यह किस्सा मेरे एक नजदीकी मित्र के साथ ही घटा है. इस किस्से की शुरुआत किसी आम मार्केटिंग कॉल से होती है जो आपके हमारे पास सबके पास रोज आती है. 2010 की शुरुआत में किसी एक दिन यह कॉल मुंबई के नरेश बौंठियाल के पास भी आई. कॉल से सुमधुर आवाज में पूछा गया क्या आप शेयर बाजार में डीमेट खाते के माध्यम से इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं.
उन्होंने पूछा आप कहां से बोल रहे हैं. कॉल करने वाले ने जवाब दिया कि वह मोतीलाल ओसवाल सिक्यूरिटीज लिमिटेड से बोल रहे हैं. मोतीलाल ओसवाल स्टॉक एक्सचेंज में डील करने वाली एक मशहूर फर्म है. नरेश थोड़ा बहुत शेयर बाजार से परिचित थे इसलिए प्रतिष्ठित ग्रुप देखकर उन्होंने आगे की प्रक्रिया के लिए हामी भर दी.
इसके बाद मोतीलाल ओसवाल की बोरीवली ब्रांच को चलाने वाले सब-ब्रोकर ध्रुव सिक्योरिटीज के शीतल जगावत ने उनसे सम्पर्क किया और अपने इम्प्लॉई अविनाश के माध्यम से उन्होंने नरेश का डीमेट एकाउंट खुलवा दिया. नरेश ने अपने आईसीआईसीआई डायरेक्ट डीमैट अकाउंट से दिसंबर 2010 मे मोतीलाल ओसवाल के डीमैट अकाउंट मे 6.5 लाख कीमत के शेयर ट्रांसफर किए और उसके बाद हर महीने शेयर में निवेश करना शुरू कर दिया.
यह सिलसिला लम्बा चला. सब ब्रोकर के साथ उनकी टेलीफोन पर बात होती रहती. समय समय पर सब ब्रोकर ईमेल के माध्यम से नरेश को खाते में बढ़ती रकम के बारे में जानकारी देते रहते. दिसंबर 2010 से सितंबर 2016 तक नरेश ने कुल 20 लाख 58 हजार 292 रुपए निवेश कर दिए थे. इसकी वेल्यू नरेश के अनुसार बढ़ते हुए करीब 35 लाख के करीब हो गयी थी.
अक्टूबर 2016 में अचानक एक दिन नरेश को ध्रुव सिक्योरिटीज की तरफ से शीतल जगावत ने फोन किया कि आपके खाते में कोई बैलेंस बाकी नहीं है. यही नहीं आपकी तरफ 13 हजार रुपये की लेवाली निकल रही है. यह सुनते ही नरेश के पैरों से जमीन खिसक गयी. उन्होंने जब इसकी जांच की तो उन्हें पता चला कि जून 2014 से उन्हें बिना बताए उनके डीमैट खाते से लगातार अवैध तरीके से शेयर खरीदी-बिक्री की गई थी, जिसके कारण पूरा पैसा जीरो हो गया है.
मोतीलाल ओसवाल की सब ब्रोकर फर्म ने नरेश को पूरी तरह से फ्रॉड स्टेटमेंट भेजे. इससे उन्होंने इनकम टैक्स तक फाइल कर दिया जिसमें उन्होंने सरकार को फायदा दिखाया. इस घटना से हतप्रभ नरेश ने सब ब्रोकर ध्रुव सिक्योरिटीज के शीतल जगावत को पुलिस मे जाने की बात कही और सच्चाई बताने को कहा. उसने बताया कि नरेश से ध्रुव सिक्योरिटीज की तरफ से डील करने वाला अविनाश पहले ही फरार हो चुका था एवं नरेश के अलावा अन्य लोगों के साथ भी ऐसा हुआ है. इसके बाद ध्रुव सिक्योरिटीज के शीतल ने तीन दिनों के भीतर फरार अविनाश को लाने की बात की.
