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मोदी की नाक के नीचे राज्यसभा चैनल की नियुक्तियों में भारी खेल चल रहा है!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही कितनी भी पारदर्शिता की बात कर लें, लेकिन सरकार की नाक के नीचे नियुक्तियों में भारी खेल चल रहा है। उसे वे नहीं रोक पा रहे हैं। ताजा उदाहरण राज्यसभा टीवी चैनल का है। सितंबर माह में चैनल ने कुछ पदों के लिए विज्ञापन दिया था, जिनमें चार अंग्रेजी एंकर के पदों का इंटरव्यू 27 अक्टूबर को हुआ। मजेदार बात यह है कि इस इंटरव्यू में कई ऐसे प्रतिभागी भी बुलाए गए हैं, जिन्होंने कभी अंग्रेजी की एंकरिंग नही की।

<p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही कितनी भी पारदर्शिता की बात कर लें, लेकिन सरकार की नाक के नीचे नियुक्तियों में भारी खेल चल रहा है। उसे वे नहीं रोक पा रहे हैं। ताजा उदाहरण राज्यसभा टीवी चैनल का है। सितंबर माह में चैनल ने कुछ पदों के लिए विज्ञापन दिया था, जिनमें चार अंग्रेजी एंकर के पदों का इंटरव्यू 27 अक्टूबर को हुआ। मजेदार बात यह है कि इस इंटरव्यू में कई ऐसे प्रतिभागी भी बुलाए गए हैं, जिन्होंने कभी अंग्रेजी की एंकरिंग नही की।</p>

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही कितनी भी पारदर्शिता की बात कर लें, लेकिन सरकार की नाक के नीचे नियुक्तियों में भारी खेल चल रहा है। उसे वे नहीं रोक पा रहे हैं। ताजा उदाहरण राज्यसभा टीवी चैनल का है। सितंबर माह में चैनल ने कुछ पदों के लिए विज्ञापन दिया था, जिनमें चार अंग्रेजी एंकर के पदों का इंटरव्यू 27 अक्टूबर को हुआ। मजेदार बात यह है कि इस इंटरव्यू में कई ऐसे प्रतिभागी भी बुलाए गए हैं, जिन्होंने कभी अंग्रेजी की एंकरिंग नही की।

ऐसे ही एक एंकर दंपत्ति, इस समय एक डूबते हुए मीडिया हाउस में एंकर हैं, वे भी इसमें शामिल हुए। इन्हें अंग्रेजी बिल्कुल नहीं आती। फिर भी इन्हें कुल बुलाए गए 70 प्रतिभागियों में से टॉप-10 में चयन कर लिया गया है। इसके पीछे योग्यता नहीं, बल्कि बड़े राजनीतिक पार्टी से जुड़े राजनेताओं की सिफारिश है। लोग इस मामले को लेकर आरटीआई लगाने की तैयारी कर रहे हैं।

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भोपाल से भेजे गए एक पत्रकार के पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. joy tharoor

    November 3, 2015 at 1:51 pm

    Its funny to read such a mail sent by sm so called journalist from bhopal……at least this time i can say it was crystal clear process adopted by rajyasabha tv as many of my friends who went for walk in interview had very good contacts in corridoors of power but didnt meet the required eligibility and were asked to leave…..
    Secondly mr.bhopal who are u to decide on anyone’s talent…english media is very diffrent and one thrives only on talent….i can say that as i myself works in an eng channel….here no anchor can b put on air just to please someones ego or senses….and u anonymous pawn….u havnt gone through the list of shortlisted candidates nicely…except two of rstv,’s own anchors all shortlisted names are respected and wise names as per their profiles and experience..
    …god knows alone why few people are badly jealous and alwaysooming for sm cheap game of disrespecting othetrs who are since years provibg to be far far better and sane then them…
    I afraid if their soul will ever b free from All this dirt or not……
    God save them…..such fools dnt knw what are they doing!!

