Samar Anarya : मेरठ में जो हुआ वह निंदनीय ही नहीं हैवानियत का चरम है. पर फिर भी तमाम सवाल खड़े हुए हैं… कथित अपहरण 23 जुलाई को हुआ, लड़की 27 जुलाई को घर आ गयी. 29 जुलाई को वापस अपहरण कर कथित रूप से उसे हापुड़ फिर मुजफ्फरनगर ले जाया गया. 100-150 किलोमीटर की यह दूरी अपहरणकर्ताओं ने लड़की के साथ मोटरसाइकिल पर तय की! मोटरसाइकिल पर इतनी घनी आबादी के बीच? अगर नशे वाली थियरी मान भी लें तो फिर वह बैठी कैसे रही? गर्भ ठहरने की बात तो और भी हतप्रभ करती है. 23 जुलाई को पहले अपहरण और 2 अगस्त को भाग निकलने के बीच ही गर्भ ठहर जाना मेडिकल साइंसेज की नजर से चमत्कार ही हो सकता है उससे कम नहीं. मुझे लगता है कि इस मामले की बहुत गम्भीरता से समयबद्ध जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. जो भी सच हो, वह सामने आना चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाएं हमारे रिपब्लिक होने पर तो छोडिये ही, इंसानों का देश होने पर भी सवाल खड़ा कर देती हैं. और हाँ, फिर से देखिएगा, मेरठ के इस मामले पर कौम के ठेकेदार चुप हैं. ठीक वैसे ही जैसे मुज़फ्फरनगर में हुए बलात्कारों पर त्रिशूल वाले धर्मवीर चुप थे. दोनों का गोत्र एक ही है आखिर. (अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय समर के फेसबुक वॉल से)
Sheetal P Singh : उप्र में हर घटना काफी दिनों से मीडिया की अस्वाभाविक क़ाबिलियत के चलते संदिग्ध हो जाती है। दिल्ली से सटे होने के नाते यह सब तत्काल ही “राष्ट्रीय” हो जाता है। याद करें प्रतापगढ़ के पुलिस उपाधीक्षक जिया उल हक़ हत्याकांड, बदायूँ की दो बहनों को पेड़ पर लटकाये जाने वाले कांड और पुराने नोएडा के आरुषि हत्याकांड को। सभी मामलों की सीबीआई ने जाँच की। सभी में राष्ट्रीय स्तर पर तूफ़ान खड़ा हुआ। सभी में राज्य सरकार कमअक्ल अफ़सरों की मुंहजोरी और लोकल मीडिया की अतुलनीय कृपा के चलते अस्पष्ट रही, संलिप्त मानी गयी। बाद में सभी मामलों का सच वह नहीं निकला जो मीडिया ने बताया, गढ़ा, चेपा था बल्कि वह निकला जो प्रशासन कह रहा था। हालांकि निःसन्देह नेता जी और उनकी फेमिली लिमिटेड सपा निहायत ही ग़ैर ज़िम्मेदार जातिवादी भ्रष्ट और निकम्मी क़ानून व्यवस्था की मशीनरी बनाये रखने के सीधे-सीधे दोषी हैं और वे साम्प्रदायिकता का कार्ड खेलने में बीजेपी से पीछे नहीं हैं फिर भी “मीडिया आफ यूपी इज़ ग्रेट”! (वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह के फेसबुक वॉल से.)
