की आवश्यकता है। किसी भी मुद्दे पर
खबर बने तो संबंधित पक्ष को वर्जन देने का पूरा अवसर मिलना ही चाहिए।
लोकतंत्र के चारों स्तंभ की अपनी अलग-अलग भूमिका है। चौथे स्तंभ के रूप
में मीडिया व्यवस्था में कमी और विसंगतियों को फाइलों से बाहर लाए ।
किन्तु सकारात्मकता और नकारात्मकता में संतुलन भी रखे । ऐसी परिचर्चाओं
से पत्रकारिता के नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा । साथ ही मीडिया
का खुद पर अनुशासन भी बना रहेगा।

सब पर मीडिया का नियंत्रण, मीडिया पर हो आत्मनियंत्रण- सिंह

Advertisement. Scroll to continue reading.

महासमुंद के पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का
सचेतक, सजग प्रहरी है । किन्तु कभी-कभी अति उत्साह में मीडिया ट्रायल भी
हो जाता है । जिससे किसी की हानि भी हो सकती है। सोशल मीडिया के दौर में
जहां हर आदमी पत्रकार के रोल में दिख रहा है। ऐसे समय में अखबारों की
विश्वसनीयता सबसे अहम है। समाज के अनुसार ही संस्थाएं बनती हैं, मीडिया
का काम समाज को आइना दिखाना है तो खुद भी आइना देखते रहना होगा । तीन
स्तंभों के गलत कामकाज पर किसी न किसी रूप में मीडिया नियंत्रण करता है।
मीडिया पर खुद का नियंत्रण हो। आत्मअवलोकन के माध्यम से खुद के लिए
अनुशासन और आचार संहिता मीडिया निर्धारित करे ।

पत्रकारिता में आ रही नैतिक मूल्यों में गिरावट- शर्मा
परिचर्चा में मीडिया का प्रतिनिधित्व करते हुए सत्तर के दशक के वरिष्ठ
पत्रकार ईश्वर शर्मा ने कहा कि कुछ वर्षों में मूल्यों में गिरावट केवल
समाचार जगत में ही नहीं, बल्कि सभी स्तंभों में आई है । ग्लोबलाइजेशन,
बाजार वाद से कोई अछूता नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं कि सब भ्रष्ट हो गए हैं।
आज भी जब किसी को न्याय नहीं मिलता जो समाचार पत्र, मीडिया ही उसकी आवाज
बनता है। और कुछ वर्षों से सरकारों के प्रमुख विपक्ष की भूमिका भी समाचार
जगत ही निभा रहा है। वहीं प्रेस क्लब के संरक्षक बाबूलाल साहू ने कहा कि
नित बदलाव हो रहा है । इसके साथ ही बुराइयां भी आ रही हैं। सभी स्तंभ में
गिरावट आ रही है। सत्य चुभता है, इसलिए अब पत्रकारिता मैनेजमेंट की बातें
हो रही हैं।

मीडिया के बिना स्वस्थ लोकतंत्र की परिकल्पना नहीं- आनंद

Advertisement. Scroll to continue reading.

परिचर्चा के शुरूआत में विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए प्रेस क्लब
महासमुंद के अध्यक्ष आनंदराम साहू ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े
लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश भारत में मीडिया का अहम स्थान है। मीडिया
के बिना स्वस्थ्य लोकतंत्र की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। मीडिया का
काम सजग प्रहरी अर्थात वाच डाग का है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ आज डगमगा
तो नहीं रहा है? लोकतंत्र के तीन स्तंभों और आम जनता को मीडिया से क्या
अपेक्षाएं हैं, यह जानने के ध्येय से ही प्रेस क्लब द्वारा परिचर्चा का
आयोजन किया गया है। संविधान में विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होने के बावजूद
मीडिया चारों स्तंभों में सर्वाधिक मजबूत और प्रभावशाली है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement