Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

मोदी ने खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है, देखिए उनके बयान का चीन ने कितना खतरनाक मतलब निकाला!

दयाशंकर शुक्ल ‘सागर’

आप जब अनंतरराष्ट्रीय कूटनीति में देसी राजनीति में मिलावट करते है तो वही होता है जो प्रधानमंत्री के बयान के साथ हुआ. मोदी जी ने अर्ध सत्य कहा कि हमारी देश की सीमा में कोई घुसा न किसी चौकी पर किसी का कब्जा है.

ये बात पहली नजर में देसवा‌सियों को खुश कर सकती है और मोदी सरकार के नम्बर बढ़ा सकती है लेकिन कूटनीतिक लिहाज से इस तरह के बयान को अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारना कहते हैं। जैसा कि हुआ.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मोदी जी के एलान के तुरंत बाद ही चीन के विदेश मंत्रालय का ट्विट आ गया कि प्रधानमंत्री ने खुद माना है कि ‘लद्धाख इलाके में कोई बाहरी घुसपैठ नहीं हुई. और प्रधानमंत्री के बयान से ये साफ हो जाता है कि पिछले कुछ ‌दिनों से वहां जो कुछ भी घटनाक्रम हो रहा है वह चीनी इलाके में हो रहा है.’

अब आप देखिए चीन ने मोदीजी के बयान का कितना खतरनाक मतलब निकाला. अभी जो सीमा से रिपोर्ट आ रही है उसके हिसाब से चीन ने ‘हमारी’ गलवान घाटी के एक बड़े इलाके पर कब्जा कर लिया है. वहां अपनी चौकियां और बंकर बना लिए हैं. जिसे हटाने के लिए हुए संघर्ष में हमारे 20 सैनिक शहीद हुए और दस बंधक बनाए गए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

तो इन हालात में आप पाएंगे कि मोदीजी का बयान ये इशारा देता है कि भारत ने गलवान घाटी में चीन के ज़बरन यथास्थिति में बदलाव को स्वीकार कर लिया है. चीन हर बार यही करता है.

इसलिए कल आनन फानन में पीएमओ को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा. जिससे तस्वीर थोड़ी साफ हुई. पीएमओ ने पहली बार ये कबूल किया कि “इस बार काफ़ी अधिक संख्या में चीनी सुरक्षाबल लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के नज़दीक पहुंचे हैं.”

Advertisement. Scroll to continue reading.

और दूसरी बात ये कही कि “15 जून को गलवान घाटी में हिंसा इसलिए हुई क्योंकि चीनी सैनिक एलएसी के पास कुछ निर्माण कार्य कर रहे थे और उन्होंने इसे रोकने से इनकार कर दिया जिसके कारण हुई हिंसा में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए.”

यानी मोदीजी ने माना हमारी सीमा में घुसपैठ हुई और वहां चीनी सेना ने अवैध निर्माण किया हुआ है. पीएमओ ने अपने प्रेस नोट में कहा कि ये सारी बातें मोदीजी ने सर्वदलीय बैठक में बताईं. जरूर बताई होंगी लेकिन क्या ये बातें देश को विस्तार से नहीं बताई जानी चाहिए थीं? उन मां बाप को ये जानने का हक नहीं कि उनके बेटे सीमा पर किस वजह से शहीद हो रहे हैं?

Advertisement. Scroll to continue reading.

जो बातें 16 या 17 जून को देश को बताई जानी थीं वह पीएमओ ने डैमज कंट्रोल करते हुए 20 जून को बताई. पीएएओ भूल गया कि ये 1962 की दुनिया नहीं है ये 2020 है. स्टेलाइट के इस महान दौर में आप कोई भी सूचना छुपा नहीं सकते. जनसम्पर्क का एक मोटा सा सिद्धान्त है कि इससे पहले कोई सूचना आपको तोड़ मरोड़ कर गलत ढंग से पेश करे आप सही सूचना तत्काल पेश कर दें. इससे थोड़ी खलबली मचेगी लेकिन लम्बे वक्त में यह आपको फायदा ही पहुंचाएगी.

जनसम्पर्क का जो सिद्धान्त किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर काम करता है वही किसी देश पर भदी सटीक लागू होता है. इसलिए चीन का विदेश मंत्रालय पहले दिन से लम्बे लम्बे एकतरफा बयान जारी कर रहा है. जिसे हम सही मायनों में प्रोपगैंडा कह सकते हैं. लेकिन सरकार और उनके समर्थकों को लगता है कि सारा प्रोपेगैंडा ट्विटर और फेसबुक पर देशद्रोहियों द्वारा फैलाया जा रहा है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

भाजपा के लिए देश बड़ा है या प्रधानमंत्री?

राहुल कोटियाल

1961 की बात है. अक्साई चिन पर जानकारी देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने संसद में कहा था, ‘वह एक बंजर जमीन है जहां घास तक नहीं उगती.’

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस टीप पर कांग्रेस के ही एक सांसद महावीर त्यागी इतना नाराज़ हुए कि उन्होंने अपने गंजे सिर की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘मेरे सिर पर भी बाल नहीं उगते. क्या इसका ये मतलब है कि मेरे सिर की कोई क़ीमत नहीं?’

महावीर त्यागी की इस तीखी प्रतिक्रिया ने नेहरु को भरी संसद में पानी-पानी कर दिया था जो कि ख़ुद भी गंजे थे…

Advertisement. Scroll to continue reading.

