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सुख-दुख

क्यों कहते हैं ‘मिच्छामि दुक्कडम्’!

निशांत जैन-

कल और आज ‘मिच्छामि दुक्कडम्’ के मैसेज सोशल मीडिया पर छाए रहे। कुछ दिन से लोग ‘पर्यूषण’ पर्व की शुभकामनायें भी दे रहे हैं और बहुत सारे celebrities ने अपने handles पर ‘मिच्छामि दुक्कडम्’ लिखकर साल भर की ग़लतियों के लिए क्षमा माँगने के मैसेज शेयर किए।

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आख़िर ये पर्यूषण पर्व क्या है और इस दौरान लोग एक-दूसरे से क्षमा क्यों माँगते हैं? आइए, जानें!

दरअसल पर्यूषण पर्व (जिसे दशलक्षण पर्व के नाम से भी जाना जाता है), जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है।

सावन के बाद आने वाला भादों (भाद्रपद) का महीना जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद पवित्र है। जैन समुदाय के दोनों सम्प्रदायों- दिगंबर और श्वेतांबर, के लिए यह पूरा माह आत्मशुद्धि (self-purification) और सार्वभौम क्षमा (universal forgiveness) को समर्पित है।

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पर्यूषण का अर्थ है- ख़ुद के निकट आना। पर्यूषण पर्व तप-त्याग-संयम और क्षमा का पर्व है। ज़्यादातर लोग उपवास के माध्यम से तप-साधना करते हैं।

श्वेतांबर जैन समुदाय के लिए पर्यूषण पर्व आठ दिनों का होता है, जिसका अंत ‘सम्वत्सरी’ पर होता है। सम्वत्सरी के अगले दिन दिगम्बर जैनों के दस दिन के पर्यूषण शुरू होते हैं। इन दस दिनों में धर्म के दस लक्षणों की आराधना के कारण दिगम्बर लोग इसे ‘दशलक्षण पर्व’ के नाम से भी जानते हैं। धर्म के दस लक्षण हैं- क्षमा, मार्दव (मान का अभाव), आर्जव (छल-कपट से दूर रहना), शुचिता (पवित्रता), सत्य, संयम, तप, त्याग, अकिंचन (सहजता और परिग्रह से दूर रहना) और ब्रह्मचर्य (सदाचार)।

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दिगम्बर जैन समुदाय के दस दिन चलने वाले पर्यूषण का समापन ‘अनंत चतुर्दशी’ और फिर ‘क्षमावाणी’ के साथ होता है।

‘सम्वत्सरी’ और ‘क्षमावाणी’ क्षमा के दिन हैं। मेरी समझ में दुनिया के किसी भी धर्म-समुदाय में क्षमा का कोई त्यौहार नहीं है, इस तरह यह एक अनूठा पर्व है। घर-परिवार से लेकर समाज तक, सब एक-दूसरे से माफ़ी माँगते हैं और दूसरों को सहर्ष माफ़ करते भी हैं।

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‘सबसे क्षमा-सबको क्षमा’ इस पर्व का मूलमंत्र है। सब प्राकृत भाषा में ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहकर एक-दूसरे से हृदय से क्षमा माँगते हैं। जैन दर्शन में क्षमा का विस्तार मनुष्य तक ही नहीं प्राणीमात्र तक है-

“खामेमि सव्व जीवा, सव्वे जीवा खमंतु मे,
मिती मे सव्व भुए सू, वैरम मज्झ न केवई।”
(Prakrit)

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“I grant forgiveness to all, May all living beings grant me forgiveness.
My friendship is with all living beings, My enemy is totally non-existent.”
(English)

इसीलिए, मैं भी साल भर में जाने-अनजाने में हुई ग़लतियों के लिए आप सबसे कहता हूँ – ‘मिच्छामि दुक्कडम्’!

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