Mohammad Anas : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. भारतीय मीडिया ने मोदी के दौरे को त्यौहार की तरह मनाने का निर्णय लेते हुए बहुत से पत्रकारों को अमेरिका भेज दिया. कई बड़े मीडिया घराने मोदी की यात्रा को चौबीस घंटे की कवरेज तक दे रहे हैं. ऐसे में अमेरिका के दो बड़े मीडिया समूह में मोदी की अमेरिकी यात्रा पर चर्चा की कितने ख़बरे दिखाई जा रही हैं इसका पता लगाया जाना ज़रूरी हो गया है. भारतीय एंकर और रिपोर्टर पूरे अमेरिका को मोदीमय बता रहे हैं,ठीक वैसे ही जैसे पूरे भारत को मोदीमय बताते रहे हैं. लेकिन हक़ीकत ये है की मोदी से जुड़ी ख़बरों को पढ़ने के लिए सर्च इंजन में जा कर मोदी लिखना पड़ रहा है,आँखों के सामने ट्रेंड नहीं हो रही ख़बरें.
1- The Washington Post के वेब पोर्टल पर मोदी की अमेरिकी यात्रा की ख़बर ट्रेंड ही नहीं कर रही है. पहले पेज पर मोदी और उनकी यात्रा खोजने पर भी नहीं मिलती. जब आप सर्च बाक्स में ‘मोदी’ की वार्ड डालेंगे तो तीन ख़बरे दिखाई पड़ती हैं. पहली ख़बर में गुजरात के दंगे, अफगानिस्तान के हालात, देवयानी खोब्रागेड और न्यूक्लियर समझौते का ज़िक्र किया गया है. दूसरी ख़बर में नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिका में डिनर न करने के पीछे की वजह पर चर्चा की गई है. पोस्ट लिखता है कि, ‘मोदी एक समर्पित और पवित्र हिंदू हैं इसलिए वे नवरात्री का व्रत रखते हैं,लेकिन अमेरिका में डिनर के मौके पर ही सारे बड़े फैसलों के लिए माहौल बनता है पर ऐसे अवसर पर मोदी की प्लेट खाली रहेगी.’ पोस्ट की अगली ख़बर जो सर्च करने के बाद मिलती है वो है ‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत. इस ख़बर में विदेशी निवेशकों के लिए भारत के वर्तमान हालात पर चर्चा हुई है.
2- The Washington Post के ओपिनियन कॉलम में फरीद ज़कारिया ने मोदी के तमाम पक्ष और विपक्ष पर अपने विचार रखे हैं. 18 सितंबर को लिखे गए इस विचार में मोदी के हनीमून पीरियड के खत्म होने और हाल के उपचुनाव के बाद उनकी ताकत घटने की बात ज़कारिया ने लिखी है. इस हिसाब से देखा जाए तो अमेरिकी मीडिया ने भारतीय मीडिया के पागल पन को पूरी तरह से नकारते हुए ख़बर और विचार को जगह दी है. मोदी के तमाम पक्ष और विपक्ष पर संतुलित रिपोर्टिंग का बेहतरीन नमूना पेश करते हुए
3- The New York Times ने अपने पोर्टल पर मोदी विजिट की ख़बर को पांचवे नंबर पर रखते हुए सिर्फ एक ख़बर लगाईं है. टाइम्स ने मंत्रियों,नौकरशाहों आदि पर पीएमओ की दखलअंदाज़ी और उनकी मुखबिरी से लेकर गुजरात दंगे,मोदी वीसा मामला, चाइना द्वारा सीमा पर हस्तक्षेप एवं चाइनीज राष्ट्रपति की भारतीय यात्रा का विवरण मिलता है. न्यूयार्क टाइम्स मोदी से आर्थिक नीतियों में किसी बड़े परिवर्तन की उम्मीद को लेकर फिलहाल उम्मीद नहीं लगता ,इसके पीछे की वजह वह मोदी द्वारा किसी और पर विश्वास न करने को बताता है. टाइम्स का कहना है की अभी तक पॉलिसी मेकर तक की नियुक्ति नहीं की है मोदी सरकार ने.
भारतीय इलेक्ट्रानिक मीडिया के महान दिग्गजों को यदि देश की वाकई फ़िक्र होती तो वह सच दिखाते न कि मेला. मेला एक दिन का होता है. बच्चे मेला में जा कर खुश होते हैं. देश की जनता भी खुश है. असली तस्वीर तो कहीं और है. मैं आशावादी नहीं बड़ा प्रैक्टिकल इंसान हूं. फिर भी इस यात्रा को लेकर थोड़ी बहुत उम्मीद है कि कुछ तो आएगा देश में. लेकिन इसके बदले में बहुत जाएगा भी. जल -जंगल-ज़मीन और आम गरीब भारतीय के ऊपर निर्मित ‘मेक इन इंडिया’ उतना भी हसीं नहीं जितना दिखाया जा रहा है. खैर .. फेसबुक और टीवीफोबिया से इतर भी दुनिया है …
पत्रकार और एक्टिविस्ट मोहम्मद अनस के फेसबुक वॉल से.