यहां ध्यान दीजिए कि यह क़िस्सा 5 दिसंबर 1961 का है. यानी चीन से हुए युद्ध से क़रीब एक साल पहले का. उस वक्त तक हमारे सैनिक युद्ध में नहीं उलझे थे, उनकी शहादत नहीं हुई थी….

अब आज की स्थिति पर आइए. चीन सीमा पर हमारे बीस योद्धा शहीद हो गए और मौजूदा प्रधानमंत्री कहते हैं, ‘न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है. न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है.’

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन क्या भाजपा के किसी भी सांसद ने प्रधानमंत्री को महावीर त्यागी जैसा जवाब दिया? क्या हम ये उम्मीद कर सकते हैं कि भाजपा का कोई सांसद प्रधानमंत्री से ऐसे तीखे सवाल कर भी सकता है? नहीं न?

तो सोचिए, इनके लिए देश बड़ा है या प्रधानमंत्री…?

Advertisement. Scroll to continue reading.

चीन ने अटल बिहारी बाजपेयी से तिब्बत पर मुहर लगवा ली

शीतल पी सिंह

संघी हवाबाजों और प्रवक्ताओं ने नेहरू और 1962 के बल पर अपनी सारी कायरता छिपा रक्खी है!

Advertisement. Scroll to continue reading.

1962 में भारत चीन के इरादों और देशी परिस्थितियों का आकलन करने में विफल रहा, पराजय हुई जिससे उपजे विषाद में नेहरू जी की जान चली गई !

इसके बाद भारत ने 1965 में पाकिस्तान को हराया ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

1967 में चीन को भी सबक़ दिया कि 1962 को भूल जाओ ,जिसकी तासीर इधर ढीली होती दिख रही है!

1971 में पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बाँट दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

1984 में चीन और पाकिस्तान के देखते देखते सियाचिन ले लिया!

यह सब तब हुआ जब इंदिरा गांधी अपने खुद में खुद का वजूद बन चुकी थीं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिर चीन ने 1980 के बाद आर्थिक क्षेत्र में दूसरी अंगड़ाई लेना शुरू किया और 1993 के बाद से सीमा पर धूल धूसरित हो चुके पुराने दावों को छेड़ना शुरू किया। कुछ नये समझौते किये।

यह वह समय था जब इंदिरा गांधी आतंकवाद की बलि चढ़ चुकी थीं और कांग्रेस का पतन शुरू हो चुका था फिर राजीव गांधी भी आतंकवाद पर क़ुर्बान हुए और कांग्रेस का अवसान सच में बदल गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बीच की कुछ नई प्रयोगधर्मिता के बाद बीजेपी ने इस वैक्यूम में खुद को भर लिया। NDA की सरकार बनी। पाकिस्तान ने इंडियन एयरलाइंस का जहाज़ अपहृत कराया, आतंकी छुड़वाए और चीन ने अटल बिहारी बाजपेयी से तिब्बत पर मुहर लगवा ली!

गौर से पढ़िये , जिस तिब्बत के सवाल पर गुजराल जैसे प्रधानमंत्री ने घुटने नहीं टेके थे उसको बीजेपी और दक्खिनी टोले के सबसे बड़े इतिहास पुरुष अटल बिहारी बाजपेयी ने चीन की टेरिटरी मान कर हाथ मिला लिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दरअसल विपक्ष में रहकर संघी घराना और इसके स्टार देशभक्ति की दुकान चमकाए रखने के लिये पाकिस्तान और चीन के ख़िलाफ़ वातावरण एकदम “लाल” रखते हैं और दिल्ली में जो भी सत्ता में जब जब रहा उसको कमजोर बताते रहे हैं पर जब जब बीजेपी खुद सत्ता में आती है तो सबसे पहला काम पाकिस्तान और चीन से संबंध सुधारने के लिये किसी भी स्तर तक लेटायमान होने का करती है । अटल जी बस लेकर लाहौर गये थे और मोदीजी ने नवाज़ शरीफ़ की अम्मा में अपनी माताजी की तस्वीर देख ली थी, बिन बुलाए उसकी नातिन की शादी में न्योतहरी बन कर पहुँच गये थे!

पर वक्त ने इनके अंतराष्ट्रीय कूटनीति और विदेश नीति पर हर बार बहुत कड़वे सबक़ दिये हैं न ख़ुदा ही मिला और न विसाले सनम।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चीन के मामले में तो मोदी जी ने चापलूसी का हर रिकार्ड तोड़ डाला बस रिश्तेदारी घोषित करने का काम बचा रह गया। भारत के किसी प्रधानमंत्री ने इतनी बार चीन का दौरा नहीं किया जितनी बार साहेब लपर लपर कर आये। बाक़ी प्रधानमंत्री सब मिलाकर जितनी बार चीन गये थे उतना साहेब अकेले सैंत आये और नतीजा …….वो हमारी सीमा में घुसे नहीं हैं…….बस बारडर पर लाठी सरिया लेकर खड़े हैं ……..

मतलब नट शेल में ये है कि….मारते मारते मरे…!

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. Rajan

    June 21, 2020 at 11:04 pm

    सही है बॉस, आखिर चीन मान गया की उसके घर में घुस कर मारा है
    ये 2020 है, 1962 नहीं,
    भारतीय सेना अब सिर्फ घर में घुस कर मारेगी ही नहीं,
    घर खाली भी कराएगी

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement