मीडियाखबर डाट काम वेबसाइट से मीडिया के काफी लोग परिचित हैं. पुष्कर पुष्प इसे संचालित करते हैं. मीडिया इंडस्ट्री से जुड़ी खबर देने वाली यह वेबसाइट भड़ास से भी पुरानी है और पुष्कर पुष्प के निजी प्रयासों से संचालित है. लेकिन 18 अगस्त के बाद से इस पर एक भी नई खबर अपलोड नहीं हुई है. 18 अगस्त को भी सिर्फ एक खबर प्रकाशित दिख रही है. उसके पहले 27 जुलाई को एक खबर और उससे भी पहले 20 जुलाई को कुछ खबरें छपी हैं. साइट के निष्क्रिय मोड में चले जाने से मीडिया के ढेर सारे लोगों में निराशा है.
आज के कारपोरेट दौर में जब हर कहीं मैनेज किए जाने का खेल चल रहा है और मीडिया में बड़ी पूंजी ने असली खबरों को बाहर आने से रोक रखा है, निजी प्रयासों और मिशनरी भाव से चलाई जा रही ऐसी साइटों के दम पर ही अंदरखाने की गंदगी सार्वजनिक हो पाती है. पर कंजूस और स्वार्थी मानसिकता वाला हिंदी पट्टी एकल प्रयासों से चल रही वेबसाइटों को आर्थिक सपोर्ट देने से कतराता है. इस कारण निजी प्रयासों से चलाई जा रही वेबसाइटों के आगे सरवाइवल का संकट खड़ा हो जाता है. फिर एक ऐसा समय आता है जब साइट चलाने वाला शख्स अपनी जरूरतों की खातिर किसी दूसरे काम में जुट जाता है ताकि उतने पैसे कमा सके जिससे अपना व परिवार का पेट पाल सके. संजय तिवारी ने विस्फोट डाट काम के जरिए हिंदी ब्लागिंग के बाद हिंदी वेबसाइट के क्षेत्र में कदम रखा, साथ ही बहुतों को ऐसा करने का रास्ता दिखाया. संजय ने अपने दम और सीमित संसाधनों के बल पर कई वर्षों तक विस्फोट डाट काम को एक अच्छा वैचारिक पोर्टल बनाए रखा.
बाद में एक ऐसा वक्त उनके सामने आया जब आर्थिक तंगी और खराब सेहत ने उन्हें इस कदर तोड़ा कि उन्होंने वेबसाइट अपडेशन से मुंह मोड़ लिया. विस्फोट डाट काम आज भी दिखेगा लेकिन उस पर कोई नया लेख नई खबरें नहीं मिलेंगी. हिंदी पट्टी के हमारे पाठकों को कारपोरेट से मुठभेड़ लेती एकल दम पर संचालित ऐसी साइटों के जिंदा रखने के बारे में शिद्दत से सोचना चाहिए. फिलहाल पुष्कर पुष्प की कोई खोज खबर नहीं है. वे किसी विपदा में तो नहीं हैं? आखिर किन कारणों से उन्होंने मीडिया खबर डाट काम को अपडेट करना बंद कर दिया? वे आजकल कहां और क्या कर रहे हैं? ये जानकारियां अभी सामने आना बाकी है. अगर आपको कुछ पता हो तो जरूर बतावें.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट.
Comments on “विस्फोट डाट काम के बाद अब मीडिया खबर डाट काम भी निष्क्रिय मोड में”
यशवंत भाई …की हर बात निराली…और इस बार तो उन्होने बेहद अच्छे अंदाज़ से उस तरफ इशारा किया है, जहां सोचा जाना बेहद ज़रूरी है। इस ओर ध्यान देना मीडिया और समाज के लिए भी बेहतर होगा। पुष्प भाई खैरयत से हों यही दुआ है। पुष्प भाई जुझारी और मिशनरी हैं थोड़ा आराम भी कर लें तो आगे के लिए बेहतर ही होगा। उनके लिए सबकी दुआएं हैं।