नई दिल्ली : एमसीडी ने एक जमाने में सुलभ शौचालय वाले बिंदेश्वरी पाठक को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. भाजपा के ही एक नेता की शिकायत के बाद बिंदेश्वरी पाठक ब्लैकलिस्ट किए गए थे. अब भाजपा के ही जमाने में सुलभ शौचालय वाले पाठक जी ब्लैकलिस्ट से न सिर्फ बाहर आ चुके हैं बल्कि एमसीडी द्वारा संचालित किए जाने वाले अस्पतालों की हाउसकीपिंग का काम भी हथिया चुके हैं.
दरअसल बिंदेश्वरी पाठक को समझना पूरे सिस्टम को समझ लेना होगा इसलिए इनकी कहानी इतनी छोटी और एकरूपीय नहीं है. बिदेश्वरी पाठक के बारे में विस्तार से फिर कभी. ताजी सूचना जान लें कि कल नरेंद्र मोदी का जन्मदिन मनाने के लिए बिंदेश्वरी पाठक ने करोड़ों रुपया फूंका है और अपने कर्मचारियों को कई दिनों से डांस से लेकर तरह तरह के उत्सवधर्मी उछलकूद के लिए ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं. डेंगू से दिल्ली के लोग मर रहे हैं लेकिन बिंदेश्वरी पाठक की टीम अस्पतालों को अपने हाल पर बजबजाने के लिए छोड़ मोदी स्तुतिगान के रिहर्सल में लगी है.
बताने वाले बताते हैं कि करामाती बिंदेश्वरी पाठक पर नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद लक्ष्मी जैसे टूट कर मेहरबान हो गई हों. एमसीडी के ठेके मिले. उनके हाथ में आ गया एमसीडी द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल. इनके नाम हैं- हिंदू राव अस्पताल. कस्तूरबा अस्पताल. आरबीपीएमसी अस्पताल त्रिनगर, स्वामी दयानंद अस्पताल. आईबी अस्पताल त्रिनगर. इन पांचों अस्पतालों की हाउस कीपिंग का ठेका पाठक जी की संस्था सुलभ को मिला हुआ है. इसके अलावा केंद्र द्वारा संचालित दिल्ली के अस्पतालों राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग अस्पताल, कलावती सरन अस्पताल आदि का ठेका भी दुबे जी के सुलभ के हाथ में है. यही नहीं, मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान में इनको उड़ीसा सहित कई राज्यों के सैकड़ों करोड़ के शौचालय का काम दिया है. पाठक जी को अभी बहुत कुछ मिलना है. बनारस से लेकर विशाखापत्तनम तक के प्रोजेक्टस पर पाठक जी की नजर है. ऐसे में मोदी जी के हैप्पी बर्थडे पर कल पाठक जी फ़िक्की में पाँच करोड़ का समारोह कर रहे हैं. सारे वर्कर हफ़्ते भर से अस्पताल को सड़ता छोड़ इस जन्मदिन के समारोह की तैयारी में लगे हैं.
दिल्ली डेंगू से बजबजा रही है और ये पाठक जी जश्न में लगे हैं. कोई भाजपा से पूछे कि जिन बीजेपी के विधायक दल के नेता बिजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर सुलभ को ब्लैकलिस्ट किया गया था एमसीडी में कई साल पहले, अब ऐसा क्या हो गया कि बीजेपी की एमसीडी से ही सारे ठेके पाठक जी ने ले लिए हैं. यह सब बिंदेश्वरी पाठक के मैनेजमेंट का फल है. पाठक जी ने मीडिया मैनेजमेंट के लिए भी अच्छा खासा बजट निकाल रखा है. त्रिदिब रमन नामक शख्स एक न्यूज एजेंसी चलाता है जिसे फंड पाठक जी करते हैं. पार्लियामेंटेरियन नामक मैग्ज़ीन का प्रकाशन ये लोग करते हैं. इस मैग्जीन की प्रिंटिंग और कागज आप देख लेंगे तो चकित रह जाएंगे. इस मैग्जीन को ओरीजनल कास्ट ही हजारों रुपये है.