Abhishek Parashar : फेसबुकिए हिंदू लंपट और धार्मिक उन्मादी, आप चाहे तो इन्हें ट्रॉल कह सकते हैं, हर उस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं जो सिर्फ और सिर्फ कानून एवं व्यवस्था और उससे कहीं बढ़कर सामंती सामाजिक ताने बाने से जुड़ा मामला है. मेरठ रेप मामले में अगर आज पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आती और इस झूठ का खुलासा नहीं होता तो न जाने इन धार्मिक उन्मादियों की प्लैनिंग कितनी जिंदगियों को लील जाती और कितने अल्पसंख्यकों की रोजी रोटी तबाह कर उन्हें सड़क पर ला खड़ा करती. पिछले 2 महीनों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बलात्कार, हत्या और दंगों की राजनीति कौन कर रहा है, हिंदू या मुसलमान, बीजेपी या सपा? अब यह अनायास नहीं हो सकता क्योंकि जिस तरह से इस मामले को भुनाया गया वह चौंकाने वाली है. धर्म परिवर्तन पर फोकस कर अफवाहों को जिस तेजी से फैलाया गया वह संगठन के स्तर पर किया गया काम था, और इसमें हिंदू संगठनों मसलन बजरंगी और विहिप की क्या भूमिका रही होगी और उनकी भूमिका किसके इशारे पर तय हुई होगी, यह बताने की जरूरत फिलहाल नहीं है. (पत्रकार अभिषेक पराशर के फेसबुक वॉल से.)
Saleem Akhter Siddiqui : खरखौदा धर्मपरिवर्तन और गैंग रेप मामले पर शुरू से ही राजनीति का मुलम्मा चढ़ा हुआ है। वही हो रहा है, जो हिंदूवादी संगठन चाहते हैं। मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल सीबीआई जांच क्यों चाहते हैं? आरोपी जेल जा चुके हैं। अब तो जांच इसकी होनी है कि युवती के बयानों में कितनी सच्चाई है? क्या सांसद महोदय सीबीआई जांच इसीलिए चाहते हैं? दरअसल, इस पूरे मामले को पहले दिन से ही हिंदूवादी संगठनों ने कैप्चर कर रखा है। उनकी हमदर्दी शायद ही पीड़ित युवती के साथ हो। वे पीड़ित युवती की आड़ में राजनीति कर रहे हैं। युवती तो उनके लिए मात्र एक मोहरा भर है। पीड़िता के वकील भी हिंदूवादी संगठनों से ही हैं। कोशिश यह की जा रही है कि मामला किसी तरह गरमाया रहे? भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मामले को लविंग जेहाद से जोड़ रहे हैं, जो संघ परिवार का छोड़ा हुआ शिगूफा है। यह समझ से परे है कि जब आरोपी पकड़े जा चुके हैं, तो किस बात का हंगामा है? आखिर किसी आपराधिक कृत्य को हिंदू-मुसलिम की नजर से क्यों देखा जाता है? माना लो कि आरोपी भी युवती के समुदाय के होते तो क्या फिर भी हिंदूवादी संगठनों में इतना ही उबाल आता? हर रोज कहीं न कहीं लड़कियों पर जुल्म हो रहा है। क्या हिंदूवादी संगठन इसी तरह हर हिंदू लड़की के साथ खड़े होते हैं? (मेरठ के पत्रकार सलीम अख्तर सिद्दीकी के फेसबुक वॉल से.)
Abdul Noor Shibli : मेरठ में रेप, अंग निकलना और फिर धर्म परिवर्तन वाली खबर झूठी निकली. तो क्या अब उस अखबार के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए जिसने ऐसी खबर प्रकाशित की थी? (पत्रकार अब्दुल नूर शिबली के फेसबुक वॉल से.)
