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सियासत

मोदी से नफरत करने वाले ही ट्रम्प की विदाई, अर्णब की पिटाई और नीतीश की संभावित हार पर जश्न मना रहे हैं!

-अनुरंजन झा-

अर्नबगोस्वामी की गिरफ्तारी के तरीके पर सवाल उठाए तो कई मित्रों और ‘बुद्धिजीवियों’ ने कहा कि आप कैसे अर्नब की तरफदारी कर सकते हैं। पत्रकारिता को बदनाम किया है, कई तथाकथितों ने कहा कि वो पत्रकार ही नहीं है.. और न जाने क्या क्या ? तो इसको ऐसे समझिए ट्रंप के हारने से हिंदुस्तान में जो लोग खुश हैं उन्हें लग रहा है जो बाइडन के तौर पर कोई उनका मौसा-चाचा जा बैठा है, और #कमला बहिन तो है ही। बिल्कुल नहीं ट्रंप के हारने से खुशी इसलिए है कि नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में जाकर कहा – “अबकी बार ट्रंप सरकार” तो विरोध वहां नरेंद्र मोदी का है । 90 फीसदी वो लोग ट्रंप की हार का जश्न मना रहे हैं जिनको अमेरिका का इतिहास, हमारे साथ उसके संबंध और रिपब्लिकन-डेमोक्रेटिक का फर्क तो छोड़िए ठीक से ये भी नहीं जानते होंगे कि ये दोनों पार्टियां कब से राजनीति में हैं और दोनों का एजेंडा क्या है। बिहार में अगर कल #नीतीश हार जाते हैं तो सबसे ज्यादा वही लोग खुश होंगे जो उनके पिछली बार #लालू के साथ गलबहियां कर सत्ता में चले जाने से उनको अच्छा मान रहे थे मतलब उनकी नीतीश की हार में भी मोदी की हार दिखती है इसलिए ये खुशी होगी। ठीक उसी तरह अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी और उनके साथ हो रही बदसलूकी में लोगों को नरेंद्र मोदी की हार और उनके साथ हो रही बदसलूकी नजर आ रही है इसलिए वो जश्न मना रहे हैं। पत्रकारिता के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है कि किसी भी पत्रकार को एक दल का घोषित प्रवक्ता मान लिया जाए और इसका खामियाजा अर्नब उठा रहे हैं लेकिन इंसानियत के लिए भी ये बिल्कुल ठीक नहीं है कि सत्ता के हनक में कानून का डंडा संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए चलाईं जाए और हम उसका समर्थन करें। थोड़ा और विस्तार देता हूं बिना किसी का नाम लिए इशारा करता हूं-

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1) डिजिटल माध्यमों और सोशल मीडिया पर जिन ‘तथाकथित गरिष्ठ ‘ पत्रकारों ने अर्नब के खिलाफ मुहिम छेड़ी है उनमें से हर कोई, हर कोई मतलब हर व्यक्ति एक बुलावे पर अर्नब के संस्थान में नौकरी करने चला जाएगा क्यूंकि वो सब अभी पैदल हैं और अपनी जिंदगी में नौकरी के अलावा ऐसा कुछ नहीं किया है जिसके सहारे कोई मुकाम पाया हो । आज भी इधर उधर नौकरी के लिए ही भटकते हैं, कभी उन सरकारी सुविधाओँ का लाभ लेते हैं जिन सरकारों के चारणभाट रहे हैं और हैँ। ये पत्रकार कतई नहीं है.. पैंतराकार हैं … ये किसी भी सूरत में अर्नब से बेहतर नहीं है

2) इनमें से किसी की शिक्षा-दीक्षा अर्नब की तरह नहीं है, व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी का ज्ञान बघारने वालों में से कोई भी ऑक्सफर्ड – कैंब्रिज की चौखट तो छोडिए देश के भी उम्दा संस्थानों में शायद ही शिक्षा पाया हो । अर्नब ऑक्सफर्ड-कैंब्रिज दोनों के छात्र रहे हैं तो शिक्षा में भी ये उसके इर्द-गिर्द नहीं फटकते। यहां भी ये उनके बराबर नहीं है

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3) इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्होंने अपनी पूरी पत्रकारिता में एक भी ऐसी रिपोर्ट नहीं की होगी जिसका समाज पर असर हुआ हो, या तो बाइट कलेक्टर या फिर इवेंट पत्रकारिता करते रहे हैं, बाढ़ आई तो नाव पर सवार हो गए, चुनाव आया तो गांव पहुंच गए। ना नाव और बाढ़ का दर्द मालूम है और न गांव का, समझते हैं यही पत्रकारिता है इसे हम इवेंट पत्रकारिता कहते हैँ।

