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एमके झा भी आईबीएन7 से हटाए गए

आईबीएन7 में एक्जीक्यूटिव एडिटर के रूप में कार्यरत एमके झा भी हटा दिए गए हैं. एमके झा सन 2006 में लांच हुए इस चैनल की शुरुआती टीम के हिस्से थे. इस कवायद से एक तरह से पुराने सभी लोगों को हटा दिया गया है या हटाया जा रहा है. प्रबंधन की कोशिश युवा और तेजतर्रार लोगों को चैनल से जोड़ने की है क्योंकि चैनल की टीआरपी लाख प्रयासों के बावजूद बढ़ नहीं पा रही है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि असल बीमारी शीर्षस्थ लोगों के कारण है, मध्यम लेवल पर कार्यरत लोगों के चलते नहीं. पर हमेशा यही होता है कि शीर्षस्थ लोग खुद को सुरक्षित रख कर सारी गाज अपने से नीचे के लोगों पर गिरा देते हैं.

<p>आईबीएन7 में एक्जीक्यूटिव एडिटर के रूप में कार्यरत एमके झा भी हटा दिए गए हैं. एमके झा सन 2006 में लांच हुए इस चैनल की शुरुआती टीम के हिस्से थे. इस कवायद से एक तरह से पुराने सभी लोगों को हटा दिया गया है या हटाया जा रहा है. प्रबंधन की कोशिश युवा और तेजतर्रार लोगों को चैनल से जोड़ने की है क्योंकि चैनल की टीआरपी लाख प्रयासों के बावजूद बढ़ नहीं पा रही है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि असल बीमारी शीर्षस्थ लोगों के कारण है, मध्यम लेवल पर कार्यरत लोगों के चलते नहीं. पर हमेशा यही होता है कि शीर्षस्थ लोग खुद को सुरक्षित रख कर सारी गाज अपने से नीचे के लोगों पर गिरा देते हैं.</p>

आईबीएन7 में एक्जीक्यूटिव एडिटर के रूप में कार्यरत एमके झा भी हटा दिए गए हैं. एमके झा सन 2006 में लांच हुए इस चैनल की शुरुआती टीम के हिस्से थे. इस कवायद से एक तरह से पुराने सभी लोगों को हटा दिया गया है या हटाया जा रहा है. प्रबंधन की कोशिश युवा और तेजतर्रार लोगों को चैनल से जोड़ने की है क्योंकि चैनल की टीआरपी लाख प्रयासों के बावजूद बढ़ नहीं पा रही है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि असल बीमारी शीर्षस्थ लोगों के कारण है, मध्यम लेवल पर कार्यरत लोगों के चलते नहीं. पर हमेशा यही होता है कि शीर्षस्थ लोग खुद को सुरक्षित रख कर सारी गाज अपने से नीचे के लोगों पर गिरा देते हैं.

भड़ास तक अपनी बात [email protected] पर मेल करके पहुंचा सकते हैं.

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  1. pampu

    August 31, 2016 at 7:29 am

    इस आदमी को कई साल पहले ही हटा देना चाहिए था। ये जनाब ऑफिस आने के बाद मुंह में मसाला दबाए हुए बैठे रहते थें। मसाला खत्म होेने पर असाएनमेंट पर बैठे हुए जूनियरों को मसाला लाने को कहते थें। कई बार अपने कैबिन में ब्रेकिंग न्यूज देखकर चिल्लाते हुए बाहर आए की इस खबर को फ्लैश कर दो। तब उनको बताया जाता कि वो अपने ही चैनल देख रहे थे। दोपहरे होते ही लेट्स गो पर लंच कहते हुए खाने को चल देते थे।
    पिछले कई सालों से ये पैंशन रूपी सैलरी चैनल से ले रहे थे। क्या किसी ने पिछले कई सालों से इसका नाम भी सुना है। खाली कोई इनको दारु पिला दे। इनको सिर्फ इस बात की चिंता होती थी ।

    इनवके जाने के बाद अब एक महिला असाइनमेंट पर रह गई हैं जिन्होने चैनल में गंद पा रखी है। सुना है थोड़े दिन पहले वो चैनल में बेहोश भी हो गई थी।

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