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सियासत

बजट 2018 : टूटते मिथक… मोदी का 4 साल का भारत…

2018 के जेटली बजट के लिए मेरे पास एक शब्द है. वो है दूरदर्शी बजट. यह तस्वीर आपको तब दिखेगी अगर आप पिछले तीन साल के बजट को इस साल के बजट के साथ मिलाकर देखें. किसानों को खरीफ की फसल के समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना करने की घोषणा हुई. जिसका बहुत मतलब इसलिए नहीं है क्योंकि कई सरकारें किसानों की फसलों को बाजार मूल्य पर (समर्थन मूल्य से ज्यादा) खरीदने का फैसला पहले ही कर चुकी हैं.

साथ ही किसानों की फसलों के लिए बाजार भी उत्पादन क्षेत्र के पास ही मुहैया कराया जा रहा है. किसानों को मोदी की फसल बीमा योजना से बीते साल में क्रांतिकारी राहत मिली. इसकी अगली कड़ी नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम है. जिसमें 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का हेल्थ बीमा दिया जायेगा. यानि पहले किसानों के व्यापार में जोखिम को कम किया, फसल के बदले बाजार मूल्य पर अच्छे दाम दिलाये और अब गरीबों-किसानों का अस्पतालों का खर्च भी नहीं के बराबर हो जायेगा. 2022 तक हर गरीब के लिए पक्का मकान दिलाने का वादा करने वाले मोदी प्रधानमंत्री बनते ही साफ कर दिये थे कि उनकी प्राथमिकता लोगों को नौकरियां दिलाने की जगह स्वरोजगार और स्वकारोबार है. मोदी के बजट में गरीब-पिछड़ा-किसान-मजदूर वर्ग ही केंद्र बिंदु रहे. जिनमें से 8 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन भी दिया जाना है. आर्थिक रूप से भार समझे जाने वाला ये वर्ग आने वाले समय भारत की बुनियादी ताकत साबित हो रहा है.

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बजट बनाते समय प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री जेटली के सामने विश्व और देश के अंदर से मिलने वाली चुनौतियां और संपूर्ण विकास की अवधारणा केंद्र बिंदु में होती है. मोदी की दूरदर्शिता के चलते ही चीनी विशेषज्ञों ने गंभीरता से अपनी चीनी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि भारत में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद हिंदुस्तान की खतरा लेने की क्षमता में अपार बढ़ोतरी हुई है. यह क्षमता रक्षा और आर्थिक दृष्टि के साथ मोदी को मिल रहे आम आदमी के मौन समर्थन को लेकर भी हैं. ‘चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ (CIIS) के उपाध्यक्ष ने कहा है कि बीते तीन वर्षों के दौरान भारत की कूटनीति बेहद मुखर और ‘मोदी सिद्धांत’ के तौर पर बढ़ी है.

इस बात को इस तरह भी समझ सकते हैं कि मोदी सरकार किसी भी वक्त चीन-पाकिस्तान के हमले को एक साथ झेलने के लिए खुद को तैयार कर रही है. रक्षा और खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भरता और युद्ध काल के समय की संपूर्ण तैयारी कर चुकी है. जिसके कारण युद्ध होने पर नागरिकों पर उसका असर कम से कम पड़े. ऐसा तभी संभव है जब लोगों को बुनियादी जरूरतें पूरी होती रहें जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य सुविधायें और जीवन-यापन की व्यवस्था. यह व्यवस्था गैस सिलेंडर, बिजली, पानी और स्वच्छता अभियान को संपूर्णता में देखकर ही समझा जा सकता है.

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शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं पर खर्चे के जुगाड़ के लिए सेस 1 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया है. रोजगार पैदा करने के लिए छोटे और मझोले कारपोरेट सेक्टर पर 25 फीसदी टैक्स ही लगाया गया है. 250 करोड़ रुपये तक की कारोबारी कंपनियों के लिए टैक्स दर में देश के कारोबारी वातावरण को और प्रतिस्पर्धात्मक और रोजगारपरक बनायेगा. लघु उद्यमियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2015 में प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा योजना के लिए तीन लाख करोड़ रुपये दिया है. 2018 में बजट पेश होने से पहले ही मोदी सरकार पर चुनावी बजट पेश करने का आरोप लगने लगा. हालांकि बजट के बाद नौकरीपेशा और मध्यमवर्गीय लोगों की आशाओं पर वज्रपात हो गया.

कई विशेषज्ञ हैरान हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनावी साल में आखिर कैसे इतना खरा-खरा बजट पेश कर सकते हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य और मीडिया में मध्यम वर्ग की भारी दखल लोकप्रियता की चाह रखने वाली सरकारों पर दबाव बनाये बनाये रखती है. मध्यम वर्ग अभी तक की सरकारों को यह संदेश देने में सफल रही है कि किसी भी सरकार के पक्ष या विपक्ष में जनमत निर्माण में इनकी बड़ी भूमिका होती है. लेकिन इससे बेखबर मोदी स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे संसाधनों की राह गांवों की ओर मोड़ रहे हैं.जिसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के लिए 14.34 लाख करोड़ रुपये दिये गये हैं. इसमें जरा भी संदेह नहीं कि इसमें वक्त लग रहा है, लेकिन ये भारत के सतत् विकास की राह है.

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प्रसून शुक्ला

संपादकीय सलाहकार

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0 Comments

  1. Shiv Lal

    February 2, 2018 at 12:25 pm

    प्रसून शुक्ला ने बजट का सही अांकलन कर दिखाया है, जो कि सुखद भविष्य का संकेत है। इससे मध्यम वर्ग का मिथक भी टूट गया है कि वही सरकार बनाने अौर चलाने मे समर्थवान है अौर उनकी ही सुनवाई होनी चाहिए। रहा मीडिया वर्ग, वह भी हर वर्ग की तरह अपना भला चाहने की इच्छा में इधर-उधर भटकाव पैदा करता रहता है।

  2. ambrish

    February 3, 2018 at 4:07 am

    Shriman shukla ji aap bahut bade rashtrabhakt (vartman me prachlit) hai ye aapne lekh ke madhyam se saaabit kiya hai, FORBES ne bhi kuch kaha hai kripya use bhi dekh le. 2018 aa gaya yah bhi vartman sarkar aur pant pradhan ki den hai..
    rgds

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