दिल्ली दंगे की निष्पक्ष कवरेज के कारण दक्षिण भारत के दो न्यूज चैनलों पर मोदी सरकार द्वारा लगाया गया 48 घंटे का प्रतिबंध 48 घंटे बीतने से पहले हटा लिया गया है. मोदी सरकार का यह यूटर्न बताता है कि सरकार के भीतर ही कई चीजों पर आम राय नहीं है. जिसकी जो इच्छा हो रही है, वह कर दे रहा है. मीडिया को सरकार कैसे हैंडल करे, इसको लेकर मोदी सरकार का नजरिया एकांगी है. किसी चैनल को इसलिए बैन कर देना कि उसने दंगे की कवरेज में पुलिस और आरएसएस के नकारात्मक रोल का उल्लेख कर दिया, भयानक अलोकतांत्रिक है.
फिलहाल तो ‘मोदी सरकार प्रेस स्वतंत्रता का समर्थन करती है’ के नारे के साथ सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी पर दिल्ली हिंसा की कवरेज को लेकर शुक्रवार को 48 घंटे का लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया है.
जावड़ेकर ने यह भी कहा कि चैनलों पर लगाए गए प्रतिबंध लगाए जाने पर पीएम ने भी पूछताछ की और चिंता जताई. ये कैसे हुआ हम इसकी जांच करेंगे, संबंधी अधिकारियों से पूछताछ करेंगे. मोदी सरकार हमेशा प्रेस स्वतंत्रता की हिमायती रही है. दिल्ली जाने के बाद मैं इसकी जांच करूंगा.
गौरतलब है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की कवरेज को लेकर केरल के दो समाचार चैनलों के प्रसारण पर शुक्रवार को 48 घंटे की रोक लगाते हुए कहा था कि इस तरह की खबर से ‘साम्प्रदायिक विद्वेष’ बढ़ सकता है.
मंत्रालय ने देशभर में किसी भी प्लेटफार्म से दोनों चैनलों के प्रसारण एवं पुनर्प्रसारण पर छह मार्च शाम साढ़े सात बजे से आठ मार्च शाम साढ़े सात बजे तक के लिए रोक लगाई थी. लेकिन 7 मार्च की सुबह ही इसपर से प्रतिबंध हटा लिया गया है.
बता दें कि एशियानेट पर से प्रतिबंध जहां 7 मार्च सुबह 1.30 बजे ही हटा दिया गया था वहीं मीडियावन टीवी का प्रसारण आज सुबह शुरू कर दिया गया है.
ज्ञात हो कि मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी को शुरुआत में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. उनके जवाब दाखिल करने के बाद मंत्रालय ने पाया कि उन्होंने केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया है. दोनों चैनलों ने मंत्रालय को पत्र लिखकर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया था जिसके बाद रोक हटाई गई.
रोक लगाने के गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया, ‘दिल्ली हिंसा पर चैनल की रिपोर्टिंग पक्षपातपूर्ण लगती है क्योंकि इसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों द्वारा की गई तोड़-फोड़ पर जानबूझकर सारा ध्यान केंद्रित किया गया. इसने आरएसएस पर भी सवाल उठाए और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप लगाए. चैनल दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना करने वाला प्रतीत हुआ.’
मंत्रालय द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध को चैनल ने मीडिया और लोकतंत्र पर ‘अघोषित आपातकाल‘ कहा था. मीडिया टीवी के प्रबंधन संपादक सी दाऊद ने कहा, हम इस आदेश पर अदालत का रुख करेंगे.’
प्रतिबंध हटाए जाने के घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार Vinod Kapri लिखते हैं- ”देश के प्रधानमंत्री, देश के सूचना प्रसारण मंत्री तक को पता नहीं था कि देश की सरकार ने दो न्यूज़ चैनलों पर बैन लगा दिया है। प्रकाश जावड़ेकर का दावा है कि दोनों को बैन लगने के बाद पता चला : ये हालत है भारत सरकार की।”
ANI_HindiNews
@AHindinews
I&B मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का बयान- दोनों चैनलों का प्रसारण तुरंत शुरू कर दिया गया है. इसके बारे में PM ने भी पूछताछ की, चिंता जताई। ये कैसे हुआ, हम इसकी जांच करेंगे। संबंधित अधिकारियों से पूछताछ करेंगे। मोदी सरकार हमेशा प्रेस स्वतंत्रता की हिमायती रही है। दिल्ली जाने के बाद मैं इसकी जांच करूंगा।
इन्हें भी पढ़ें-