बालू के कारोबार में वर्चस्व की जंग दो राजनीतिक परिवारों में इस तरह बढ़ी कि सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ़ पंडित की हत्या प्रयागराज के सिविल लाइंस में सरे शाम एके47 से गोलियां बरसाकर कर दी गयी और इसमें बसपा और भाजपा में शामिल करवरिया बन्धुओं के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज हुई। 23 साल की लम्बी क़ानूनी लड़ाई के बाद इस कांड की परिणति आरोपियों के विरुद्ध दोष सिद्धि से हुई।
बहुचर्चित सपा विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में गुरुवार को कोर्ट ने करवरिया बंधुओं, पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व भाजपा विधायक उदय भान करवरिया, पूर्व बसपा एमएलसी सूरज भान करवरिया और रामचंद्र मिश्र को हत्याकांड का दोषी ठहरा दिया है। इन्हें अदालत ने दोष सिद्धि का वारंट बनवाकर नैनी जेल भेज दिया है। सज़ा पर बहस के लिए 4 नवम्बर की तारीख नियत की है। सत्र न्यायाधीश (एडीजे) बद्री विशाल पांडेय की कोर्ट ने यह आदेश पारित किया हैं।
तेईस वर्ष पूर्व सिविल लाइंस क्षेत्र में सपा विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित व दो अन्य की हत्या के मामले में 31 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा। इसी माह 18 तारीख को अदालत ने दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था और तारीख नियत कर दी थी।
13 अगस्त 1996 को सिविल लाइंस स्थित पैलेस सिनेमा के पास तत्कालीन विधायक जवाहर यादव उर्फ पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसमें एके-47 का इस्तेमाल किया गया था। हमले में जवाहर पंडित, उनके ड्राइवर गुलाब यादव और राहगीर कमल कुमार दीक्षित की मौत हो गई थी। घटना में पंकज कुमार श्रीवास्तव व कल्लन यादव को भी चोटें आई थीं। कल्लन यादव की मृत्यु गवाही शुरू होने से पहले ही हो गई थी, इसलिए उनका बयान दर्ज नहीं किया जा सका।
हत्याकांड के चश्मदीद गवाह रहे विधायक के सगे भाई सुलाकी यादव ने सिविल लाइंस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 13 अगस्त 1996 को सफेद रंग की जीप और सफेद रंग की कार से करवरिया बंधु और रामचंद्र मिश्र व श्याम नारायण करवरिया पैलेस सिनेमा के पास पहुंचे। यहां रामचंद्र के ललकारने के बाद वारदात को अंजाम दिया गया।
मुकदमे में अभियोजन की ओर से कुल 18 गवाह और बचाव पक्ष की ओर से 156 गवाह पेश किए गए हैं। मामले की सुनवाई 2014 से लगातार चल रही है। अभियोजन और वादी पक्ष की बहस समाप्त होने के बाद बचाव पक्ष की बहस भी समाप्त हो गई। बचाव पक्ष की ओर से विधि व्यवस्था पेश किए जाने का समय मांगा तो कोर्ट ने मौका दिया। अब गुरुवार को कोर्ट फैसला सुनाएगा।रपट दर्ज कराने वाले सगे भाई सुलाकी यादव ने कोर्ट में भी अपनी गवाही दर्ज कराने के साथ आरोपितों की पहचान भी की। इस बीच बीमारी की वजह से उनका निधन हो गया। मामले में 23 वर्ष बाद जवाहर पंडित की पत्नी विजमा यादव फैसला सुन सकेंगी।
सिविल लाइंस थाने में इस घटना की सूचना उसी दिन 7:45 बजे रात में विधायक जवाहर यादव के भाई सुलाकी यादव ने दर्ज कराई थी। इस मुकदमे की विवेचना शुरुआती दौर में सिविल लाइंस पुलिस ने की थी। उसके बाद मुकदमे की विवेचना सीबीसीआईडी को सौंप दी गई। इलाहाबाद की सीबीसीआईडी की विवेचना के बाद मामले को सीबीसीआईडी वाराणसी को ट्रांसफर कर दिया गया। फिर विवेचना सीबीसीआईडी लखनऊ ने की। 20 जनवरी 2004 को आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया। वर्ष 2008 में मामले की अग्रिम विवेचना सीबीसीआईडी लखनऊ ने भी की। आरोप पत्र में कपिलमुनि करवरिया, उदयभान करवरिया, सूरजभान करवरिया, रामचंद्र त्रिपाठी उर्फ कल्लू तथा श्याम नारायण करवरिया का नाम दर्ज किया गया था।
इस मुकदमे की कार्रवाई स्पेशल सीजेएम के न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत होने और अदालत द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद काफी दिनों तक विचाराधीन रही। इस मुकदमे की समस्त कार्रवाई हाईकोर्ट इलाहाबाद के आदेश पर कई वर्षों तक स्थगित रही। हाईकोर्ट ने जब मामले की शीघ्र सुनवाई का आदेश दिया तो पत्रावली 2014 में स्पेशल सीजेएम के न्यायालय ने सत्र न्यायाधीश इलाहाबाद को सौंप दी। तब से लगातार मुकदमे की कार्रवाई विचाराधीन है।
नवंबर 2018 में प्रदेश सरकार ने इस मुकदमे को जनहित में वापस लेने का आदेश न्यायालय में प्रस्तुत किया था जिसे तत्कालीन अपर सेशन जज रमेश चंद्र ने खारिज कर दिया। इस आदेश को फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई परंतु अपर सेशन जज द्वारा दिए गए आदेश को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा और मामले की शीघ्र सुनवाई का आदेश दिया। इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान जेल जाने के पश्चात करवरिया बंधुओं की जमानत अर्जी सभी न्यायालयों से खारिज हो गई थी।
प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.