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लाखों खर्च कर मीडिया में आएंगे और महीने भर का खर्चा भी न निकाल पाएंगे!

Sagar Pundir : पत्रकारिता में आया तो कोई जान-पहचान नहीं थी। पता नहीं था कि जॉब कैसे मिलेगी। जॉब तो दूर इंटर्नशिप भी नहीं मिल रही थी। Amit Sahay जी से फेसबुक पर बात हुई। उन्होंने इधर-उधर से जुगाड़ लगाकर Ishtiaq Khan के पास भेजा। जब इंटरव्यू देने गया। तो खान सर ने ये कहकर घर भेज दिया कि हमारे यहां अभी अनुभवी लड़कों की जरूरत है। फ्रेशर की नहीं।

निराश होकर दिल्ली से गांव चला गया। हर चैनल में CV मेल किया। किसी से जान पहचान नहीं थी तो जवाब भी नहीं आया। कुछ दिन बाद मुझे इश्तियाक खान जी का फोन आया। और मुझे एक जॉब ऑफर की गई। जिस जॉब के लिए खान सर ने बुलावा भेजा था। उसमें बात नहीं बनी। खान सर ने दूसरे चैनल में बात कर वहाँ भेजा। वहां 6 महीने तक फ्री में काम करता रहा। इन 6 महीनों में पत्रकारिता का सच देखा। कई बार मन किया कि ये सब छोड़ दिया जाए। फिर पढ़ाई पर ख़र्च हुए लाखों रुपये याद आने लगे।

एक दिन फिर खान सर का फोन आया। और मुझे मेरी पहली जॉब मिली। यही पर खान सर ने Rohit Ranjan से मिलवाया। Rohit ने आँख बंद मुझ पर भरोसा किया। उस समय काम करना ज्यादा आता नहीं था। लेकिन रोहित सर ने जो भरोसा किया था। उसको बनाए रखना था। जी भरकर काम सीखा। उसके बाद रास्ते खुलते चले गए। रोहित राजन ने काम करने का मौका दिया, सिखाया, समझाया, जिम्मेदारी दी और शायद मैं भी उन जिम्मदारियों पर खरा उतरा।

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आज ही के दिन पहली जॉब मिली थी। 17 जून का वो दिन भला कैसे भूल सकता हूं। जब पापा को फोन कर बताया था। “जॉब मिल गयी” और पापा नहीं कहा था “इतने पैसों में क्या होगा? तेरा भी महीना नहीं निकलेगा। इससे ज्यादा तो मैं हर महीने एक मजदूर को देता हूं”

युवा पत्रकार सागर पुंडीर की एफबी वॉल से.

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6 Comments

6 Comments

  1. Shivangi shukla

    June 18, 2019 at 7:56 pm

    Very nice, same problem with me sir can you help me please

  2. Anuradha Sharma

    June 18, 2019 at 9:12 pm

    Sahi hai bhai
    Patarkarita me fukri rob jhadne ke siwa kuch nahi rakha.. yadi kisi ko bol do aap patarkar ho to woh peeth peeche hansta hai. akhbaar itna khoon nichodte hai ki poocho he mat.. salary itni ki batate sharam aati hai..log bolte hain aa gaye bechare patarkar,,,,,,,yehi sachai hai…

  3. madan kumar tiwary

    June 18, 2019 at 10:29 pm

    जरूरत क्या थी पत्रकार बनने की अगर योग्यता न थी तो ? योग्य अगर पहाड़ पर भी रहेगा तो लोग पहुचेंगे, डिग्री धारकों की यही सबक है, ज्ञान भी पैसे से खरीदना चाहते हैं, बेहतर है वह काम करो जिसमे दक्षता हो,भले पान की दुकान में ही क्यो न हो

  4. madan kumar tiwary

    June 19, 2019 at 8:24 am

    हमलोगों का कमेंट क्यो नही दिख रहा ?

  5. Sumit Saraswat

    June 20, 2019 at 4:48 pm

    पत्रकारिता में भविष्य सुरक्षित नहीं है

  6. Harsha sharma

    June 21, 2019 at 12:23 pm

    It’s a Tough journey but you’ll surely succeed.

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