मजीठिया वेतन आयोग की फाइनल रिपोर्ट आ गई लेकिन मीडियाकर्मियों को बाबाजी का ठुल्लू ही मिल पाया है. मालिकों ने इतने प्रकार की साजिशें, छल, धोखा, उछाड़ पछाड़ की है कि मीडियाकर्मियों को लाभ शून्य के बराबर मिला. कई मीडिया हाउसों ने हर यूनिट को कंपनी के रूप में तब्दील कर दिया तो कुछ ने अपने कर्मियों से लिखा लिया कि उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं चाहिए. सारा मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट ने गेंद फिर से प्रदेश सरकारों और लेबर विभाग पर डाल दिया है. कुल मिलाकर मजीठिया वेज बोर्ड एक ऐसी परिघटना है जिसके बहाने पूरे देश में लोकतंत्र के चरम पतन को देखा जा सकता है.
विभिन्न अखबारों में काम रहे रहे पत्रकारों व गैर पत्रकारों के लिए गठित राष्ट्रीय वेतन आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति जीआर मजीठिया और बोर्ड के सदस्यों ने अपनी अंतिम रिपोर्ट श्रम व रोजगार मंत्रालय के सचिव पीसी चतुर्वेदी को सौंप दी है. रिपोर्ट सौंपने के बाद न्यायमूर्ति मजीठिया ने कहा कि रिपोर्ट तैयार करते समय कर्मचारियों के हितों व उम्मीदों को ध्यान में रखने के साथ ही नियोक्ताओं की भुगतान करने की क्षमता को ध्यान में रखा गया है. रिपोर्ट में सरकार को कुछ सुझाव भी दिए गए हैं जिसमें सेवानिवृत्ति के बाद होने वाले लाभ, प्रमोशन पॉलिसी और RNI के डाटाबेस में सुधार करने की जरूरत आदि शामिल हैं.
रिपोर्ट में कुल राजस्व के आधार पर समाचार पत्र प्रतिष्ठानों को आठ श्रेणियों में और न्यूज एजेंसियों को चार श्रेणियों में बांटा गया है. प्रत्येक श्रेणी के प्रतिष्ठान में नौकरी को छह श्रेणियों में वर्गीकृत कर उसके अनुसार पे स्केल की सिफारिशें की गई हैं. नए पे स्केल में पुराने मूल वेतन और जून 2010 तक महंगाई भत्ते को मिलाकर 30 प्रतिशत अतिरिक्त की अंतरिम राहत दी गई है. नया वेतन पहले शीर्ष के चार प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों के वेतन में 35 प्रतिशत की दर से और अन्य चार श्रेणी के प्रतिष्ठानों में 20 प्रतिशत की दर से वेतन को शामिल कर देना होगा. नए वेतनमान की गणना एक जुलाई 2010 से की जाएगी.
निचली श्रेणी के प्रतिष्ठान में सबसे निचले श्रेणी के कर्मचारी के लिए मासिक परिलब्धियां 9000 मूल वेतन के आधार पर तैयार की जाएंगी. बड़े प्रतिष्ठानों जिनका ग्रॉस रेवेन्यू एक करोड़ रुपये से अधिक है, उनमें गैर पत्रकारों के लिए संशोधित मूल वेतन 9000 से 17000 रुपये और पत्रकारों के लिए 13000 रुपये से 25000 रुपये होगा. इस रिपोर्ट में पुरुषों को पितृत्व अवकाश, सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल करने और पेंशन योजनाओं को शामिल करने की संस्तुति भी की गई है.
वेतन आयोग ने विभिन्न श्रेणी के प्रतिष्ठानों के लिए अलग-अलग रात्रि भत्ता , हार्डशिप अलाउंस, आने-जाने का भत्ता , हाउस रेंट अलाउंस आदि की संस्तुति भी की है. इसके अलावा आयोग की सिफारिशें न माने जानने और झूठ आदि शिकायतों के निस्तारण के लिए एक ट्रिब्यूनल के रूप में एक स्थायी व्यवस्था बनाने की सिफारिश भी की गई है. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि ठेके पर रखे गए कर्मचारियों को भी उस काम के लिए वही सैलरी देनी होगी जो एक स्थायी कर्मचारी को उसी काम के लिए दी जाती है. रोजगार व श्रम मंत्रालय ने 24 मई 2007 और तीन जुलाई 2007 को अधिसूचना जारी कर कामकाजी पत्रकारों और अखबार में कार्यरत गैर पत्रकारों के लिए वेतन बोर्ड का गठन किया था. इसकी अध्यक्षता केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज डॉ. नारायण कुरुप को सौंपी गई थी. जस्टिस नारायण कुरुप के इस्तीफे के बाद सरकार ने जीआर मजीठिया को वेतन बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया था.
मनमोहन श्रीवास्तव
May 21, 2015 at 5:04 am
उपयोगी जानकारी के िलए साधुवाद
KASHINATH MATALE
May 21, 2015 at 10:22 am
Thanks bhadas4media.com for publishing the Majithia Wage Board Report.
Puri report, with alternation/correction net par uplabdha hai.
Sath hi Supreme Court of dt. 7th February, 2014 ka judgment bhi uplabdh hai.
Govt time pass kar rahi hai.
rajesh bharti
May 22, 2015 at 7:36 am
shukriya bhadas…fir ek bar ham log hisab lagane baith gaye hain ki kisko kitna milega.