Naved Shikoh : अजीत अंजुम की पत्रकारिता बचेगी या नौकरी! TV9 न्यूज चैनल की लांचिग के लिए पंहुचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रुप के CEO रवि प्रकाश से कहा- आपने ऐसे लोग भरे हैं जिनके ब्लड में है मुझे गाली देना। TV9 के CEO ने जवाब दिया- बदलाव लायेंगे इसमें। जवाब सुनकर प्रधानमंत्री हंसते हुए बोले- ऐसा मत करो, जीने दो इन बेचारों को।
इस घटनाक्रम का वीडियो वायरल हो रहा है। अब ये भी तय है कि इस चैनल में कुछ बदलाव तो होना है। काफी दिनों से बेरोजगारी झेलने के बाद मिली नौकरी से खुश पत्रकार सहम गये हैं। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के आखिरी वाक्य वाली बख्शीश में अजीत अंजुम और विनोद कापड़ी जैसे पत्रकारों की नौकरी जिन्दा बची तो इनकी पत्रकारिता मार दी जायेगी। प्रधानमंत्री का पहला वाक्य था- ऐसे लोग भरे हैं जिनके ब्लड में है मुझे गाली देना।
मोदी के इस आरोप के बाद या तो ये पत्रकार निकाले जायेंगे या फिर इनके अंदर सत्ता के नकारात्मक पहलुओं को इंगित करने वाली पत्रकारिता का लहु निकाल दिया जायेगा। हालांकि ये झूठ है कि ये पत्रकार अपनी खबरों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गाली देते हैं। हां, ये सच है कि अंजुम जैसे पत्रकार TV9 में नौकरी पाने से पहले बेरोजगारी के खुले आसमान में निडरता के पंखों से आजाद पत्रकारिता की उड़ाने भर रहे थे। सत्ता के गुलाम चैनलों की नौकरी के उस कोठे में कैद नहीं थे जहां सत्तानशीनों का दिल खुश करने का मुजरा करना पड़ता है। बंद पिजरे के वैसे तोते नहीं थे जिस तोते को कम्युनिस्ट होने के बाद भी राम-राम या अल्लाह-अल्लाह करना पड़ता है।
निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता का धर्म निभाने के लेहाज़ से बेरोजगारी के बुरे दिन ही इनके अच्छे दिन थे और नौकरी मिल जाने के इनके अच्छे दिन बुरे साबित होंगे क्योंकि नौकरी में रहने के लिए चाटुकारिता के घुंघरू बांधकर सत्ताधारियों को खुश करने लिए इन्हें झूठ की सेज पर नाचना होगा। वास्तविक पत्रकारिता विपक्ष की भूमिका में होती है। सच्चा पत्रकार सत्ता की कमियों को उजागर करता है। सवाल करता है। लेकिन सत्ता के गुलाम बड़े मीडिया ग्रुप में बंधकर पत्रकार पत्रकारिता के सिद्धांतों के सवालों के आगे शर्मिन्दा और खामोश खड़ा होने पर मजबूर हो जाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आरोप में गाली शब्द को यदि आलोचना करना माने तो उन्होंने गलत नहीं कहा। TV9 के तमाम पत्रकार बेरोजगारी के दौर में सोशल मीडिया में सत्ता या नरेंद्र मोदी के आलोचनात्मक पहलुओं को उजागर कर रहे थे जिसे किसी बड़े मीडिया समूह में दिखाया जाना मुमकिन नहीं था। फेसबुक, यूट्यूब और तमाम वेबसाइट्स में अजीज अंजुम और विनोद कापड़ी का हर ख्याल मोदी सरकार या मोदी संस्कृति के ऐबों को उजागर कर इसकी मजम्मत कर रहा था।
चैनल की ओपनिंग से पहले TV9 के वेब संस्करण में इन पत्रकारों की निर्भीकता सरकार के आलोचनातमक पहलुओं का ट्रेलर पेश कर रही था। अजीत अंजुम जैसे TV9 के पत्रकारों का फेसबुक प्रोफाइल चेक कीजिएगा तो पता चल जायेगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रुप के CEO से आखिर क्यों कहा कि आपने तो ऐसों को भर लिया जिनके खून में मोदी विरोध है। अब देखना ये है कि इन निर्भीक पत्रकारों की नौकरी जाती है या पत्रकारिता। क्योंकि नौकरी बच गयी तो पत्रकारिता खत्म हो जायेगी और यदि इन पत्रकारों ने अपनी सच्ची पत्रकारिता बचाने (सच लिखने) की कोशिश की तो इनकी नौकरी चली जायेगी।
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नवेद शिकोह
वरिष्ठ पत्रकार
लखनऊ
8090180246
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CRIMES WARRIOR
April 1, 2019 at 7:32 pm
नावेद जी लिखा तो सच है…इन बेशर्मों के बारे में…मगर ये चिकने घड़े हैं….जूते खाते जाते हैं और इनकी मीडिया में नौकरी करने की ललक और ज्यादा बलबती जाती है…. मोदी की नहीं एक औरंगजेब की जरुरत है जो इन्हें जैसलमेर के तपते रेत में निर्वस्त्र करके सूखे बबूल पे उल्टा लटका कर पूछे कि, बताओ कैसी लग रही है? हराम में हाथ आई चैनल की चाटुकारिता वाली नौकरी…भला हो हेमंत शर्मा जी का भी जो, उन्हें जमाने में यही दो नामुराद कथित मीडिया मठाधीश मिले हीरा-पन्ना के रुप में….बिचारे मोदी इन्हें क्या नंगा कर पायेंगे…इनके तो बदन, दिल मन घटिया मानसिकता सब कुछ ‘स्व-नंगे’ हैं! जन्मजात (मीडिया में)