इन्हें भी पढ़ें…
अमेरिकी कोर्ट ने मोदी के खिलाफ सम्मन जारी किया यानि सिर मुड़ाते ही ओले…. !!!!
xxx
Kuldeep Singh
September 26, 2014 at 9:35 am
Dear M.Anas,
BJP blind supporters starts calling you terrorist, muslim jihadi etc … Be ready for that.
They don’t want to live in reality…imaginary world is good enough for them.
Thanks
kuldeep singh
सिकंदर हयात
September 26, 2014 at 10:26 am
अनस भाई की बात बिलकुल सही हे कुछ भारतीय न्यूज़ चैनेलो ने तो बिलकुल ही लाज़ शर्म बेच खायी हे मगर में यहाँ ये भी कहूँगा की जिस अमेरिकी मिडिया की अनस भाई तारीफ कर रहे हे उसी मिडिया को भारतीय मुसलमानो और उर्दू मिडिया का एक तबका यहूदी मीडिया मानता हे और इसकी खासकर मुस्लिम देशो या कुछ आतंकवादियों को लेकर हुई हर रिपोर्ट और विचार को इस्लाम के खिलाफ साज़िश मानता हे कहकर खारिज करता हे क्या अनस साहब इस विषय पर भी कुछ लिखेंगे – ?
Deepak Tiwari
September 26, 2014 at 8:26 pm
what the fu**ing nonsence are u talking .. grownup …. sala sutiyo ki kami nahi hindustan me … MODI is indian PM so he have to come topm in indian TV … not other … ab mere ame bhi to pakistani Voter list me nahi to main kya karu … ho sakta hai Annas ka ho …
hindustani
September 27, 2014 at 6:53 am
तू पाकिस्तान क्यों नहीं चला जाता कटुए। चिकन मटन खाना, साले मोदी के अंधे विरोधी. तेरी गांड में मिर्ची लगी हुई है।
vikash kumar
September 27, 2014 at 2:42 pm
मोहम्मद अनस जी आप ने तो जैसे पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोला है….वैसा तो कांग्रेस भी नहीं खोल सकी है।ठीक है अगर अमेरिका के कई बड़े मीडिया हाउस मोदी को कवरेज नहीं दे रहे हैं…तो इसका मोहताज कौन है?
पीएम मोदी भारत को मैनिफेक्चरिंग हब बनाना चाहते हैं ,,,जो अमेरिका के आर्थिक हितों के विपरित है..क्योंकि अपने प्रोडक्ट को बेच -बेच कर ही अमेेरिका महाशक्ति बना है।मोदी इस एकध्रुवयीता को बदलने की जरुरत को समझते हैं।यही वजह है कि अमेरिकी मीडिया ने मोदी की खबरों पर ध्यान नहीं दिया…क्योंकि मंदी की मार झेल रहा अमेरिका आर्थिक अवसरों को भारत शिफ्ट होने नहीं देना चाहता।
दूसरी बात है कि आप बड़े एकतरफा तरीके से बात रख रहे हैं….अगर भारत के प्रधानमंत्री un महासभा को संबोधित करेंगे तो भारतीय मीडिया इसे कवर करेगा ही…आपकी आपत्ति तो अतार्किक है।क्या केवल भारत-पाक संबंध आपकी प्राथमिकता है…अमेरिका के साथ भारत के संबंध को कवर करना आपको सही नहीं दिखता है।
फिर अमेरिकी कोर्ट ने तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को नोटिस भेजा था तो कोई बवाल नहीं मचा था।
अनस साहब सबसे ज्यादा अमेरिका की सपोर्ट वहाबी सऊदी अरब को मिलती है और सबसे ज्यादा अमेरिका का विरोध भी कट्टरपंथी इस्लामिक गुट ही करते हैं।आप अपने को इस मुद्दे पर कहां देखते हैं।
भारत महाशक्ति बनने के रास्ते पर बढ़ रहा है।किसी का साथ मिले तो ठीक नहीं मिले तो ठीक…लेकिन देश अपनी मंजिल नहीं छोड़ सकता।
अनस साहब पीएम मोदी पर एक बार फरीद जकारिया की राय भी देख लेते।पूर्वाग्रह छोड़ कर राय रखना ज्यादा तार्किक होता है।
D K Bose
September 27, 2014 at 2:58 pm
A fool’s paradise is a wise man’s nightmare.
