अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बना गया है जहां नागरिकता संशोधन बिल लागू कर दिया गया है। 10 जनवरी को सीएए लागू होते ही करीब पचास हजार हिंदू शरणार्थियों ने नागरिकता पाने के लिए आवदेन भी कर दिया है। इसमें से करीब 38 हजार शरणार्थी पीलीभीत जिले में हैं। लखनऊ से भी काफी आवदेन आये हैं। ये संख्या आने वाले दिनों में करीब दो लाख तक पहुंच सकती है। आवदेन करने वाले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आये लोग हैं, जिन्हें अपने-अपने देशों में अल्पसंख्यक होने के कारण उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था।
उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अभी तक तमाम राज्यों में चुनाव प्रचार के समय ही ज्यादा नजर आते थे, लेकिन अब केन्द्र ने योगी को नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) को लेकर यूपी सहित देशभर में फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने की जिम्मेदारी भी सौंप दी है। गौरतलब हो, देश भर में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच नागरिकता संशोधन कानून 10 जनवरी 20020 से पूरे देश में लागू हो गया है। लेकिन इसके खिलाफ विरोध थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
एक तरफ जहां सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित तमाम दिग्गज नेता और कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर सीएए के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश में लग गए हैं।
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी सीएएस पर जागरूकता फैलाने के लिए देश के दूसरे राज्यों में भी सभाएं करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। योगी आदित्यनाथ नागरिकता संशोधन कानून पर मध्य प्रदेश में 11 तारीख को ग्वालियर में जनसभा को संबोधित कर चुके है। इसके बाद 14 जनवरी को योगी मकर सक्रांति के दिन बिहार के गया में लोगों को सीएए के बारे में समझाएंगे।
इसी तरह से 18 जनवरी को काशी, 19 जनवरी को गोरखपुर, 20 जनवरी को लखनऊ, 21 जनवरी को कानपुर, 22 जनवरी को मेरठ और 23 को आगरा के आयाजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन के बीच यूपी के कई इलाकों में हिंसा भी देखने को मिली थी। यूपी में तो अब माहौल शांत हो गया है लेकिन दिल्ली सहित कई राज्यों में अभी भी सीएए के विरोध में लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर कानून पारित होने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में भारी विरोध प्रदर्शन की आग को ठंडा करने के लिए गत दिनों अमित शाह ने इस अभियान के तहत दिल्ली के लाजपत नगर में घर-घर जाकर लोगों से सीएए कानून के फायदों को लेकर चर्चा की थी। उन्होंने इस विषय पर साहित्य एवं लिखित सामग्री भी वितरित की थी। इस अभियान के तहत राजनाथ सिंह, जे पी नड्डा, नितिन गडकरी सहित पार्टी के नेता देश के अन्य हिस्सों में अभियान में हिस्सा ले रहे हैं। भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं सहित सांसदों-विधायकों के माध्यम से भी सीएए के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये घर-घर अभियान शुरू कर रखा है।
सीएए कानून में देश के किसी नागरिक की नागरिकता नहीं छिनेगी, बल्कि यह कानून नागरिकता देने का है। पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को आसानी से भारत की नागरिकता मिलेगी। नागरिकता हासिल करने के लिए उन्हें यहां कम से कम 6 साल बिताने होंगे। पहले नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल बिताने का पैमाना तय था।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों के हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था, वे सभी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। ओसीआई कार्ड धारक यदि नियमों का उल्लंघन करते हैं तो केंद्र के पास उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार होगा। ओसीआई कार्ड स्थायी रूप से विदेश में बसे भारतीयों को दिए जाने वाला कार्ड है।
लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं.