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मजीठिया : सुप्रीम कोर्ट में कल हुई सुनवाई के दौरान के मुख्य और जरूरी तथ्य

20जे पर प्रबंधन का पक्ष 4 अक्‍टूबर को अगली सुनवाई के दौरान… सभी कर्मचारियों को मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लाभ… अनुबंध पर रखे गए कर्मचारी और वेज बोड कर्मचारी, दोनों कर्मचारी हैं… लेबर कमिशनर अब फिर से रिपोर्ट 4 अक्टूबर को कोर्ट के आदेश के अनुसार पेश करेंगे… इसमें मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू होने की स्थिति में मिलने वाले वेतन और मौजूदा वेतन की चर्चा प्रत्‍येक कर्मचारी की हो…

<p>20जे पर प्रबंधन का पक्ष 4 अक्‍टूबर को अगली सुनवाई के दौरान... सभी कर्मचारियों को मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लाभ... अनुबंध पर रखे गए कर्मचारी और वेज बोड कर्मचारी, दोनों कर्मचारी हैं... लेबर कमिशनर अब फिर से रिपोर्ट 4 अक्टूबर को कोर्ट के आदेश के अनुसार पेश करेंगे... इसमें मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू होने की स्थिति में मिलने वाले वेतन और मौजूदा वेतन की चर्चा प्रत्‍येक कर्मचारी की हो...</p>

20जे पर प्रबंधन का पक्ष 4 अक्‍टूबर को अगली सुनवाई के दौरान… सभी कर्मचारियों को मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लाभ… अनुबंध पर रखे गए कर्मचारी और वेज बोड कर्मचारी, दोनों कर्मचारी हैं… लेबर कमिशनर अब फिर से रिपोर्ट 4 अक्टूबर को कोर्ट के आदेश के अनुसार पेश करेंगे… इसमें मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू होने की स्थिति में मिलने वाले वेतन और मौजूदा वेतन की चर्चा प्रत्‍येक कर्मचारी की हो…

मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों का लाभ हर हाल में देना होगा… राजस्थान, मध्यप प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली की विस्‍तृत रिपेार्ट पर चर्चा अगली बार 4 अक्टूबर को… कल करीब पौने दो घंटे सुनवाई चली… इसमें अधिकांश समय कर्मचारियों के वकील कोलिन गोंजाल्विस ने कोर्ट को पांचों राज्यों की रिपोर्ट और उनकी विसंगतियों से अवगत कराया… इस दौरान श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (शर्तें व सेवा) एवं प्रकीर्ण अधिनियम प्रावधान अधिनियम 1955 के विभिन्न धाराओं की चर्चा मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के आलोक में की गई… इसके बाद पांच में से आए चार लेबर कमिश्निरों से अदालत ने व्यक्तिगत रूप से इंटरएक्ट किया…

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लेबर कमिशनरों के बाद अब मैनेजमेंट की पेशी

पांच में से दो लेबर कमिशनरों की अदालत की कड़ी फटकार और चेतावनी से अब अखबार मालिकों को समझ लेना चाहिए कि बचाव का रास्ता किधर जाता है। अदालत के गुस्से का शिकार होते-होते बच गए यूपी के लेबर कमिशनर लेकिन हिमाचल प्रदेश के लेबर कमिशनर नप गए। सबसे बुरा हुआ उत्तराखंड के लेबर कमिशनर के साथ। उनकी अनुपस्थिति से नाराज अदालत ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को उनके खिलाफ वारंट जारी कर अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को पेश करने को कहा है। अदालत को हल्के में लेने वाले अधिकारियों और अखबार मालिकों के लिए सबक है यह।

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इसके बाद दैनिक जागरण मैनेजमेंट की ओर से पेश होने वाले विद्वान वकील को भी अदालत की खरी–खरी सुननी पड़ी। हिमाचल प्रदेश में दैनिक जागरण में मजीठिया वेतन बोर्ड लागू करने पर जब अदालत ने उदाहरण देने को कहा तो विद्वान वकील को एक भी उदाहरण देते नहीं बना। इस पर अदालत ने सख्त लहजा अपनाते हुए चेतावनी दे डाली कि अदालत मैनेजमेंट को जेल में डाल देगी। आप अगली बार सभी कर्मचारियों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करें कि पहले कर्मचारियों को क्या वेतन मिलता था और मजीठिया वेज बोर्ड लागू होने के बाद कितना मिल रहा है, इधर-उधर करने से काम नहीं चलेगा, हर हाल में सिफारिशों को लागू करना होगा। उल्लेखनीय इससे पहले दैनिक जागरण की ओर से पेश होने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत के इसी रुख को देखते हुए कहा था कि अदालत का मैसेज क्लीयर एंड लाउड है। इसके बाद दैनिक जागरण मैनेजमेंट ने सिब्बल को हटा दिया था।

तल्खी के बाद खुशगवार भी हुआ माहौल

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लेबर कमिशनरों और दैनिक जागरण मैनेजमेंट के विद्वान वकील को खरी-खरी के बाद भी अदालत का मौहाल आज बहुत ही खुशगवार रहा। राष्ट्रीय सहारा की ओर से पेश हुए विद्वान वकील ने जब ये कहा कि हमारा एकाउंट सील है और इसलिए एरियर का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं तो इस पर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने मुस्कुराते हुए पूछा कि आपका केवल एक ही एकाउंट है। इस पर विद्वान वकील के जवाब और न्यायमूर्ति गोगोई के अपने अंदाज में अपने सवाल के दोहराने पर अदालत में मौजूद लोगों के चेहरे पर मुस्कु्राहट फैल गई और हंसी फूट पड़ी।

एक अपील आप सब साथियों से

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सुप्रीम कोर्ट के कल के आदेश के आलोक में आप सभी साथियों से अपील है कि सभी डीएलसी और एलसी को अपनी शिकायत और क्लेम पेश करें। खौफ छोड़ इस समय मैदान में अपने हक के लिए कूद पड़ने का सही वक्त है। सभी कमिशनरों की व्‍यक्ति गत पेशी कैसी हेाती है, उन्‍हें पता लगा गया है। इन डेढ़ महानों में आप एरियर और वेतन का क्लेम करें। शायद यूपी के लेबर कमिशनर को समझ में आ गया कि कानुपर में बैठकर मैनेजमेंट की गोदी में खेलना सुप्रीम कोर्ट में कितना महंगा पड़ सकता है। आज शुरुआत में खरी -खरी सुनने के बाद वे बच गए लेकिन हर बार ऐसा नहीं होगा। हम यूपी के लेबर कमिशनर से भी अपील करते हैं कि वे अदालत का भरोसा न तोड़ें। जिस तरह आज अदालत उनके साथ खड़ी थी उसी तरह उन्हें भी सही-सही वस्तु स्थिति को अगली बार पेश करना चाहिए।

‘मजीठिया मंच’ नामक फेसबुक एकाउंट की वॉल से.

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0 Comments

  1. कुमार कल्पित

    August 24, 2016 at 7:07 pm

    खाते सीज ह़ोने का रोना कब तक रोयेगा सहारा प्रबंधन। कम से कम सैकड़ों खाते होंगे सहारा के। एक बार को मान भी लेते हैं कि खाते सीज हैं तो पेमेंट के जो चेक आते हैं वो किस खाते में जमा किये जाते हैं। खर्चे का भुगतान तो चैक से होता होगा जब खाते सीज हैं तो पार्टियां चैक कैसे कैस कराती होंगी।

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