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भास्कर का फुल पेज माफीनामा!

विश्वदीपक-

भास्कर का फुल पेज माफीनामा… हिंदी के सबसे ज्यादा बिकने वाले और ताकतवर अख़बार के पहले पेज पर प्रधानमंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने वाला यह विज्ञापन — क्या महज विज्ञापन भर है?

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नहीं. इस बधाईनुमा विज्ञापन के पीछे क्षमा प्रार्थना छिपी है.भास्कर ने गुजराती व्यापारियों के पैसे से प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर फुल पेज का माफीनामा प्रकाशित किया है.

यह माफीनामा भास्कर के उन पाठकों, शुभ चिंतकों और भारत के उन विवेकवान नागरिकों के प्रति गद्दारी है जिन्होंने भास्कर के दफ़्तर पर इनकम टैक्स की रेड को लोकतंत्र पर या अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया था.

मैंने तब भी कहा था कि भास्कर पर हुई रेड का लोकतंत्र या अभिव्यक्ति की आज़ादी से कोई वास्ता नहीं. यह सीधा सीधा हितों के टकराव का मामला था. अब स्पष्ट हो चुका है के सिर्फ एक रेड भास्कारकी रीढ़ को मोमबत्ती में बदलने के लिए काफी थी.

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ज्यादा दिन नहीं बीते जब इंडियन एक्सप्रेस में भी कुछ इसी तरह का मामला सामने आया था. एक्सप्रेस ने योगी की तारीफ़वाले विज्ञापन में कोलकाता का ओवर ब्रिज छाप दिया.

गलती किसी से भी हो सकती है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की गलती के पीछे का मनोविज्ञान समझना चाहिए. असल में विज्ञापन बनाने वाला भी जानता था कि उत्तर प्रदेश की असलियत कुछ और है, लेकिन उसे दिखाना था कुछ और. खतरनाक गड्ढों को खूबसूरत इमारत और ओवर ब्रिज की तस्वीरों से भरना था. गलती हो गई.

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अच्छी बात यह है की एक्सप्रेस ने माफ़ी मांग ली. भास्कर के अंदर वह भीसाहस नहीं.

दैनिक भास्कर की जगह दैनिक जागरण लिख दीजिए, राजस्थान पत्रिका लिखिए, एक्सप्रेस या टाइम्स ऑफ इंडिया लिखिए कोई फर्क नहीं पड़ता. भारतीय मीडिया (और समाज) का चरित्र कमोबेश एक जैसा है.

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फिर कह रहा हूं पत्रकारिता सामाजिक उत्पाद है. ताकतवर, तनी हुई, मूल्यों वाली पत्रकारिता हवा में पैदा नहीं होती. जैसा समाज होगा, पत्रकारिता भी वैसी ही होगी. उसमें भी राजनीति तो सबसे आगे है. सामाजिक तलछटों का सबसे बड़ा किनारा बन चुकी है भारत की राजनीति.

भास्कर का यह फुल पेज माफीनामा इस बात का जीवंत उदाहरण है. सब याद रक्खा जाएगा.

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2 Comments

2 Comments

  1. Sandeep

    September 17, 2021 at 8:27 pm

    जिस भी बंधु ने यह लेख लिखा है वो भास्कर को नहीं जानते हैं।भास्कर के लिए यह सिर्फ विज्ञापन है। इससे ज्यादा कुछ नहीं।

  2. Gaurav Sharma

    September 17, 2021 at 10:09 pm

    Isey maafinama nahi samman bolte hain jo aapne shayad karna nahi seekha. Muft ki rai hai ke apne pichwade ka muh band rkho or agar kuch haggne ka mood hai to isi tarah ke samman ke hakdaar apne maa baap ki liye char shabd hagg do.. shayad tumhe kucy tasalli mile or shayad unki aatma ko bhi.

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