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अवसरवादी एमजे अकबर और शेखर गुप्ता को हरिशंकर व्यास ने धो डाला

बड़ा अच्छा लगा देख कर कि मोदी सरकार के दो साला उपलब्धियों का ब्योरा देने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली के अशोका होटल में मीडिया मीट का जो पहला कार्यक्रम रखा तो नीचे पत्रकारों का स्वागत करते हुए एक वक्त के दिग्गज संपादक, सेकुलर मशाल के रक्षक एमजे अकबर खड़े थे। कितनी गजब बात है यह। ये वे ही अकबर साहब हैं जिन्होंने संघ परिवार को न जाने कैसी-कैसी अंग्रेजी में पूरी उम्र गालियां दी। 2002 में नरेंद्र मोदी पर क्या-कुछ नहीं लिखा। अकबर साहब उस सेकुलर मीडिया ब्रिगेड के नेता थे जिसमें एक छोर पर एनडीटीवी चैनल के छाते के नीचे राजदीप, बरखादत्त, अरनब गोस्वामी गुजरात के दंगों का सच, नरेंद्र मोदी का सच दिखलाते थे तो दूसरे प्रिंट के छोर में एशियन एज, इंडियन एक्सप्रेस की ब्रिगेड में शेखर गुप्ता, आशीष नंदी आदि न जाने क्या-क्या लिखते थे।

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बड़ा अच्छा लगा देख कर कि मोदी सरकार के दो साला उपलब्धियों का ब्योरा देने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली के अशोका होटल में मीडिया मीट का जो पहला कार्यक्रम रखा तो नीचे पत्रकारों का स्वागत करते हुए एक वक्त के दिग्गज संपादक, सेकुलर मशाल के रक्षक एमजे अकबर खड़े थे। कितनी गजब बात है यह। ये वे ही अकबर साहब हैं जिन्होंने संघ परिवार को न जाने कैसी-कैसी अंग्रेजी में पूरी उम्र गालियां दी। 2002 में नरेंद्र मोदी पर क्या-कुछ नहीं लिखा। अकबर साहब उस सेकुलर मीडिया ब्रिगेड के नेता थे जिसमें एक छोर पर एनडीटीवी चैनल के छाते के नीचे राजदीप, बरखादत्त, अरनब गोस्वामी गुजरात के दंगों का सच, नरेंद्र मोदी का सच दिखलाते थे तो दूसरे प्रिंट के छोर में एशियन एज, इंडियन एक्सप्रेस की ब्रिगेड में शेखर गुप्ता, आशीष नंदी आदि न जाने क्या-क्या लिखते थे।

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और अब वे अकबर साहब कथित ‘मौत के सौदागर’ की सरकार की उपलब्धियों की डुगडुगी का जिम्मा लिए हुए हैं! क्या इसे दो साल के कार्यकाल की नरेंद्र मोदी-अमित शाह की सबसे बड़ी उपलब्धि नहीं माना जाए? सचमुच मीडिया का आज का चेहरा दो वर्ष के कार्यकाल की सर्वाधिक बड़ी उपलब्धि मानी जानी चाहिए! अशोका होटल के उस मीडिया जमावड़े में एक और अभूतपूर्व सीन देखने को मिला। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद मैं और नीरजा चौधरी बात करते हुए बाहर निकल रहे थे तभी कोने में शेखर गुप्ता भाजपा के संगठन मंत्री रामलाल को अपना आईपैड दिखलाते दिखे। पास गए तो देखा वे आईपैड से अपने बचपन के स्कूल का फोटो दिखा रहे थे। अपन ने पूछा तो मालूम पड़ा कि शेखर गुप्ता बचपन में संघ परिवार से जुड़े कोई शिशु भारती जैसे स्कूल में पढ़े हुए हैं। शेखर गुप्ता अपनी उस उपलब्धि, उस तथ्य से रामलाल को जानकार बना रहे थे।

शेखर गुप्ता ने जानकारी दी तो अपने मुंह से निकला- रामलालजी ये मूलतः आपके हैं। बाद में भटक गए थे तो वे बोले – संगठन मंत्री होता है न भटके हुओं को संभालने के लिए!

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यह सुन अपने मुंह से निकल पड़ा – अच्छा तो आपने इनका प्रभार संभाल लिया है!

और, ठहाका मेरा भी निकला तो नीरजा चौधरी का भी!

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सोचें, शेखर गुप्ता को आईपैड ले कर, उसमें शिशु मंदिर में अपनी पढ़ाई की गवाही का फोटो बताने की भला क्यों जरूरत है? नामा-दामा जब सबकुछ है फिर भी ऐसे भटकना!

पर शायद अकबर की तरह वे भी चाहते हैं कि सुबह का भूला शाम को संघ परिवार में लौट जाए तो समझदारी है।

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यही क्या मोदी सरकार की दो साला राज की बड़ी उपलब्धि नहीं है? 2002 से 2010 तक के तमाम सेकुलर आज नगाड़ा बजा रहे हैं। दरवाजा खटखटा रहे हैं। संगठन मंत्री को फोटो दिखला रहे हैं तो यह मोदी का, अमित शाह का दिल जीत लेना ही है। जब इन्हें जीत लिया गया तो भारत अपने आप कांग्रेस मुक्त हो गया! क्या नहीं?

धन्य है भारत और धन्य हैं नेहरू के आईडिया ऑफ इंडिया के ये हरकारे!

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लेखक हरि शंकर व्यास वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं. उनका यह लिखा उनके अखबार नया इंडिया से साभार लेकर भड़ास पर प्रकाशित किया गया है.

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0 Comments

  1. Gupta

    June 3, 2016 at 7:01 am

    Harishankar Vyas kaun doodh ke dhule hain?

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