Sanjaya Kumar Singh-
मुनव्वर फारुकी बहुत ही शानदार कॉमेडियन है और उसकी गिरफ्तारी शर्मनाक है। हिन्दू धर्म और हिन्दुओं की आस्था को इतना कमजोर न बनाया जाए। एक हॉल के अंदर टिकट लेकर जाने वालों के बीच अगर कुछ कहा भी जाए तो उठ जाने और टिकट के पैसे वापस मांगने से ज्यादा का मामला नहीं होना चाहिए। मेरा अभी भी मानना है (जेएनयू के कथित टुकड़े-टुकड़े गैंग की कथित नारेबाजी के समय से ही) कि कुछ काम निजी तौर पर किए जाते हैं, किए जा सकते हैं और करने देना चाहिए। उसे सार्वजनिक करना गलत है। काम नहीं … इसपर विचार होना चाहिए। डबल इंजन की सरकार और हिन्दुत्व एक बच्चे की कॉमेडी से प्रभावित हो जाए, बात जमती नहीं है।
Shyam Meera Singh
इंदौर में मुनव्वर फ़ारूक़ी नाम का लड़का एक कॉमडी शो में अपना परफ़ोर्म करने के लिए गया, तभी कैफ़े में “हिंदू रक्षक संगठन” के गुंडे आते हैं. हुडदंग मचाते हैं और शो को बीच में ही बंद करा देते हैं. पुलिस आती है गुंडों पर कोई कार्रवाई नहीं करती लेकिन मुनव्वर समेत बाक़ी कोमेडियंस को अरेस्ट करके ले जाती है. ये हालत है अपने देश की.
मुनव्वर एक कॉमडी शो में परफ़ोर्म करने के लिए गया हुआ था, उसी शो में भाजपा विधायक के बेटे समेत कई गुंडे टिकट लेकर पहले से ही पहुँच गए. क्योंकि मुनव्वर को target करना था, वैसे भी मुसलमानों की हत्या करना इस देश में अपराध की जगह अवार्ड बन चुका है. सरकार से लेकर पुलिस साथ देने के लिए है ही, फिर मुसलमान से ज़्यादा ईज़ी और काम का टारगेट कौन हो सकता है. जैसे ही इन्हें मुनव्वर दिखा, दर्शकों के रूप में बैठे ये गुंडे अपने असली रूप में आ गए. जोकि बैठे ही इसी ताड़ में थे कि मुनव्वर को नोच लेना है आज. क़ानून, संविधान सब इनके अंगूठे पर. इन गुंडों ने मुनव्वर के साथ न केवल बदतमीज़ी की बल्कि चलते हुए शो को भी बीच में ही रुकवा दिया.
गुंडे मुनव्वर और बाक़ी चार कोमेडियन को पकड़कर tukoganj पुलिस स्टेशन भी ले गए. जहां पुलिस ने इन गुंडों पर तो कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन धार्मिक भावना उकसाने की कम्पलेंट के नाम पर मुनव्वर को ही जेल के अंदर डाल दिया गया. मुनव्वर पर धार्मिक भावना उकसाने वाली धाराएँ जैसे धारा 295 और धारा 265-A के अंदर फ़र्ज़ी मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है. मुनव्वर की ज़मानत याचिका भी ख़ारिज कर दी गई है अभी फ़िलहाल मुनव्वर मध्यप्रदेश पुलिस की कस्टडी में है. अपराध क्या है? कॉमडी करना. मुख्य अपराध क्या है? मुसलमान होना.
जिस पुरानी कॉमडी video के आधार पर मुनव्वर को टारगेट किया गया है उसमें उसने अमित शाह और 2002 दंगों को लेकर व्यंग्य किए थे. इसके अलावा मुनव्वर पर हिंदू देवी देवताओं का मज़ाक़ उड़ाने का भी आरोप है. गुंडों का कहना था कि धार्मिक भावनाएँ आहत हो गईं हैं इसलिए बीच शो में रुकवाकर, बदतमीज़ी करके भावना का ख़्याल रखवाया गया है.
