शीतल पी सिंह-
मोदीजी भ्रष्टाचार मिटाने और काला धन देश में वापस लाने के जरिए विंकास करने के ख्वाब के साथ सत्ता में आए थे/लाए गए थे।
इस कवायद में स्विस बैंक के खातों का सबसे ज़्यादा जिक्र हुआ करता था। लेकिन सत्ता में आने के बाद सिवाय हिंदू मुसलमान और पाकिस्तान के बाकी हर वादे पर उनकी सरकार चमगादड़ मुद्रा में डाल पर उलटी लटकी मिली है।
पत्रकार उमाशंकर सिंह का ट्वीट देखें-
“लीजिए स्विस बैंक में भारतीयों का पैसा बढ़ कर 20,700 करोड़ हो गया है। और ये 13 साल में सबसे अधिक है। ये नीचे की रिपोर्ट कहती है।”
विश्व दीपक-
15 लाख के जुमले पर नहीं जाऊंगा. न लाता 15 लाख. इतना ही करता कि मनी-ड्रेन रोक लेता. वह भी नहीं कर सका. कम से कम आउट फ्लो तो कम ही कर लेता लेकिन कुछ भी नहीं कर सका. एकदम ज़ीरो साबित हुआ.
केवल एक साल के अंदर ही — 2019 की तुलना में 2020 में — स्विस बैंको में भारतीयों की जमाखोरी करीब 285 प्रतिशत बढ़ी है. पैसा जिनका है, वो जहां चाहें जमा करें लेकिन इसमें कुछ बेहद डरावने संकेत छिपे हैं. इसके निहितार्थ समझ रहे आप ?
मान लीजिए अगर मेरे पास पैसा है तो मैं तभी उसे बाहर भेजूंगा जब 1) मुझे चोरी करनी होगी 2) यहां के बैंकिंग सिस्टम में मेरा भरोसा नहीं होगा. यहां दोनों बातें हैं. मतलब भारतीय अमीरों ने चोरी भी की. उन्हें छोटे अर्थों में भारत के बैंकिग सिस्टम और बड़े परिप्रेक्ष्य में कहें तो अर्थव्यवस्था पर बिल्कुल भरोसा नहीं.
यह भी याद रखिएगा कि जिस दौरान भारत के अमीर, नेता, नौकरशाह, दलाल अपना दो नंबर का पैसा स्विस बैंकों में जमा कर रहे थे भारत में बेरोज़गारों की आबादी पिछले 45-50 साल का रिकॉर्ड तोड़ रही थी. सिर्फ अप्रैल महीने में ही इस साल करीब 8 करोड़ बेरोज़गार हुए.
अर्थनीति से लेकर विदेश नीति तक, आंतरिक सुरक्षा से लेकर जनकल्याण और पड़ोसी देशों से संबध तक जहां भी नज़र जाएगी सिर्फ और सिर्फ तबाही की इबारत लिखी मिलेगी.
अमरेन्द्र राय-
मोदी जी ने 2013 में नारा दिया था – विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाएंगे। लेकिन हुआ क्या? पिछले 13 सालों में स्विस बैंक में भारतीयों का धन बढ़कर करीब 21 हजार करोड़ हो गया। बोलो देश भक्तों की जय।
अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
काला धन नहीं, आपके 15 लाख कई गुना हुए हैं !!!
मोदी से चिढ़ने वाले लोग परेशान हैं कि मोदी राज में विदेशों में जमा भारत का काला धन कई गुना बढ़ गया है. यही लोग यह भी कह रहे हैं कि मोदी ने तो कहा था कि विदेशों से सारा काला धन भारत में लाएंगे… और यह धन इतना है कि हर भारतीय को इससे 15 लाख रुपए दिए जा सकते हैं.
दरअसल, ये नादान मोदी विरोधी लोग यही बात नहीं समझ रहे हैं कि विदेशों में कई गुना काला धन बढ़ने के पीछे एक और मास्टर स्ट्रोक है…. वह ऐसे कि पहले तो जहां केवल पंद्रह लाख रुपए हर किसी को मिलते, अब उसका कई गुना मिल जाएगा.
यह भी तो हो सकता है कि मोदी जी ने अपने मन में कोई रकम सोच रखी हो… मसलन हर भारतीय को जब तक डेढ़ करोड़ देने लायक काला धन विदेशों में इकट्ठा नहीं हो जाता , तब तक वहां से काले धन का एक रुपया भी नहीं लाना है.
…और ये मूर्ख लोग पहले के सभी मास्टर स्ट्रोक जैसे कि नोटबंदी, एक दिन का जनता कर्फ्यू, ताली- थाली- दिया अभियान आदि नहीं समझ पाए, उसी तरह विदेशों में काला धन कई गुना होते देख परेशान हो गए… सत्तर साल तक ये लोग चुप रहे और अभी मोदी जी को देश में आए सिर्फ सात साल हुए हैं लेकिन अब सबकी बोली निकलने लगी.
काला धन हो या डॉलर, डीजल- पेट्रोल, गैस, मंहगाई…यह सब कुछ मोदी जी कुछ सोच कर ही बढ़ा रहे हैं. इसमें देश का हित है.
दूसरी तरफ अगर देश की जीडीपी या कोरोना की तबाही से देश की साख गिर रही है तो वह भी मोदी जी कुछ सोच कर ही गिरा रहे हैं. ये सब देशहित में है और मास्टरस्ट्रोक की पूरी सीरीज है.
अगर आप या हम, कोई भी मोदी जी के इस उठाने- गिराने के मास्टरस्ट्रोक को समझ पाता तो फिर देश को मोदी जी की जरूरत ही क्यों होती? यह सब समझने के लिए मोदी जी की तरह की योग्यता, देशभक्ति और 18-18 घंटे कड़ी मेहनत करने की क्षमता चाहिए होती है… हमें- आपको फिलहाल मोदी जी को देश बचाने के काम में डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए… 2024 में भी उनको ही जिताकर अपने पंद्रह लाख को कई करोड़ में बदलने के उनके स्वप्न को पूरा करना चाहिए…