हजारों रुपये का एक एक न्योता भेजा जा रहा है, मोदी जी के बर्थडे में शरीक होने के लिए, सुलभ की तरफ से. महंगे निमंत्रण पत्र की होम डिलीवरी के दौरान पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि कहीं कोई छूट न जाए. खास लोगों को बाई हैंड के साथ साथ मेल से भी बर्थडे के आयोजन में शिरकत करने के लिए बुलाया जा रहा है. आखिर इतना खर्चा क्यों. पाठक जी समझदार आदमी हैं. वे जानते हैं कि इस पैसे का बड़ा रिटर्न तो पहले ही मिल चुका है, इससे बड़ा रिटर्न आगे मिलने वाला है. मोदी ने पाठक जी को ओएनजीसी से सोशल रिस्पांसिबिलिटी फ़ंड में सौ करोड़ रुपये दिलाया है. 90 करोड़ रुपये का तो भुगतान हो चुका है. यह उड़ीसा आन्ध्र में ख़र्च हो रहा है. एवज़ में बनारस के घाटों की सफ़ाई में पाठक जी ने टीम लगाई है और इस पार्लियामेंटेरियन मैग्ज़ीन के जरिए बीजेपी के प्रचार में जुटे हैं.
मजेदार है कि हर बार की तरह इस बार भी कारपोरेट और मुख्यधारा की मीडिया इन सब मसलों पर चुप्पी साधे है और जय जय का माहौल बनाए हुए है. कोई मीडियावाला अगर बिंदेश्वरी पाठक, सुलभ, मोदी, बीजेपी, अस्पताल, ठेका, स्वच्छता अभियान, मैग्जीन, बर्थडे आदि के बीच ठीक से काम करे तो उसे एक से बढ़कर एक बड़ी स्टोरीज मिलेगी, लेकिन कोई काहे मोदी और मोदी की सरकार से पंगा लेगा. आखिर सेंटर से बिजनेस भी तो मिलता है चैनलों अखबारों को. इसलिए सब तरफ जय जय है. आम जनता मरे तो मरे. मरते रोते लोगों के आंसू दिखाकर टीआरपी काटो और बाकी गरिष्ठ मसलों मामलों पर चुप्पी साधे रहो. सोचिए, अगर केजरीवाल के बर्थडे की तैयारी इसी तरह कोई उनका नजदीकी ठेकेदार कर रहा होता तो नेशनल मीडिया की सबसे बड़ी खबर क्या होती? इसे कहते हैं असली मीडिया मैनेजमेंट. पाठक जी का पठनीय कहानियां जारी रहेगी. अगर आपके पास भी पाठक जी और सुलभ को लेकर कोई कहानी है तो भड़ास के पास भेजें, मेल आईडी [email protected] है.
एक बात और बता दें. पाठक जी के सुलभ में कार्यरत वो कर्मचारी जो दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार के अस्पतालों की हाउसकीपिंग का काम करते हैं, उन्हें नियमत: जो जो लाभ सुविधाएं मिलनी चाहिए, वो नहीं मिलती. क्यों भई? जब आप प्रोफेशनली कामर्शियल काम कर रहे हैं और इसके एवज में जमकर पैसे ले रहे हैं तो अपने कर्मचारियों को मेडिकल से लेकर पीएफ आदि तक की सुविधाएं क्यों नहीं दे रहे हैं. क्या कि ये कर्मचारी एनजीओ के हैं और ये सेवा भावना से जुड़े हैं. सोचिए. लाला अपना लाभ बढ़ाने के लिए कैसे कैसे नाटक करता है. पाठक जी भी कम बड़े लाला नहीं हैं. मैला ढोने वाली महिलाओं से लेकर शौचालय बनाने तक के काम को कब कब समाजसेवा बता दिया और कब कब कामर्शियल काम दिखाकर पैसा कमा लिया, कोई नहीं जानता. समाजहित काम के नाम पर पदमश्री तक ले चुके हैं. अब भारत रत्न की तैयारी है. यकीन कर लीजिए. बिंदेश्वरी पाठक भारत रत्न के लिए फिलहाल इस सरकार की बेस्ट च्वायस बनते जा रहे हैं. बस देखते जाइए.
भड़ास के संपादक यशवंत सिंह की रिपोर्ट.
Jay Gupta
September 16, 2015 at 2:31 pm
theek ja rahe ho Yashwant Bhai ! Tridib Raman is not the only man in media management, there are more on Pathak’s pay roll.