इस देश में केवल गुंडों की भावनाओं का ही ख़्याल रखा जा रहा है. गुंडों की कुंठा ही सरकारी भाषा में “धार्मिक भावना” है. वे जिसे चाहे पकड़कर पीट दें, वे जिसे चाहे मार दें और कह दें कि धार्मिक भावनाएँ आहत हुई है. जबकि इसी इंदौर में कुछ दिन पहले एक मस्जिद पर चढ़कर गुंडई का नंगा नाच किया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. ग़ज़ब की बात ये है कि जिस गुंडे की भावना एक जोक से आहत हो जा रही है उसकी भावना दूसरे के धार्मिक स्थल को गिराकर अति प्रसन्न हो जाती है.
लेकिन पुलिस स्टेशन के सिपाहियों को तो लिहाज़ करना था. kyaa उन्हें क़ानून की सामान्य विधि भी नहीं मालूम. अगर गुंडे किसी पुरानी video से आहत भी थे तो सभ्यता से पुलिस कम्पलेंट कराते, आगे का काम न्यायपालिका कर लेती. लेकिन यहाँ तो गुंडे ही पुलिस, न्यायपालिका और जज बने हुए हैं, कोई मान सकता है कि क़ानून से चलने वाले एक देश में गुंडे, चलते हुए शो को बंद करवाकर खुद ही थानेदार बन जा रहे हैं और पुलिस का काम एक चपरासी जितना रह गया है जो केवल अपने मालिक का हुकुम बजाता है.
ये कितनी शर्मनाक और ग़ुस्सा दिलाने वाली बात है. ये किस तरह का जुल्म है और क्यों किया जा रहा है? हम ऐसा देश होना डिज़र्व नहीं करते.
चारों तरफ़ गुंडों का क़ब्ज़ा है, कुछ भी बोलने, खेलने, नाचने-गाने, घूमने में अब डर लगता है. जगह-जगह दो चार गुंडे धर्म रक्षा के नाम पर देश भर में आतंक मचाए हुए हैं और हम सब कायरों की तरह मूकदर्शक बनें हुए हैं. हम वे नागरिक जिनका लाल खून पाकिस्तान की वीडीयोज देखकर खोल आता है लेकिन अपने ही देश में हर रोज़ हो रहे आतंक पर पीला पड़ जाता है. हमसे दोहरा कौन हो सकता है. आख़िर हम कितने कायर पड़ोसी, कितने कायर दोस्त, कितने कायर कलीग हैं कि इस खुले आतंक के ख़िलाफ़ एक आह तक नहीं निकलती.
वेद प्रकाश
January 4, 2021 at 8:41 pm
बस …….बहुत बोल चुके ……..लेकिन आज जो हो रहा है वो दर्द हमने भी झेला है ।…….इन्ही मनबढ़ों ने सपा और अन्य पार्टियों की सरकार में हिन्दू भावनाओ को जमकर कुचला है । तब तुम कहा थे दोगले पत्तल कार । थू है तुमपर
Hari Mishra
January 5, 2021 at 8:23 pm
संजय जी बहुत ही धर्म निरपेक्ष व्यक्ति है सम्मान करता हूँ , मै उस समय का साक्षी नही हूँ लेकिन उनके विचारों से सहमत नही हूँ कोई भी आकर हमारे धर्म का अपमान करे चाहे वह हिन्दू हो या कोई और ? क्या उस धर्म का एक भी व्यक्ति खड़ा हो कर कह सकता है की आप हमारे भी धर्म का अपमान कर सकते हैं । नही ज़नाब आप को उसी दिन ये कट्टरपंथी जिब़ह कर देगें आप शायद सच्चाई से वाकिफ नही ।
Rajan
January 6, 2021 at 6:06 am
फारुखी जैसे लोग अपने रसूलों और पैगम्बरों का मख़ौल क्यों नहीं उड़ाते? उनका इतिहास पढ़ो तो सैकड़ों कारण हैं, उनपर हँसने और गुस्सा होने के।
Sobu
January 6, 2021 at 6:09 am
ये लेखक भला कौन हैं? न इधर के हैं न उधर के…निश्चित हीं बीच के हैं।