‘नईदुनिया’ का बाजार धीरे-धीरे किस तरह गिर रहा है, ये बातें मीडिया में अभी तक खुसुर-पुसुर सीमित थी। लेकिन, अब ये बातें ‘नईदुनिया’ के सीनियर्स की मीटिंगों में भी गंभीरता से की जाने लगी है। 4 अगस्त को ‘नईदुनिया’ के इंदौर दफ़्तर में हुई मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के 6 रेसीडेंट एडिटर्स और मार्केटिंग हेड्स की मीटिंग में अखबार में गिरावट को लेकर गंभीर चिंतन हुआ। ‘नईदुनिया’ के मार्केटिंग हेड सौरभ भटनागर ने सभी 6 एडीशंस के मार्केटिंग और सर्कुलेशन के गिरते आंकड़ों का ब्यौरा दिया! उन्होंने बताया कि बीते साल के दौरान ‘नईदुनिया’ के सभी सिटी और उपकन्ट्री के सर्कुलेशन और मार्केटिंग में 17% से 19% तक गिरावट आई है! सिर्फ रायपुर के सिटी एडीशन ने 2% की बढ़त दर्ज की है।
मार्केटिंग हेड भटनागर ये आंकड़े बताते हुए इतने तैश में थे, उन्होंने साफ़ कहा कि मैं ये फिगर्स लेकर संजय गुप्तजी (जागरण ग्रुप के मालिक) सामने कैसे जाऊँ? इस मीटिंग में इस गिरावट के कारणों पर भी चिंतन हुआ! मीटिंग के बारे में ये जानकारी भी मिली है कि सौरभ भटनागर ने जो आंकड़े बताए हैं, वो सही नहीं है! ‘नईदुनिया’ में वास्तविक गिरावट 28% से 30% के आस-पास है। मीटिंग से रिसकर बाहर आई खबरों के मुताबिक वहाँ मौजूद सभी लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि अखबार की इस हालत का कारण प्रत्येक विभाग का कमजोर परफारमेंस है। ‘नईदुनिया’ के पाठकों ने अखबार को पूरी तरह ठुकरा दिया है। सरकुलेशन टीम चीजें ठीक से मैनेज नहीं कर पा रही है। ब्रांड डिपार्टमेंट सोया पड़ा हुआ है। अखबार को बेचने को लेकर कोई स्कीम योजना का न होना भी अखबार के पतन का एक बड़ा कारण है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अखबार कमजोर कंटेंट की वजह से पिट रहा है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
A. K MISHRA
August 13, 2014 at 2:47 pm
sir i am a.k mishra from allahbad u.p
sir ham to nai duniya jabal pur me kam karchuka hu.
jabalpur ka market bahut radi hai khane valay bahut hai kaam karny valy kam hai
ajay
August 15, 2014 at 6:46 am
ये लिखने वाले वो भाई होंगे, जिनका नईदुनिया को बिकवाने में कुछ न कुछ योगदान रहा होगा। इसके बाद ऐसे लोगों को संस्था से बाहर का रास्ता दिखाया गया। अब अनाप—शनाप की बात लिखकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। पहले ब्लैकमेलिंग की पत्रकारिता करके पेपर को ही बदनाम कर दिया। अब इन्हें चिंता सताने लगी है।
Rawan Garg
August 15, 2014 at 3:16 pm
साहब
नईदुनिया के हाल तो वहां काम करने वालों से पूछो। भड़ास की रिपोर्ट बिल्कुल सही है।
कंटेट के मामले में जिस अखबार की कसमें खाई जाती थी, वहां गर्ग की राजनीति से सारे काम के आदमी चलते कर दिए गए। आज कमेंट करने वाले अजय टाईप के लोगों ने गर्ग को मक्खन मारकर जगहें हथियायी हुई है।
सीईओ सलिल टंडन से गर्ग के इस कदर पंगे चल रहे हैं कि मिटिंग के पूर्व गर्ग ने सभी संपादकों को निर्देश दे दिए थे कि यदि टंडन अकेले में कुछ भी बात कहे तो मुझे मेल कर दें। इतना ही नहीं टंडन जी के विभागों पर ही सारा ठिकरा फोड़ा जाए। हुआ भी यही मिटिंग में बस बातें हुई, आरोप लगे और फिर मजे मारकर सब चले गए।
बेचारे जी जान से काम करने वाले इस चिंतन बैठक के नाम पर हुए शह मात के खेल को देखते रह गए।
nikhil
August 16, 2014 at 11:33 am
😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆 😆
pradeep jain
August 17, 2014 at 7:11 am
Ajay saheb kya koi karmchari kisi akhbar ko bikwane ki kshmta rakhta hai? aap to chamchon ki bhasha bolte ho.
apoorve khare
August 19, 2014 at 1:14 pm
sir i am apoorve kumar khare from bhopal hum bhi naidunia jabalpur me mis incharge ke roop me kam kar chuke he vaha ke senior’s sirf report me khelte he hakkikat se unka kuch lena dena nahi he jab tab seniors ko nahi hataya jayega tan tak circulation ese hi girta rahega 2012 se abhi tak jabalpur city ka sales minium 35% gir chuka he
Mr. Singh
October 8, 2015 at 7:31 am
Kya kare jis santhan main ajay saxsena jaise graphic designer apne ko sampadak samjhane lagega to yahi hoga.