Wasim Akram Tyagi : पहले जबरन धर्म परिवर्तन और उसके बाद बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का नाम लेकर भाजपाई सड़कों पर तिलमिला रहे थे। जिस गांव की यह घटना है उस गांव में कभी सांप्रदायिक माहौल नहीं बिगड़ पाया था, मगर मुजफ्फरनगर के दंगाई बारी-बारी से उस गांव में पहुंचे और स्थिति को बिगाड़ने की भरपूर कोशिश की। कथित अपहरण 23 जुलाई को हुआ, लड़की 27 जुलाई को घर आ गयी. 29 जुलाई को वापस अपहरण कर कथित रूप से उसे हापुड़ फिर मुजफ्फरनगर ले जाया गया. 100-150 किलोमीटर की यह दूरी अपहरणकर्ताओं ने लड़की के साथ मोटरसाइकिल पर तय की! मोटरसाइकिल पर इतनी घनी आबादी के बीच? अगर नशे वाली थियरी मान भी लें तो फिर वह बैठी कैसे रही? गर्भ ठहरने की बात तो और भी हतप्रभ करती है. 23 जुलाई को पहले अपहरण और 2 अगस्त को भाग निकलने के बीच ही गर्भ ठहर जाना मेडिकल साइंस की नजर से चमत्कार ही हो सकता है, उससे कम नहीं. अब बात करते हैं आज के मेरठ के तमाम समाचार पत्रों की. लोकल अखबारों के पन्ने इस कथित बलात्कार के कारण स्याह हो रखे हैं. अखबारों ने इसे सांप्रदायिक बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। कई बड़े अखबारों ने इसे दो-दो पेज पर प्रकाशित किया है। समय है कि अब खरखौदा मामले की जांच के साथ कथित तौर से बलात्कार की शिकार युवती के खिलाफ भी सख्त कार्वाई होनी चाहिये। क्योंकि जिस बलात्कार का सहारा लेकर पूरी भाजपा प्रदेश कार्यकारणी तीन दिन से खरखौदा में जमा थी उसकी पोल तो खुल गई है। युवती से पूछा जाना चाहिये कि जब उसके साथ बलात्कार हुआ ही नहीं था तो फिर उसने झूठ का सहारा लेकर क्षेत्र की शान्ति भंग करने का षड़यंत्र किसके इशारे पर रचा ? जिसकी वजह से संसद भी गूंज उठी। रहा सवाल जबरन धर्मांतरण का तो कोई एक झटके में न तो हिंदु हो सकता है और न ही मुसलमान। फिर जबरदस्ती का मामला कहां से आ गया ? इस घटना से क्षेत्र की गंगा जमुनी संस्कृति को एक बड़ा आघात पहुंचा है इस मुद्दे को हवा देने वाले भाजपा कार्यकारणी के पदाधिकारियों और मुजफ्फरनगर दंगों की आरोपी साध्वी प्राची के खिलाफ सख्त कार्रावाई होनी चाहिये जो अपने सियासी हित साधने के लिये क्षेत्र को सांप्रदायिकता के दावानल में झोंकने के लिये तैयार हो गये थे। इतना ही नहीं इस पूरे मामले में सांप्रदायिकता की भूमिका निभाने वाले क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों के खिलाफ भी कार्रावाई होनी चाहिये। सलीम अख्तर सिद्दीकी के शब्दों में कहूं तो दरअसल, इस पूरे मामले को पहले दिन से ही हिंदूवादी संगठनों ने कैप्चर कर रखा है। उनकी हमदर्दी शायद ही पीड़ित युवती के साथ हो। वे पीड़ित युवती की आड़ में राजनीति कर रहे हैं। युवती तो उनके लिए मात्र एक मोहरा भर है। पीड़िता के वकील भी हिंदूवादी संगठनों से ही हैं। कोशिश यह की जा रही है कि मामला किसी तरह गरमाया रहे? भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मामले को लविंग जेहाद से जोड़ रहे हैं, जो संघ परिवार का छोड़ा हुआ शिगूफा है। यह समझ से परे है कि जब आरोपी पकड़े जा चुके हैं, तो किस बात का हंगामा है? आखिर किसी आपराधिक कृत्य को हिंदू-मुसलिम की नजर से क्यों देखा जाता है? माना लो कि आरोपी भी युवती के समुदाय के होते तो क्या फिर भी हिंदूवादी संगठनों में इतना ही उबाल आता? हर रोज कहीं न कहीं लड़कियों पर जुल्म हो रहा है। क्या हिंदूवादी संगठन इसी तरह हर हिंदू लड़की के साथ खड़े होते हैं? ताजा अपडेट यह है कि युवती के साथ बलात्कार हुआ ही नहीं, जो कि मेडिकल रिपोर्ट कहती है। अमर उजाला में छपी विष्णु मोहन की खबर इस प्रकार है…
