अपुन लोग पत्रकार हैं. न भक्त हैं न चमचे हैं. न पत्तलकार हैं. न दलाल हैं. अपुन लोग रिस्क ले कर लिखते हैं. अपुन लोग रिस्क लेकर सत्ताधारियों की आलोचना करते हैं. अपुन लोग के लिए फेंकू मोदी हों या पप्पू राहुल, जो भी सत्ता में होगा, उसके हर पल के कामकाज की मीनमेख निकाली जाएगी. क्योंकि अपुन लोग जनता के प्रति उत्तरदायी हैं, उस जनता के प्रति जिसने मोदी को तीन सौ पार जिता कर फिर पीएम बनाने के लिए भेजा है.
वही जनता अपुन लोग को इस लोकतंत्र में ताकत देती है कि देखना मीडिया वाले भइया, मोदी जी कुछ गलत करें तो खाल खींचना और हमको भी बताना… तो हम भक्तों, चमचों, दलालों, पत्तलकारों, नेताओं, नौकरशाहों के प्रति कतई जवाबदेह नहीं हैं.. हम इस देश की सवा सौ करोड़ से ज्यादा की जनता के प्रति जवाब देह हैं. यही हमारी ताकत है. यही हमारा स्वाभिमान है.
हां ये सच है कि सौ फीसदी मुख्य धारा की मीडिया का रिमोट देश के धनपशुओं के हाथों में है और ये मुख्यधारा अब दलाल धारा की तरह प्रवाहित हो रही है… लेकिन उससे क्या… मीडिया की एक क्षीण लेकिन बेहद वोकल, लाजिकल और साहसी धारा हमेशा रहेगी. भक्तों, चमकों, पत्तलकारों, दलालों से अनुरोध हैं अपुन के वाल पर ज्ञान पेलने न आवें वरना टेंटुआ दबा दिया जाएगा, ब्लाक ब्लाक वाला…
सेलरी लो, आईटी सेल में काम करो, यह भी जाब का एक फार्मेट है. लेकिन दिल दिमाग इतना सेंसेटिव रखो, इतने धैर्य में रखो कि अपने नेता की बुराइयां भी पढ़ सको.
मैंने पूरे चुनाव भर में कोई पोलिटिकल पोस्ट न लिखा. वजह कि चुनाव तो आते जाते रहेंगे, अपना काम शेष बचे समय में सत्ता के गुण-दोष-धर्म पर लिखना, बताना, समझाना है.
इस चुनाव नतीजे को आशावादी तरीके से देखता हूं. हार और मुश्किलें सदा आपको मजबूत बनाने, नए मौके दिलाने के लिए आते हैं. इनका इस्तेमाल समझदार लोग खुद को अपग्रेड करने के लिए करते हैं. अगर मोदीजी दुबारा सत्ता में न आते तो ये सपा बसपा कांग्रेस कम्युनिस्ट जैसी पार्टियां अपनी पुरानी चिरकुट टाइप बनी बनाई लीक पर चल रही होतीं… इन्हें अब बदलना पड़ेगा क्योंकि जनता इनकी गुलाम नहीं है… नाकाबिल और विचारहीन नेतृत्व की जगह मौलिक नेताओं, प्रतिभाओं को तवज्जो दें. जातियों के ठेकेदार बने रहने की जगह गांधी बाबा, बाबा साहब अंबेडकर, लोहिया जी, मार्क्स बाबा के विचारों को जियें, बताएं, सिखाएं… इन विचारों को इस तकनीकी युग के साथ अपग्रेड करें, अकोमडेट करें.
मोदीजी के दुबारा सत्ता में आने से स्वास्थ्य, रोजगार, खेती-किसानी जैसे मुद्दे पर काम करने के लिए दूसरी राजनीतिक पार्टियों को मौका मिला है. इस मौके को हाथ से न जाने देंं क्योंकि मोदीजी शोमैनबाज टाइप बड़बोले नेता हैं. वह जो बोलते हैं, करते नहीं और जो करते हैं, उसके बारे में बोलते नहीं. वह आम जन से जुड़े इन बुनियादी मुद्दों पर कोई खास काम नहीं करने वाले. अमीरों का जेब भरो अभियान वे जारी रखेंगे, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है. वह चवन्नी कमाएंगे तो उसके विज्ञापन में दो अठन्नी खर्च कर देंगे, ऐसी उनकी फिलासफी है.
