: कानाफूसी : जी हां. ये गासिप यानि कानाफूसी कैटगरी की खबर जरूर है, लेकिन है सोलह आने सच. देश का एक बहुत बड़ा अंग्रेजी अखबार इन दिनों मोदी के ‘हनुमान’ के इशारों पर नाचता है. आप गौर करिए. पिछले कई महीने से अंग्रेजी का यह बड़ा अखबार आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ एक कैंपेन छेड़े हुए है. क्यों? कभी सोचा आपने? अंदर की खबर ये है कि इस अखबार के सीईओ को जनवरी माह में मोदी के ‘हनुमान’ ने फोन कर बुलाया. तब सीईओ ने बताया कि वो तो इंदौर में हैं.
मोदी के ‘हनुमान’ ने कहा कि आपको दिल्ली लाने के लिए चार्टर्ड प्लेन भेज रहा हूं, सवार होइए और आ जाइए, अर्जेंट मामला है. सीईओ साब आए और बैठक शुरू हुई. मीटिंग में मोदी के हनुमान ने साफ़ साफ़ धमकी दी- “बहुत हो गया केजरीवाल केजरीवाल.. बंद करो इसे.. तुम लोग हमारी राजनीति खराब कर रहे हो… और, हम लोग तुम्हें खराब कर सकते हैं..” मोदी के हनुमान ने धमकी दी कि भाजपा का लोकसभा में हजारों करोड़ रुपये का बजट है, अगर बात नहीं मानी तो एक पैसा नहीं मिलेगा और अगर भाजपा की सरकार बनी तो तुम्हारे ग्रुप के लिए परेशानी पैदा हो सकती है.
मोदी के हनुमान की साफ-साफ धमकी को अंग्रेजी अखबार के सीईओ साहब बखूबी समझ गए. उन्होंने अपने मालिकों को यह सारी बात बताई. मालिक लोग अपने पिता के हश्र से पूरी तरह परिचित थे. किस तरह सत्ता सिस्टम के क्रूर नजर ने उनके पिता को ऐसी-तैसी करा दी थी. इसलिए मालिकों ने फैसला करने में देर नहीं लगाई. पत्रकारिता, सरोकार और तर्कशास्त्र को एकतरफ सरका दिया. कह दिया कि अब से भाजपा गान शुरू करो, केजरीवाल के खिलाफ लिखना शुरू करो.
बताया जाता है कि अंग्रेजी के इस बड़े अखबार को लोकसभा चुनावों में अच्छा खासा आफ दि रिकार्ड पैसा मिला. यह अखबार उसी कर्ज के बोझ तले दबे अब केजरीवाल को निपटाकर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनाने के लिए कटिबद्ध है. इसी के तहत आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के खिलाफ कैंपेन छेड़ दिया गया है. असल में जब केजरीवाल की दिल्ली में सरकार बनी थी तो सारा मीडिया केजरीवाल का दीवाना हो गया था. यह बड़ा अखबार भी केजरीवाल के कसीदे पढ़ता था और इनकी वर्किंग स्टाइल को सबसे उम्दा मानता था. लेकिन धमकी और कैश ने अखबार के तेवर को यूं मंद किया कि अब यह एकतरफा तौर पर केजरीवाल विरोधी खबरें छापने लगा है.
देश की जनता, वो भी दिल्ली की, बहुत समझदार है. वह देख रही है कि किस तरह मीडिया पिछले दो साल से मोदी के लिए एकतरफा कंपेन कर रहा है. ऐसे में अगर सच्चा लोकतंत्र बनाए बचाए रखना है तो केजरीवाल जैसे शख्स को दिल्ली प्रदेश की बागडोर सौंप देना चाहिए. इसी शख्स ने अंबानी अडानी जैसे बड़े बड़े कारपोरेट घरानों से लेकर बिजली कंपनियों, बैंकों आदि की पोल खोलकर इन पर अंकुश लगाने की कोशिश की थी. इसी कारण अब कार्पोरेट घराने और कार्पोरेट मीडिया नहीं चाहता कि उनके लूटतंत्र में केजरीवाल जैसा कोई खलल डालने आ जाए.
Ram Singh
December 7, 2014 at 11:51 am
खबर को पढ़ने के बाद ऐसा आभास हो रहा है कि ‘हनुमान’ हमारे श्री अमित शाह है, सीईओ ‘रवि धारीवाल जी’ हैं और अख़बार ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ है.
वैसे मैं गलत भी सकता हूँ, मगर अभी होता नहीं….!!!
Rahul100
December 7, 2014 at 12:15 pm
It is not just newspaper TOI but even Times Now too. The latest story done by that dolt and idiot called Arnab Goswami on AK’s Business Class Ticket is the latest example. At least till the elections last u can expect many such stories from Arnab Goswami.
