Amitaabh Srivastava-
उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल के बीच नोएडा में ज़ेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास के मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण बहुत फीका और बेजान था।
बीजेपी उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए विकास की बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणाएँ कर रही है और मीडिया में उस सबका ख़ूब ढिंढोरा भी पीटा जा रहा है।
लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को विकास के मुद्दे पर जीत का बहुत भरोसा नहीं दिख रहा वर्ना वह इस मौक़े पर विपक्ष पर हमला करने के लिए अपने भाषण में ध्रुवीकरण के पैंतरे के तौर पर जिन्ना का ज़िक्र न करते।
Sheetal P Singh-
रेलवे प्लेटफार्म टिकट पचास की जगह दस का हुआ…
गर यूपी चुनाव में पब्लिक कस लें तो पुराने नोट तक वापस चलन में आ सकते हैं!
कमाल के महाबली हैं 56″!
Ravish Kumar-
यूपी में चुनाव के कारण सभी को मुफ़्त अनाज देने की योजना जारी रहेगी। यह अच्छी बात है। हाल में ख़बर आई थी कि यह योजना अब समाप्त की जाती है। इसके बाद यूपी सरकार ने कहा था कि उनके राज्य में जारी रहेगी और 15 करोड़ ग़रीबों को मुफ़्त अनाज दिया जाता रहेगा। लेकिन अब केंद्र में फिर से कह दिया है कि मार्च तक यह योजना जारी रहेगी।
अभी चुनाव को देखते हुए खातों में पैसे भी जाएँगे और अनाज भी मिलता रहेगा। मुझे नहीं पता कि भारत में और कौन सा राज्य है जहां 15 करोड़ गरीब हैं। फ़िलहाल के लिए माना जा सकता है कि भारत में सबसे अधिक ग़रीब यूपी में हैं। चुनाव के कारण लोगों का कुछ तो भला हो। महंगाई के कारण लोगों की कमर टूट गई है। एक साल तक ख़ून चूस कर लोगों के पैसे निकाले गए। अब चुनाव के कारण सब सस्ता किया जाएगा।
सोचिए चुनाव नहीं होते तो यह योजना बंद हो गई होती। इसलिए कभी एक देश एक चुनाव नहीं होना चाहिए। चुनाव के कारण ही पेट्रोल के दाम कुछ कम हुए हैं वरना सरकार को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था। लोगों ने महीनों सौ रुपए से अधिक लीटर पेट्रोल भराए हैं। उनकी जेब ख़ाली हो गई है।
ज़ेवर में बन रहे एयरपोर्ट से कितना रोज़गार मिलेगा?
इस योजना से मिलने वाले रोज़गार को लेकर अख़बारों में तीन आँकड़े हैं। तीनों अमर उजाला में छपे हैं। जानकारों के नाम पर दिए जाने वाले रोज़गार के आंकडों की कोई विश्वसनीयता नहीं होती क्योंकि उनका न चेहरा होता है और न नाम छपता है। अमर उजाला ने 2019 में छापा था कि इस प्रोजेक्ट से सात लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा। फिर हाल में छापा कि साढ़े पाँच लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा। ढाई लाख रोज़गार केवल ख़बर छपने के दौरान कम हो गए। अब जो सरकारी विज्ञापन आया है उसमें रोज़गार की संख्या एक लाख बताई जा रही है। किस तरह के रोज़गार होंगे इसकी कोई जानकारी नहीं हैं। कम पैसे में रखे जाने वाले सुरक्षा गार्ड होंगे या पोर्टर होंगे। इस तरह का कोई वर्गीकरण नहीं होता है। केवल एक लाख रोज़गार बताया जाता है।
पिछले साल अक्तूबर में नितिन गड़करी ने असम में मल्टी मॉडल लॉजिस्टक पार्क का शिलान्यास किया था। यह योजना सात सौ करोड़ की बताई गई है। मंत्री ने ऑन रिकार्ड कहा है कि इससे बीस लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा।
अब आप दिमाग़ लगाए, बस एक पल के लिए उसके बाद राजनीति में धर्म और तीर्थयात्रा की बात करने चले जाइयेगा।
नोएडा में बन रहा एयरपोर्ट कभी पाँच हज़ार तो कभी दस हज़ार करोड़ का बताया जाता है। हो सकता है इससे ज़्यादा हो। लेकिन रोज़गार एक लाख ही पैदा होंगे। दस हज़ार करोड़ के प्रोजेक्ट से एक लाख रोज़गार और सात सौ करोड़ के प्रोजेक्ट से बीस लाख रोज़गार?
समझे ? बिल्कुल मत समझिए।
धर्म की बात कीजिए। तीर्थयात्रा का टिकट कटाई और मस्त रहिए।
बस किसी से न कहें कि आप बेवकूफ भी हैं। बताने की कोई ज़रूरत नहीं है।