नई दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पी. राजीव ने श्रमजीवी पत्रकारों के लिए गठित मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को कई संस्थानों द्वारा लागू न किये जाने का मुद्दा आज राज्यसभा में उठाया।
राजीव ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए पत्रकारों की दयनीय हालत पर गहरी चिन्ता भी व्यक्त की और सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मजीठिया वेतन बोर्ड ने पत्रकारों के वेतन में वृध्दि के लिए 2008 में अंतरिम राहत दी थी और 2011 में अपनी सिफारिश भी दी। 2012 में उच्चतम न्यायालय ने अखबार मालिकों की याचिका को खारिज कर पत्रकारों के लिए वेतन बोर्ड को लागू करने का निर्णय दिया। इसके बाद कुछ संस्थानों में प्रबंधन ने वेतन बोर्ड को लागू किया पर कई संस्थानों ने आज तक लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की हालत बहुत दयनीय है। कई चैनलों में तो पांच-छह हजार रुपये में पत्रकार काम कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की।
Comments on “राज्यसभा में गूंजी मजीठिया आयोग की सिफारिश”
Kendra sarkar jin jin akhbaron ko DAVP advertisement deti hai, unpar agar yeh sharta lagoo kar diya jaye ki jo Akhbar Wage Board lagu nahia karenege, unhe DAVP advertisement nahi milegi, to koi kam ban sakti hai.
Modi Sarkar ko iss disha mein pahal karni chahiye taki desh ke Patrakaron ka Shoshan ruk sake.