Insaan
December 7, 2014 at 1:42 pm
ऐसा लगता है कि आवाजाही-कानाफूसी पत्रभाग अलग से अपनी पनवाड़ी की दुकान लगाए ताश्ट्रवादी मोदी सरकार को गिराने में लगा है। पत्रकारिता की आड़ में इस कानाफूसी को सौलह आने सच कहे जाने वाली आवाजाही को अभी मोदी के हनुमान तक पहुंचाने की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि राहुल१०० और राम सिंह जैसे इक्का दुक्का लोग पनवाड़ी की दूकान पर क्षण भर रुक अपने रोजमर्रा के जंजाल में खो जाते हैं। तुम्हारे सीईओ को कोई फोन नहीं करेगा, बोले जाओ बरखुरदार! यह दूसरी बात है कि तुम्हारे जैसे नालायक लोगों की वज़ह से आज भारत में हिंदी भाषा की दुर्दशा हुई है।
Insaan
December 7, 2014 at 2:00 pm
Rahul100, the sad part is we do not have the kind of journalism that has successfully impacted every aspect of life in the West. We have only the आवाजाही-कानाफूसी in the name of journalism. Read “Journalism” under Wikipedia for some understanding of the word. I hope Modi’s Hanuman brings about pro-nation change in the media, especially in the Hindi language media.
shubhabrata
December 7, 2014 at 2:42 pm
जनवरी में मोदी का या बीजेपी का कोई दम नहीं था मीडिया पर कंट्रोल करने का…
उस समय मीडिया कांग्रेस के रहमो करम पर जिन्दा थी. हलाकि तब भी मार्च के महीने तक मीडिया केजरी को हीरो बनाके घूमती थी क्योंकि मीडिया को मालूम था की ये भी कांग्रेस का ही टट्टू है
मार्च के महीने में केजरी ने पूरे मीडिया को बिका हुआ बताया था और उस समय तक देश का मूड भी बीजेपी के समर्थन में साफ़ साफ़ दिखने लगा था तब मीडिया ने कांग्रेस की भी परवाह न करते हुए सच दिखाना शुरू कर दिया था और वही समय था जब मीडिया ने केजरी के पीछे भी लात मारा था वरना उससे पहले तक मीडिया कजरी को हीरो बनाके घूमती थी
हर बात में बीजेपी की गलती ढूंढने वाले तो WTO पर आक्रमण को भी बीजेपी और आरएसएस की चाल बताते रहते हैं पर देश के लोग अब “सुतिये” नहीं रहे जो कुछ भी बोल दो लोग मान लेंगे सारा का सारा इनफार्मेशन गूगल पर मिल जाता है हाँ जो आँखों वाले लोग अंधे बनना चाहते है वही इन सब बातों पर बिस्वास करते हैं और लगता है आजकल कुछ ब्लैकमेल करने वाले पत्रकारों का धंधा बंद सा हो गया है
insaan
December 7, 2014 at 3:09 pm
Ram Singh, आप आवाजाही-कानाफूसी को खबर समझ कर उसमें उलझ कर रह गए हैं| सच तो यह है कि हिंदी भाषा में लिखने-पढ़ने वाले सदैव आवाजाही-कानाफूसी में उलझ अपनी सोचने की शक्ति ही गंवा बैठे हैं| इन्हीं हिंदी भाषा में लिखने-पढ़ने वालों में कुछ एक अपने पत्रकार स्वरूप द्वारा हिंदी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में इतने निम्न स्तर पर ले गए हैं कि भारत में स्वयं हिंदी भाषी रोजी-रोटी के लिए अध-पकी खिचड़ी विदेशी भाषा के सहारे दीमक की भांति भारतीय समाज को ही खोखला किये जा रहे हैं| भाषा ज्ञान से अधिक इन आवाजाही-कानाफूसी पत्रकारों में सकारात्मक अथवा विश्लेषणात्मक परिपक्व सोच के अभाव के कारण हिंदी भाषा कभी रुचिकर बन ही नहीं पाई| आज हिंदी-भाषी मीडिया भारतीय समाज व राष्ट्र-विरोधी बन कर रह गया है| समय आ गया है कि हिंदी-भाषी मीडिया में राष्ट्र-वादी परिवर्तन द्वारा इसके ढांचे को ही पूर्ण रूप से बदलना होगा|
आर्तिमान त्रिपाठी
December 7, 2014 at 4:04 pm
“भाजपा का लोकसभा में हजारों करोड़ रुपये का बजट है.”
लिख तो दिया, अब इसका मतलब भी समझा दें हुजूर, तो शायद बात कुछ समझ में आ जाये.