4) इनमें से कई ऐसे हैं जो भूत-प्रेत, बाबा-ढोंगी साधु-औघड़ के अलावा सनसनी को ही पत्रकारिता का आधार बनाते रहे और पूरी अगली पीढ़ी को गलत रास्ते पर धकेल दिया।कई ऐसे हैं जो अपने संपादकीय अधिकारों से महीनों तक अपने प्लेटफार्म का इस्तेमाल एक पार्टी के लिए करते रहे और फिर एक झटके में नौकरी छोड़ उसी पार्टी का दामन थाम लिया। जब वहां भी दाल नहीं गली तो फिर वापसी की लेकिन कुंठित होकर ।

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5) पब्लिक चाहती है कि न्यूज चैनल चलाने वाले वही कहें जो वो सुनना चाहते हैं ऐसा कैसे हो सकता है ? सालाना 100 करोड़ का खर्च आता है जिसका एक ही माध्यम है विज्ञापन। पब्लिक अपनी जेब से किसी भी मीडिया संस्थान को खड़ा करने के लिए 1 रुपया खर्च नहीं करती, पैसा खर्च करना तो छोड़िए दूसरे देशों की तरह यहां आप तक चैनल पहुंचाने या अखबार पहुंचाने का खर्च 50 गुना ज्यादा तक है उसके विरोध में आवाज भी नहीं उठाती क्यूंकि उसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में जो उसके खर्च की भरपाई करता है उसकी सुनना उसकी मजबूरी है। यहां भी #अर्नब दोषी नहीं है क्यूंकि सभी वैसा ही कर रहे हैं.. सभी मतलब सभी ।

आखिर में साफ साफ समझिए कि एक पूरा धड़ा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफरत करता है वो ट्रंप की हार से खुश है, वो नीतीश को हारते देखना चाहता है और अर्नब के साथ हो रही बदसलूकी पर जश्न मना रहा है। न तो वो अमेरिका को जानता है, न ही बिहार को और न ही अर्नब को। हम ऐसा नहीं कर सकते क्यूंकि हमारा चूल्हा जले इसके लिए न तो हम किसी राजनीतिक दल की गाते हैं और न हीं किसी गिरोह-संगठन की। मतलब हम हूंबोहूंबो नहीं करते। जिस दिन आपलोग अपने गिरेबान में झांकेंगे उस दिन आपको तो समझ में आ ही जाएगा। भले उसे आप जाहिर न करें।

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लेखक कई न्यूज़ चैनलों के सम्पादक और खोजी पत्रकार रहे हैं.

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3 Comments

3 Comments

  1. K P Maurya

    November 9, 2020 at 11:35 pm

    Another example of brahmin casteist entitlement. Yeh brahmins kare to raasleela, koi aur kare toh character dheela. So many non-brahmin journalists all over the country is being tortured, but this Jha has sympathy only for his caste brethren Goswami despite being cited by the victim for his suicide.

  2. Rajesh Singh

    November 10, 2020 at 1:22 am

    Written by A Bhakt.
    The author contradicts himself in the middle of the article multiple times.

    People who hate Modi like Biden, yeah right.
    Liberalism to kuch hai nahi. Aaiye lekhak ke points dekhte

    1. Madhu Tehran, Abhinandan Sekhri, Vinod dua, Punya prasun… and many others (Digital or social media) Arnab ke pass naukri maangne jaenge Haha… Delusions.

    2. Jinke bhi naam upr likhe hai or baki jo bhi hai wo kahan pdhe hai ye google pe search krlena information miljaegi. Padhne ko to Rahul Gandhi bhi whi padhe hai. Matlab bahar pdhne se sab sahi? Nidhi Razdan abhi bhi Harvard me hai. Gora validation.

    3. Aisa to bhai AOK, Chitra, Deepak Chorsiya sareekhe patrkar krte hai. Arnab ke bhi h kuch to. Upr jinke naam likhe wo Byte collect krte h. Itne delusions.

    4. Ye bhi 3rd point wale hi karte the. Specially Rajat Sharma jo ab bhi Patanjali ke saman bechte hai.

    5.Accha gulami krna dosh nahi hai. Jameer marke news media chalana jaruri hai. Hum to donate krte h Newslaundry jaise sansthano ko. Himmat hai or sahi patrkarita hai to aapko bhi krenge. 8 Baje pandit maulana ka naach dekhne ke lie koi chawanni bhi nahi dega.

    Arnab ne jo kia Riya ke saath wo bahut galat kiya. Arnab jo kr rha hai wo bahut galat kr rha hai. Ye Republic ke kisi frustated patrkar ki PR report lag rhi hai.

    Haan baki khush hai. Trump Jeeta tb modi ke supporter bhi to hue the.
    Wo bhi ho lenge.

    Or sabhi waisa nahi kar rhe hai. Tum kar rhe ho to sabko usme shamil na kro shriman.

    Jai hind.

  3. Brizmohan

    November 10, 2020 at 7:20 am

    Lekhak sayad dimag se sanki hai or chaplusi karne me expert.

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