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सुख-दुख

मीडिया, पत्रकार और पत्रकारिता तीनों अलग-अलग विषय हैं!

नवनीत चतुर्वेदी-

हिंदी पत्रकारिता दिवस… मीडिया, पत्रकार व पत्रकारिता तीनों अलग अलग विषय है, मैं दावे से कह सकता हूं कि हमारे मुल्क में अच्छा भला पढ़ा लिखा पोस्ट ग्रेजुएट पीएचडी क्लास वन अधिकारी भी इन तीनों विषयों में अनपढ़ है, आम जनता तो बहुत दूर की बात है.

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क्यूंकि इन विषयों के बारे में कभी आम जनता को जागृत शिक्षित किया ही नहीं गया है. मीडिया, पत्रकार व पत्रकारिता सदैव साथ साथ चलने वाले विषय है जिनका हमारी राजनीति से सीधा संबंध होता है.

पूंजीवाद के इस दौर में कॉर्पोरेट अप्रत्यक्ष तौर पर राजनीतिक दलों व नेताओं के माध्यम से सत्ता संचालित करते है, औऱ इस सत्ता संचालन, सत्ता बनाए रखना, सत्ता संघर्ष इन सभी कार्यों में मीडिया पत्रकार व पत्रकारिता एक tool weapon की तरह यूज़ किए जाते है, भाषा चाहें कुछ भी हो हिंदी अंग्रेजी या कोई क्षेत्रीय वो फर्क नहीं पड़ता है.

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चूंकि आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है इसलिए यह अवश्य कहना चाहूंगा कि ये सीधे प्रत्यक्ष तौर पर केंद्र सरकार की सत्ता बनाने बचाने बिगाड़ने में काम आती है.

कौनसी खबर आर्गेनिक है, कौनसी paid, कौनसी एजेंडे के तहत है, PR वाली न्यूज़, कुकर्म छिपाने वाली न्यूज़, ध्यान भटकाने वाली न्यूज़ इत्यादि कई तरह की न्यूज़ होती है जिन्हे भाषा चाहें कोई सी भी हो मीडिया हाउस के दिशानिर्देशन में अपना काम अर्थात रोजी रोटी चलाना मने पत्रकारिता करते हुए पत्रकार दिन रात पूरा करता है.

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Note … अलाना पत्रकार ईमानदार है औऱ फलाना गोदी मीडिया वाला है… यह कहना बंद कीजिए क्यूंकि न तो आप अलाने को पैसा दे रहे हैं औऱ न फलाने को.. दो अलग अलग पक्ष सत्ता संघर्ष में जय विजय हेतु अलाने को ईमानदार व फलाने को गोदी पत्रकार बनाए हुए है.

जिन्हें आप ईमानदार कहते हैं कभी उनके funds sources की जांच कीजिए, वो गोदी वालों से ज्यादा अच्छा कमाते है. शेष हजारों की संख्या में जो आप पत्रकार देखते है गांव देहात कस्बे शहर के प्रेस क्लब में वो सब actual में नौकरीपेशा मजदूर है पत्रकार नहीं है.

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पोस्ट कर्ता स्वयं एक समय में ईमानदारी, खोजी, सुपारी, एजेंडा etc तमाम पत्रकारिता कर चुके है. अतः इस काले धंधे के अच्छे जानकार है.

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