LOON KARAN CHHAJER
December 8, 2014 at 12:59 pm
भारत को बचाना है तो केजरीवाल को मौका देना ही चाहिए नहीं तो लोकतंत्र की आत्मा भारत व विशेष रूप से दिल्ली के मतदाताओं को कभी माफ़ नहीं करेगी।
Insaan
December 8, 2014 at 1:12 pm
LOON KARAN CHHAJER, अभी तो भाई इंडिया को बचाओ और इसे अरविन्द केजरीवाल से दूर ही रखो| देखो अकेला किसकी गोद में जा बैठता है? जब कभी इंडिया बच जाएगा तो बचे-खुचे देश का इंडियन नहीं बल्कि भारतीय लोग भारत के नाम से पुनर्निर्माण करेंगे|
sant
December 8, 2014 at 2:11 pm
bhuke logo ko rasmalai ka spana hamesha achcha lagata h or sapane to spane hote h ab fir unko dikhane walla koi bhi ho
tariq
December 10, 2014 at 1:24 am
Modi ke nirwachan chetra se 6.5 lagbhagh farji voteres per media aur Anna Ramdev kejriwal Ku khamosh hai
Akshay
December 12, 2014 at 5:04 am
your article is really good….but just one request …dont use hanumanji’s name to describe filthy politician …hanumanji bhagwaan the aur ye amit shah saala do take ka chor hai…AK rocks …..jai sri Ram
बादल
December 11, 2014 at 12:26 pm
कहीं दाल में कुछ काला है जो बीजेपी ने चुनाव करवाने के लिए राज़ी होने में 6 महीने लगा दिए..लोकतंत्र की रक्षा के लिए मजबूत विपक्ष का होना बहुत ही ज़रुरी है..सिर्फ केजरीवाल ही पूरे विपक्ष की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले सकता है..इसलिए केजरीवाल जरूरी है-मोदी तो मज़बूरी है ! 🙄
Shrimat Singh
December 11, 2014 at 3:03 pm
आपके कहने से कोई केजरीवाल को क्यों सौंप दें भई दिल्ली की कमान? किसी भी अखबार और चैनल पर आरोप लगा देना बेहद आसान है। जब ये सारे केजरीवाल के भजन गाए जा रहे थे, तब तो कोई आपत्ति नहीं हुई आपको।
Ajay Kumar Sharma
December 11, 2014 at 6:28 pm
Its very sad for Indian democracy that Criminals entered into parliament with the help of first- fourth pillar of indian democracy. Our freedom fighters or founder never imagined that criminal or Corrupted peoples will be joining the politics.
Ajay Kumar Sharma
December 11, 2014 at 6:34 pm
🙂
Sunil
December 11, 2014 at 8:57 pm
BJP leaders are spreading false news that nobal prize winner is Stayender vadhivargiye is bjp leader. Why media is silent.
Sandeep
December 12, 2014 at 12:42 pm
😛 😀 😀 😆 🙂 😉 8) 😐 :-* 😳 🙁 😥 😮 😕 😡 😮 :zzz 🙄 :sigh:
इंसान
December 13, 2014 at 9:14 am
Akshay, तुमने दोनों, “हनुमान” और अमित शाह, के लिए गलत विचार प्रस्तुत किये हैं| मर्यादा पुरुषोतम श्री भगवान राम स्वरूप चरित्र के राष्ट्रवादी नरेन्द्र मोदी के सहायक व अनुरक्त मित्र को “हनुमान” कह संबोधन करना कतई गलत नहीं है| कानाफूसी करते बड़बोले ने श्री अमित शाह को अथवा किसी और मोदी (जी) के व्यक्ति-विशेष के नाम से “हनुमान” नहीं कहा है| श्री अमित शाह के लिए अपमानजनक अपशब्द कहते तुम्हें शर्म आनी चाहिए| भड़ास४मीडिया.कॉम को इस आवाजाही-कानाफूसी, उस पर समस्त टिप्पणियों, और उन पर पसंद नापसंद के भाव को श्री अमित शाह के ध्यान में लाना चाहिए|
Dr Salil Saha
December 14, 2014 at 6:31 pm
I think Modi and BJP shamelessly will not hesitate even bringing ISIS to India and use them to win against AK and AAP in Dehli and for that matter any of the future election in India
Deepak
December 15, 2014 at 1:09 pm
केजरीवाल जी आप ने 49 दिनों मैं क्या किया। बिजली के बिल कम हुए। पानी फ्री मिला। S.I.T बनाई गई। C.A.G ऑडिट कराया।
बीजेपी नरेंदर मोदी जी ने क्या किया 8 महीने मैं। केजरीवाल भाग गया। जानता को धोखा दिया। केजरीवाल बागोडा है।
PRADEEP KUMAR
January 15, 2015 at 10:49 am
MEDIA PAISO KI GULAM HAI JIDHAR PAISA MILTA UDHAR HO LETI HAI 😆