लखनऊ। करीब दस दिन पहले राजधानी के मोहनलालगंज में दरिंदगी के साथ हुई महिला की हत्या मामले में फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट के बाद पुलिस की घटिया कहानी तार-तार हो गई है। लखनऊ की निर्भया की बर्बर हत्या की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे पुलिस की थ्योरी और उसकी मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एडीजी के अलावा लखनऊ के डीआईजी एवं एसएसपी ने दावा किया था कि महिला के साथ बलात्कार नहीं हुआ था। केवल रेप की कोशिश की गई थी, लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट ने उस दावे की पोल खोल दी है। सूत्रों के मुताबिक फॉरेंसिक रिपोर्ट से वारदात की जगह पर कई लोगों के होने का शक भी गहरा गया है।
हालांकि हालांकि बुरी तरह फंसी लखनऊ पुलिस इससे इनकार कर ही है। एसएसपी प्रवीण कुमार फोरेंसिक रिपोर्ट मिलने की बात से इनकार कर रहे हैं। फॉरेंसिक रिपोर्ट से हुए खुलासे ने लखनऊ पुलिस के होश उड़ा दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक फॉरेंसिक रिपोर्ट से जो खुलासा हुआ है वो पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक महिला के शरीर पर सीमेन मिले हैं। साथ ही कई लोगों के मौके पर होने की पुष्टि हुई है। इससे पता चलता है कि महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।
गौरतलब है कि मोहनलालगंज में बर्बर तरीके से हुई हत्या के खुलासे का दावा करते हुए यूपी पुलिस के आला अधिकारियों ने साझा प्रेस कांफ्रेंस की थी। एडीजी सुतापा सान्याल की अगुवाई में डीआईजी नवनीत सिकेरा और एसएसपी प्रवीण कुमार भी मौजूद थे। पुलिस के आला अफसरों ने कहा था कि आरोपी गार्ड रामसेवक यादव ने बलात्कार की कोशिश में नाकाम रहने पर इस दुस्साहसिक वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने दावा किया था कि रामसेवक ने अकेले घटना को अंजाम दिया था। उसने हेलमेट और बाइक की चाभी से महिला को लहूलुहान कर दिया था, जिससे खून बनने से उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने फॉरेंसिक और इलेक्ट्रानिक साक्ष्य होने का भी दावा किया था, लेकिन पुलिसिया थ्योरी पर पहले से उठते सवालों पर अब फॉरेंसिक रिपोर्ट ने ही गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
फोरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक महिला के नाखून से रामसेवक यादव के अलावा कई और लोगों के डीएनए सैंपल मिले हैं। साफ है वारदात के वक्त रामसेवक के अलावा और लोग के भी मौजूद होने की आशंका है। मौका-ए-वारदात और महिला के शरीर पर मिली बर्बरता की निशानियों से इस हत्याकांड में शुरू से ही कई लोगों के शामिल होने का अंदेशा जताया जा रहा था। शुरुआत में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे थे, लेकिन पुलिस रामसेवक के बयान के आधार पर इस तथ्य की अनदेखी करती रही और इस अंदेशे को खारिज। लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद अब परिवारवालों के साथ साथ विपक्ष भी इस केस में सीबीआई जांच की मांग पर जोर दे रहा है।
पुलिस पर रामसेवक के नाम को लेकर भी सवाल उठे, पुलिस ने पहले दावा किया था कि रामसेवक यादव ने महिला को अपना नाम राजीव बताया था। लेकिन बाद में डीआईजी सिकेरा ने उसे राजू बताया। इतना ही नहीं पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में महिला की किडनी पर आई रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े हुए। दरअसल महिला के घरवालों के मुताबिक पीड़िता ने अपनी एक किडनी पति को डोनेट कर दी थी। लेकिन पोस्टमॉर्टम में दोनों किडनी ठीक होने की बात थी। मोहनलालगंज में महिला की हत्या में पहले दिन से कई झोल हैं। पुलिस की तरफ से लगातार विरोधाभासी बयान आने से माममा उलझता जा रहा है।
अब फोरेंसिक रिपोर्ट के आने के बाद तो पुलिस की थ्योरी के पऱखच्चे उड़ गए हैं। सवाल यही कि क्या पुलिस किसी दबाव में है या फिर पुलिस केस को सुलझाने की जल्दबाजी में खुद ही उलझ गई है। लखनऊ के महानगर स्थित राज्य फोरेंसिक साइंस लैब से दो रिपोर्ट पुलिस को भेजी गई। लैब सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने कुछ नमूने कल भी जांच के लिए भेजे हें जिनकी रिपोर्ट अगले सप्ताह तक सौंपी जाएगी। हालांकि उन्होंने गोपनीयता का हवाला देते हुए जांच रिपोर्ट के बारे में कुछ कहने से इनकार कर दिया। इस बीच मृतका के दोनों नाबालिग बच्चों ने मां की मृत्यु की जांच की मांग को लेकर हजरतगंज स्थित जीपीओ पार्क में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना दे रहे हैं। धरने पर बैठे परिजनों ने पूरी घटना की जांच सीबीआई से कराने और राहत राशि दस लाख रुपये से बढाकर 25 लाख रुपये करने की मांग कर रहे हैं।
मृतका की 13 वर्षीय बेटी ने कहा कि उसे पुलिस पर कोई भरोसा नहीं है इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से करायी जाए और राहत राशि 25 लाख रुपये की जाए। मां की हत्या से आहत बेटी पुलिस की जांच को सही नहीं मान रही है। बालिका का कहना है कि सीबीआई जांच से ही उसे और उसकी मृतक मां को न्याय मिलेगा। माना जा रहा है कि फर्जी खुलासे करने के माहिर डीआईजी नवनीत सिकेरा और एसएसपी प्रवीण कुमार ने इस खुलासे में भी किसी को बचाने के लिए खेल किया है। जिस तरह से परत दर परत नई जानकारियों के साथ पुलिस कहानी फर्जी साबित हो रही है, उससे यह आशंका और बलवती होती जा रही है कि पुलिस गलत जांच करके किसी को बचा रही है।
purushottam asnora
August 3, 2015 at 1:22 am
dhikkar hai aise police adhikariou par jo mout se bhi mouka dhudhare hain.