3 दिनों में शीतल अविनाश को लेकर नरेश के घर पर आए. उन्होंने माफी मंगाते हुए पैसा वापस करने का आश्वासन दिया. इस दौरान नरेश ने उन सबकी वीडियो भी बनाई. इसमें अविनाश के सामने ध्रुव सिक्योरिटीज के शीतल ने बताया कि इसने अभी तक लगभग 6 लोगों के साथ ठगी की है तथा इसी तरह से उनको भी बिना बताए खरीदी-बिक्री किया है, जिसकी हम जांच कर रहे हैं. कुछ समय दीजिए उसके बाद हम कुछ करते हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अपने खून पसीने की कमाई को लेकर बेहद परेशान नरेश ने मोतीलाल ओसवाल का रुख किया. आखिर उन्हीं के नाम के भरोसे पर ही तो उन्होंने इस फर्म के साथ डील की थी.
नरेश ने मोतीलाल ओसवाल के मुख्यालय में जाकर सबसे पहले एक अधिकारी दीपक सिंह से मुलाकात कर पूरी जानकारी दी. उस समय दीपक ने भी गलती मानते हुए पैसा दिलाने और अपने सब ब्रोकर पर कानूनी कार्यवाही करने का आश्वासन दिया लेकिन फिर वही हीला हवाला दिया जाने लगा.
बाद में मोतीलाल ओसवाल के सीईओ अजय मेनन और सर्वेसर्वा मोतीलाल ओसवाल से भी नरेश मिले. उन्होंने भी अपने सब ब्रोकर पर कानूनी कायृवाही करने का आश्वासन दिया और उन्हें सिर्फ 6 लाख देकर मामले को सेटल करने पर जोर देने लगे. उनका कहना था कि इस लेनदेन में उनका इतना ही कमीशन बना है. 2017 के आखिर तक नरेश जान गए थे कि वह बहुत बड़ी धोखाधड़ी के शिकार हो चुके हैं तो उन्होंने इस मामले को सेबी और एनएससी में उठाने की ठानी.
सेबी के आईजीआरपी बेंच ने मामले में सुनवाई करते हुए मार्च 2018 को मोतीलाल ओसवाल के खिलाफ सुनवाई करते हुए नरेश बौंठियाल को मात्र दस लाख देने का आदेश पारित किया. इस सुनवाई के दौरान सेबी ने माना कि मोतीलाल ओसवाल कंपनी द्वारा गलती की गई है.
इसके बावजूद मोतीलाल ओसवाल कंपनी ने आईजीआरपी के आदेश को अंगूठा दिखाते हुए आर्बिट्रेशन में अपील की. इस मामले में आर्बिट्रेटर्स ने भी मोतीलाल ओसवाल की दलील को न मानते हुए अपील खारिज की और आईजीआरपी के आदेश को कायम रखा. ओसवाल ग्रुप द्वारा आज तक सेबी के इस आदेश को नजरअंदाज किया जा रहा है.
आरबिटेशन की बेंच दवारा जब मोतीलाल ओसवाल से सवाल पूछा गया कि क्या आपने सब ब्रोकर के खिलाफ एफआईआर कराई एवं उनके साथ व्यापार बंद किया, तो इन दोनों ही प्रश्नों का उत्तर उन्होंने न में दिया. नरेश इस बात से भी हतप्रभ्र रह गए. तब जाकर इस सम्बंध में बोरीवली पुलिस में अपने साथ हुई धोखाधड़ी की कम्प्लेंट दर्ज कराई. लेकिन तीन महीने हो गए, पुलिस ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की है.
लेखक गिरीश मालवीय आर्थिक मामलों के विश्लेषक हैं। उनसे संपर्क [email protected] के जरिए कर सकते हैं.
राजकिशोर
December 24, 2019 at 11:03 am
आप सही कह रहे हैं। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है।क्या करु हमारी सहायता करें। आपका सदा आभारी रहूंगा।
नवीन सिंह
March 14, 2020 at 11:44 am
मुझे मोतीलाल ओसवाल से डिमैट अकॉउंट के लिए कॉन्टेक्ट किया है ।क्या मुझे अकॉउंट खुलवाना चाहिए में इस छेत्र में कुछ भी नही जानता किर्पया मार्गदर्शन दे
Sachin
March 23, 2020 at 7:58 pm
Mene bhi 16000rs. Send kiye 12fi din ho gye.koi ans hi nhi mil reha
Kya keru btsye