  2. aashimadutta

    November 2, 2015 at 11:24 am

    पहली बात की जिनका हाजमा राज्यसभा अंग्रेजी की नियुक्तियों से ख़राब हो गया है उन्होंने ddnews इंग्लिश की तीन महीने तक चली नियुक्ति प्रक्रिया अचानक सिरे से ख़ारिज करने पे डकार तक नहीं लिया। जिसमे देशभर से 4000 लोग शामिल हुए थे। उस पर तो rti डाली भी जा चुकी है जिसका कोई जवाब नाहीआय।
    इस बार तोह जग जाहिर है की राज्यसभा में नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कितनी पारदर्शिता और कड़ाई बरती गयी।
    प्रतिभा किसी के बाप की मोहताज नहीं होती और इस बार राज्यसभा के अपने पहले दो anchors के sivay सभी shortlis ted candidate हिंदी background के ही है।
    बात रही doobte चैनल की तोह इस चैनल में दलालो का साम्राज्य रहा जिसने ये हालात की है आज यहाँ की और वो लोग जो इससे डूबता बता रहे है।खुद हर जगह जगह एंकर के लिए नौकरी तलाश रहे है।जिन्होंने सहारा में करोड़ो के वारे न्यारे किये और चैनल हेड करने का परम अनुभव और सनक दोनों है। वही यही से लगातार लोग बेहतर जगह पे मूव कर रहे है।
    कुंठित लोग हर चीज़ में कुंठित ही रहते है। जनाब आपको अगर उतनी भी अंग्रेजी आती थी तोह पहुँच जाते। बेटी की शादी का न्यौता तोह था नहीं। वाक इन इंटरव्यू था।
    और हिंदी एंकरिंग की तरह अंग्रेजी में कुछ भी नहीं चल सकता ये हम सब जानते है।
    टीवी पे सचाई आ ही जाती है पहले ही दिन।
    इस्लिये कुंठा और व्यर्थ चितन से बेहतर है। आप भी थोडा अंग्रेजी सीख ही लीजिये।

  3. aashimadutta

    November 2, 2015 at 11:29 am

    और भोपाल में इस डूबते चैनल का कौन शख्स रिमोट control से काम करवाता है। ये समझने में ज्यादा दिमाग लगाने की ज़रूरत नहीं।

  4. Sunny Singh

    November 3, 2015 at 2:14 am

    सितंबर महीने में राज्यसभा में हुए Consultant Anchor के वॉक इन इंटरव्यू में मैं भी प्रतिभागी के रूप में गया । इस पोस्ट के लिए जो अनिवार्य योग्यता की मांग की गई थी, मैं उन सभी मांगों में खड़ा उतरता था । मैंने मेनस्ट्रीम मीडिया में लंबे अर्से तक काम किया और आज भी करता हूं । इंटरव्यू पैनल में 6 मठाधीशों की टीम बैठी थी जो प्रतियोगियों से सवाल पूछ रही थी । कमोबेश सभी से एक जैसा ही व्यवहार था, फर्क बस इतना था कि जो एंकर आए थे उनसे कुछ कठिन सवाल पूछे गए हाल की घटनाओं पर । मेरी बारी आई तो मुझे कहा गया कि मैं तो अंग्रेजी एंकर हूं बी नहीं । वैसे कोई भी प्रतिभागी अंग्रेजी एंकर नहीं रहा या रही थी । क्योंकि विज्ञापन में ऐसी कोई बात ही नहीं कही गई थी । हद तो तब हो गई जब 6 मठाधीसों में से एक, सरदार ने एक महिला प्रतिभागी को अपना नाम इस इंटरव्यू से वापस लेने को कहा, ये कहकर की उन्हें ज़ीरो मार्क्स मिला है और उनकी उम्र को देखते हुए ये सही नहीं लगता कि उसके इस मार्क्स को सार्वजनिक किया जाए । शुरू से आखिर तक सबकुछ उस दिन फ्रॉड लग रहा था । मानों किसी अपने को इस औहदे में रखने के लिए ये नाटक खेला गया हो । सवाल मेरा है कि क्या इस घटना को आप लोग अपने वेबसाइट पर डाल सकते हैं । और क़पया बताएं कि हम कैसे इस फ्रॉड को उजागर करें ताकी आगे से ये मठाधीश किसी सरकार चैनल को अपने बाप की जागीर ना समझें । धन्यवाद

  5. shambhu

    November 13, 2015 at 2:43 pm

    सन्नी जी सभी मानकों में “खड़े” उतरते हैं ,इनको लो भाई

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