मेरठ कांड: नहीं हुआ रेप, झूठा निकला आरोप
विष्णु मोहन, लखनऊ
मेरठ के खरखौंदा कांड की पीड़ित युवती की मेडिकल जांच रिपोर्ट में उसके साथ जबरन दुराचार करने की पुष्टि नहीं हुई है। न ही उसके शरीर का कोई अंग निकाले जाने की बात की पुष्ष्टि हुई है। आईजी कानून-व्यवस्था अमरेंद्र सेंगर ने बताया कि इस मामले की जांच पर डीजीपी मुख्यालय सीधी निगाह रख रहा है। मेरठ मामले में एकयुवती का अपहरण कर उसके साथ जबरन सामूहिक दुराचार और धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया है। इस युवती के शरीर का किडनी जैसा अंग निकाल लिए जाने का भी आरोप लग रहा है। मेरठ कांड पर पूछे गए सवालों का जवाब देने के दौरान मंगलवार को एनेक्सी के मीडिया सेंटर में आईजी कानून-व्यवस्था अमरेंद्र सेंगर ने दावा किया कि युवती का मेडिकल परीक्षण कराया गया, लेकिन इसमें उसके साथ जबरन दुराचार किए जाने की पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि इस चिकित्सीय परीक्षण मे शरीर का किडनी जैसा कोई अंग निकाले जाने की भी पुष्टि नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि युवती ने जो आरोप लगाए हैं, उनको लेकर मंगलवार को उसका कलमबंद बयान दर्ज कराया गया है। आईजी ने कहा कि जहां तक युवती का जबरन धर्मांतरण कराए जाने का मामला है, उसकी जांच हो रही है। इस मामले में पुलिस युवती द्वारा धर्मांतरण को लेकर दिए गए नोटरी एफिडेविट का परीक्षण कर रही है। उधर, इस मामले को लेकर मेरठ में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इसी वजह से मेरठ के पुलिस अफसरों ने राज्य सरकार से एक कंपनी पीएस बल की और मांग की है। फिर भी अधिकारियों ने दावा किया कि मेरठ में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन वहां के पुलिस अधिकारियों ने अतिरिक्त सुरक्षा बल के तौर पर एक कंपनी पीएसी की और मांग की है। मेरठ में एक कंपनी और दो प्लाटून पीएसी पहले ही दी जा चुकी है।
(पत्रकार वसीम अकरम त्यागी के फेसबुक वॉल से.)
sikander hayat
August 6, 2014 at 3:18 pm
टिपिकल वही सब कुछ जो इस तरह की घटनाओ के बाद होता ही हे मुस्लिम और वाम लेखक मिडिया पर भड़कावे का आरोप लगाते हे तो उधर हिन्दू कठमुल्लवादी लेखक भी छाती पीट रहे हे की मिडिया इस घटना को कम स्पेस दे रहे हे वही पुरानी कहानी
sikander hayat
August 6, 2014 at 3:24 pm
मुस्लिम लेखको को भी समझना और समझाना ही होगा की मुस्लिम समाज में कठमुल्लाओं और कटरपन्तियो की गतिविधिया खासी चल ही रही हे इसमें विदेशी पैसे का भी काफी रोल हे इसमें बहुत से लोग अपना कॅरियर बना रहे हे अगर आप कहते हे की लड़की संदिग्द हे तो होने को ये भी हो सकता हे की ये मुर्ख कठमुल्लवादी लोग संघ के बिछाय हुए किसी चुनावी जाल में फंस गए हो क्योकि मेने खूब देखा हे की इन कठमुल्लाओं और कटटरपन्तियो को भारत के जमीनी हाल की ज़रा भी समझ नहीं होती हे ये अपनी सपनो की दुनिया में रहते हे जहा भारत जल्द ही इस्लामिक राष्ट्र बनने वाला हे