भारत की मोदीमय मीडिया से कुछ लोग अति प्रसन्न हैं, तो कुछ अत्यंत निराश।
arun srivastava
September 27, 2014 at 10:33 pm
खोदा पहाड़ निकली चुहिया वो भी मरी हुई……मोदी भक्तों, दलाल मीडिया के अलंबरदारों, तलुवे चाटने वाले खबरनविशों अब तो जमीन पर आ जावो… लगता है लोकसभा चुनाव में दलाल मीडिया को भाजपा ने जो पैसा दिया है वो अभी पूरा खर्च नहीं हुआ है…अरे भाईया कितना पैसा दे दिया पूरे लोकसभा चुनाव में पूरे चैनल मोदीमय हो गए थे …एक-एक इंटरवयू को हर चैनल पर दिखाया गया वो भी दसियों बार….मूर्धन्य पत्रकार रजत शर्मा ने तो आपकी अदालत में हद ही कर दी…कुछ ऐसा ही मोदी जी के अमेरिका यात्रा को लेकर हो रहा है,,, एक और देश की यात्रा न हो जैसे अश्वमेघ यज्ञ पर निकलें हों मोदी जी,,,,अमूमन सभी हिंदी (अंगरेजी मुझे आती नहीं…सीखूंगा भी नहीं) चैनल नरिया रहे हैं कि ” विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश का मुखिया विश्व के सबसे पुराने लोकतान्त्रिक देश के मुखिया से मिलने गया है ” गोया मिलने न गया हो कुश्ती लड़ने गया हो….या शेर की मांड में मेमना जा रहां हो.. सारे अखबार और चैनल महीनो से मोदिया रहें हैं….मोदी जी बराक ओबामा से आँख में आँख डालकर बात करेंगे .. तो कोई कह रहा है,,, मोदी जी अमेरिका में नींबू-पानी पीकर रहेंगे,, तो कोई चैनल वहां कि रेस्टोरेंट में गुजराती पकवान का अमेरिकी संस्करण दिखा रहा है… कोई उनके ठहरने को उनकी महत्ता से जोड़ रहा है ” कि ओबामा जी मोदी को अपनी गेस्ट हाउस में ठहराएंगे गनीमत है कि किसी ने यह नहीं कहा कि ओबामा जी उन्हें अपने साथ बेड पर सुलायेंगे ” आमतोर पर इस तरह की बातें गंवार महिलायें करतीं हैं कि हमारे वो ऐसे हैं तो तुम्हारे वो वैसे……
हकीकत यह है कि अमेरिकी मीडिया मोदी जी को घास नहीं दाल रहा है…एक तो उनके पहुंचने से पहले वहां कि एक अदालत ने समन जारी कर दिया… यानी कि सर मुंडाते ही ओले पड गए….न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपने पोर्टल में मोदी जी की खबर को ५वे स्थान पर रक्खा है …सिर्फ एक खबर लगाई है…अपनी ख़बरों में मंत्री और नवकरशाही में पीएमओ की दखलंदाजी, उनकी मुखबिरी , वीजा अादि को भी स्थान दिया है ,,,, गुजरात दंगे का भी जिक्र किया है ……
मोदी भक्तों…सभी बिकाऊ नहीं होतें हैं \
tannu sidhi
October 27, 2014 at 3:05 am
आज का समय
लोग कलम तोडने पर आमादा
prof.pushpendra
October 27, 2014 at 7:10 am
patrakarita kee pustak me ek adhyay aur judne valaa hai : bhartiya media kaa charan kaal (2014 se——) jaise hindi sahitya me adikal, madhykal, aadhunik kal hai vaise hee. ham rajtantra ke aakankshee the, hain aur rahenge. aakhir hajaro saalon kee gulam mansikta 68 saal me kaise jaa saktee hai!!!!!
Ashutosh
October 27, 2014 at 9:05 am
भाई मेरे मूल सवाल यह है कि मोदी जिस मुल्क का पीएम है उस मुल्क का मीडिया जिस स्तर का वज़न उनको दे रहा है उस स्तर के वज़न की उम्मीद दूसरे मुल्क के मीडिया से लगाने की बात में समझदारी की कौन सी बात है। हमारे मुल्क में भी विदेशी मेहमान आते हैं तो क्या हमारे मुल्क का मीडिया उनको उतना या अधिक मज़न देता है जितना कि अपने मुल्क में खुद उनको मिलता है? भरमाने के खेल बंद करिए कुछ सकारात्मक तथ्यों के साथ आलोचना करिए जो स्तरीय हो और वज़नदार भी।अगरकुछ लोग समर्थन में अंधे हैं तो आप उन कुछ लोगों में खड़े नज़र आ रहे हैं जो विरोध में अधे हुए जा रहे हैं।
premvar
May 24, 2015 at 6:36 pm
Anas… tum patrakar to nahi lagte…..agar ho to patrakarita tere bus ki nahi …. america me jo likha jaayege wohi sacchai hai kya…. to phir jihadiyo ke baare me wohan jayada likha jata hai ..uske baare me kya irada hai…
Mahesh sharma
November 14, 2015 at 8:56 am
मोहम्मद अनस साहब की पोस्ट पढ़ी। लगा कि भारतीय मीडिया में सभी खोंट व अमेरिका मीडिया को आदर्श मानने के पीछे कहीं उनकी मोदी के प्रति दुर्भावना प्रस्फुटित होती नजर आती है। देश के प्रधानमंत्री के प्रति सिरे से नकारात्मक चिंतन आखिर उनके जैसे पत्रकारों को कहां ले जाएगा, ईश्वर ही मालिक है।