दिल्ली-नोएडा के एक नये मीडिया मालिक की चर्चा जोरों पर है. खबर है कि नये नये मीडिया मालिक बनने जा रहे इस शख्स को एक कैमरामैन ने वेबसाइट चैनल यानि वेब चैनल दिखाकर करीब-करीब एक करोड़ रूपये वसूल लिये.
चैनल का चकाचौंध देखकर पैसा देने में लखनऊ के इस शख्स को कोई परेशानी नहीं हुई. बताया जाता है कि कैमरामैन ने चार लाख का सेकेंड हैंड कंप्यूटर ग्राफिक्स, प्लेआउट और स्विचर ज्यादा दाम का दिखाकर मालिक को लगातार भांति भांति से उल्लू बना रहा था व पैसे इस उस नाम पर ऐंठ रहा था. लेकिन जैसे ही इस चैनल में पत्रकार-रिपोर्टरों की फौज खड़ी हुई, उन्होंने कैमरामैन की पोल खोल दी.
असली खेल इसके बाद शुरू होता है. एक रिपोर्टर ने मालिक को भरोसे में लेकर चैनल को नये सिरे से लगाने का ऑफर दे दिया. साथ में सेकेंड हैंड सामान लगाने वाले एक इंट्रीग्रेटर को जोड़ लिया. इनको भरोसा है कि अगर कैमरामैन जब मालिक को घुमाफिरा कर 75 लाख रुपये से एक करोड़ रूपये तक का चूना लगाते हुए वसूल कर सकता है तो ये भी काफी बड़ा माल वारे-न्यारे कर सकने की क्षमता रखते हैं.
मौजूदा इंट्रीग्रेटर के बारे में बताया जाता है कि नौसिखिए मालिकों को भइया-भइया करके पूरे सामान को नये पैंकिंग में डालकर बेच देता है. मालिकों की हालत 3 महीने में ही पतली हो जाती है, जिसके बाद सामान फिर किसी नौसिखिए मालिक को बेच दिया जाता है. इसके कारण इंट्रीग्रेटर की असलियत भी जब तक सामने आती रहती है. लेकिन तब तक गंगा में इतना पानी बह चुका होता है कि लोग खट्टी याद समझ कर भुला देने में ही भलाई समझते हैं.
इसकी एक और महारत है. यह मीडिया मालिकों को किराये पर चैनल का लाइसेंस और टेलीपोर्ट दिलाता है, जिसका मोटा कमीशन भी सीधे इसकी जेब में जाता है. बात खुलने पर भी मीडिया मालिक इसका कुछ बिगाड़ नहीं पाते हैं.
फिलहाल गैर-पेशेवर और नौसिखिया लखनवी मीडिया मालिक बनने जा रहे शख्स के बारे में कहा जा सकता है कि यह अब भी जमीनी हकीकत से बेखबर है. इसीलिए दिल्ली के जालिम पत्रकार दोबारा इसे हलाल करने की जुगत में लग गए है और हलाल की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. ऐसा इसीलिए होता है कि क्योंकि इन मालिकों की पहुंच कभी कायदे के इमानदार सलाहकारों या इमानदार संपादकों तक हो ही नहीं पाती.