Prabhakar Mishra : मदारी और उसके जमूरों ने मिलकर गंध मचा दिया है …
टीआरपी की लड़ाई और संस्थानों की आपसी प्रतिद्वंदता के बावजूद फील्ड में काम करने वाले रिपोर्टर्स में सामान्यतया सौहार्द रहता है। रिपोर्टर दूसरे रिपोर्टर के सुख दुख में साथ खड़ा रहते हैं। लेकिन जो आज मुंबई में हुआ, उसने दशकों पुरानी उस सौहार्दपूर्ण, भाईचारे के सम्बंध को तारतार कर दिया है। वीडियो आपने देख ही लिया होगा .. वृतांत भी पढ़ लीजिए। फिर आपको लगेगा कि जो हुआ ठीक ही हुआ ..!!
तारीख : 24 सितंबर
समय : सुबह करीब 9.45 बजे
स्थान : NCB ऑफिस
मेरे सहयोगी Deepak Dubey बता रहे है कि ” सभी चैनल के रिपोर्टर NCB ऑफिस के बाहर लाइव दे रहे थे। सभी चैलन्स के कैमरे फुटपाथ पर थे लेकिन रिपब्लिक का कैमरा रोड पर था।
रिपब्लिक के रिपोर्टर ने बाकी चैनल्स के रिपोर्टर्स और कैमरा की तरफ अपना कैमरा घुमाते हुए कहा कि यह डिप्रेशन के मरीज पत्रकार बैठे हैं। चाय बिस्किट वाले पत्रकार हैं जो आपको खबर नहीं दिखाएंगे, हम खबर दिखाएंगे।
NDTV के रिपोर्टर ने कहा कि आप हमारा फ्रेम खराब कर रहे हो। दूसरे रिपोर्टर ने कहा आप रिपोर्टिंग करो, भाषा संभालकर बोलो। जिसपर रिपब्लिक पत्रकार ने अपशब्द कहा। यह सुनकर बाकी रिपोर्टर भी आ गए। देखते देखते तीखी बहस और गाली गलौच हुई।
रिपब्लिक के रिपोर्टर ने ABP और न्यूज़ 24 के रिपोर्टर्स को अपशब्द बोलते कहा कि रीढ़ की हड्डी नहीं है।
लोग बीच बचाव करने लगे। रिपब्लिक रिपोर्टर पर अपने सहयोगी रिपोर्टर सुहैल के रोकने के बाद एक दूसरे की ओर बढ़े। एक रिपोर्टर से झड़प हुई।
रिपब्लिक रिपोर्टर ने फिर गाली दी तो दूसरे रिपोर्टर ने हाँथ छोड़ा। पुलिस और अन्य लोग बीच बचाव करते रहे। सबको अलग अलग किया गया।”
Kavish Aziz Lenin : ओह नो
एबीपी न्यूज़ के मनोज वर्मा ने रिपब्लिक के रिपोर्टर प्रदीप भंडारी को कूट दिया🤣😂
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पत्रकार प्रभाकर और कविश की एफबी वॉल से.
प्रकाश
September 24, 2020 at 4:48 pm
इस पत्रकारिता में ये ही देखने को बचा था वो भी देख लिया और अब जो बचा है उसे भी अर्नव दिखवा देगा कहते जब किसीका अंत होता है तो वो जादा तेजी से चमकने लगता है। अब यहां पर पत्रकार कम हैं सब्जी भाजी बेचने वाले ज्यादातर हैं। जब कोई दूसरे की भाजी गंदी कहने लगे तो समझ लेना चाहिए कि अब ये धंधा जल्दी खत्म होने वाला है। और इसका अंत होना शुरू हो गया है अब पत्रकारों से लोगों बिस्वास तो पहले ही उठ रहा था। अब लगता है कुछ दिन के बाद जनता भी पिटाई करना शूरू ना कर दे और इसके जिम्मेदार चैनल के बैठे मालिक होंगे क्योंकि वो अपने पत्रकार से रिपोर्टिंग नहीं सब्जियों भाजी बिकवाने का काम जादा करा रहे हैं। इसके भस्मासुर अर्नव हैं
Jharkhand Working Journalists union
September 24, 2020 at 5:51 pm
हमीं सर्वश्रेष्ठ हैं ,यही सोच गलत है। सबके काम करने का तरीका अलग है। हमें अपना काम करना चाहिए ,अपने ही पेशे के साथियों को कमतर आंकना ,ताना मारना ,कटाक्ष करना उचित नहीं है। एक समाचार को एक पत्रकार एक तरह से प्रस्तुत करता है तो दूसरा अलग।
घटनाएं और सामग्री तो वही हैं। नंबर वन ,टू का क्रमांक दर्शकों ,पाठकों पर छोड़ दो।
मिल कर रहें ,तभी सफल होंगें।
शर्मनाक घटना।
Deepak srivastav
September 24, 2020 at 8:16 pm
इस मदारी साले को जमकर कूटा, इससे दिल को तसल्ली मिली। साला सडांध मचा दिया था। आज मज़ा आ गया