बाकी, बीजेपी और संघ ने पिछले साठ साल से ज्यादा वक्त से लगातार खुद को हारा हुआ ही महसूसा है. प्रकृति का पहिया और चक्र है. कभी आप उपर वो नीचे, कभी वो उपर आप नीचे. करप्ट और वंशवादी कांग्रेस के खानदानी नेताओं ने अपने अहं को हमेशा उपर रखा जिसके कारण कांग्रेस के जाने कितने टुकड़े बने. कांग्रेस ने इस देश में जाति और धर्म की राजनीति को बेहद महीन तरीके से जिंदा रखा जिसमें से जातीय रुप में सपा बसपा जैसी जातिवादी पार्टियां निकलीं तो धार्मिक रूप से बीजेपी जैसी पार्टी बनी. कई कट्टरपंथी मुस्लिम पार्टियां भी बनीं. जैसे ओवैशी की पार्टी. तो आप कांग्रेस को महादैत्य कह सकते हैं जिसने बहुत सारे दैत्यों को जन्म दिया और ये दैत्य पुत्र अब बड़े होकर अपने महादैत्य आका का सफाया कर रहे हैं तो फिर क्या रोना…
याद करें, कांग्रेस कितनी क्रूर पार्टी हुआ करती थी. नक्सलवाद रोकने के नाम पर देश भर में लाखों छात्रों को मार डाला. गोलियां बरसाईं. इस कांग्रेस ने मंदिर मस्जिद के झगड़े की शुरुआत की. ताला खुलवाया, पूजा करवाया. इस कांग्रेस ने इमरजेंसी जैसे एक्सट्रीम कदम उठाए. तो कांग्रेस कोई दूध की धुली पार्टी नहीं है. मुझे अगर कांग्रेस और भाजपा में से सबसे ज्यादा घृणास्पद पार्टी कौन है, कह कर पूछा जाए तो मैं शायद कांग्रेस का ही नाम लूं क्योंकि कांग्रेस ने साठ सालों के अपने कार्यकाल में देश की जनता की मानसिक, शैक्षणिक चेतना उन्नत करने की बजाय येन केन प्रकारेण चुनाव जीतना अपने टारगेट में रखा और इस पार्टी की घटिया राजनीति से इंस्पायर होकर ढेर सारे घटिया दल पैदा हुए जिसमें से एक बीजेपी भी है.
इसलिए मस्त रहिए. मोदीराज को एंज्वाय करिए. धार्मिक चूतियापों से मुक्त करिए खुद को. सच कहने से डरिए नहीं. गलत और अफवाह टाइप की बातों को इग्नोर करिए. पढ़ने लिखने घूमने में वक्त बिताइए. जहां कहीं गलत हो रहा हो, उसके खिलाफ मुखर होकर लड़िए. हम लोकतंत्र में जीते हैं. हमें भी उतनी ही आजादी मिली हुई है जितनी किसी इस देश के वीवीआईपी को. पीएम सीएम टाइप लोग तो वीवीआईपी होने के चक्कर में परसनल लाइफ नहीं जी पाते. पर हम आप तो उनसे ज्यादा मुक्त और मस्त हैं. जब जी करेगा, चल देंगे, पहाड़ों की तरफ. जब जी चाहेगा, निकल लेंगे, समुंदर की तरफ. जिंदगी को संपूर्ण गुणवत्ता से समझने जीने के लिए जरूरी है कि आप वाकई आजाद पंछी हों, आप वाकई आजाद खयाल हों, आप वाकई आजाद मानसिकता के हों. अगर आप ये उर्जा ये मौका इस भारतीय लोकतंत्र से नहीं ले पाए तो फिर आप खुद के बारे में सोचिए, दूसरों को उपदेश पेलने से पहले.
आप की दिक्कत होगी कि आप जातिवादी हैं, आप सवर्णवादी हैं, आप दलितवादी हैं, आप पिछड़ावादी हैं, आप ठाकुरवादी हैं, आप ब्राह्मणवादी हैं, आप मुस्लिमवादी हैं, आप हिंदूवादी हैं… आप इन चूतियापों के वादों से अगर नहीं उठे हैं तो परेशान रहेंगे. आप मानवतावादी बनिए. सबसे प्यार करिए. जो गरीब है, कमजोर है, उसे मदद करिए. जो क्रूर है, जो ताकत में पागल है, उसका आंख में आंख डाल विरोध करिए… ऐसा ही मनुष्य कोई लोकतंत्र बनाता है… ऐसा ही आप भी बनिए. तभी सच्चे तौर पर इस देश को, इस देश की विविधता को जी पाइएगा… वरना रोने के बहाने लाखों हैं….
जैजै
यशवंत
भड़ास के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
Hemant
May 26, 2019 at 3:28 pm
श्री यशवंत जी ने बेहद अच्छा लिखा शायद यह लेख श्री यशवंत जी ही लिख सकते थे।शब्द नही है इस लेखनी के लिए प्रभु उन की कलम को और मजबूत करे जी। अमृतसर पंजाब से हेमन्त कुमार दुबे
Shambhu chudhary
May 26, 2019 at 7:16 pm
” Kalam ke sipahi ho aap”
Ashesh tripathi
May 26, 2019 at 9:27 pm
साफ,सटीक और सबके मन की बात…यशवंत जी,हमेशा की तरह उम्दा!
ashok kumar sharma
May 26, 2019 at 9:53 pm
सबसे अच्छी पंक्तियां : “मोदीराज को एंज्वाय करिए. धार्मिक चूतियापों से मुक्त करिए खुद को. सच कहने से डरिए नहीं. गलत और अफवाह टाइप की बातों को इग्नोर करिए. पढ़ने लिखने घूमने में वक्त बिताइए. जहां कहीं गलत हो रहा हो, उसके खिलाफ मुखर होकर लड़िए.”
मनमोहन
May 26, 2019 at 11:05 pm
गजब…..बधाई….
Yashvnt
May 28, 2019 at 9:13 am
पागल, गालीबाज पत्रकार।ये गालीबाज पत्रकार पाठको को मेल करके गाली भक्त है।थू है इसकी पत्रकारिता पर
ईश्वर इस पगलेट को सदबुद्धि प्रदान करे