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मीटिंग में प्रधान संपादक की गाली न सुनना पड़े इसलिए संपादक ने इस्तीफा दे दिया!

प्रधान संपादक के क्रोध का असर देखिए… घबराए संपादक ने बचने के लिए इस्तीफा देना ही बेहतर समझा… मामला नईदुनिया के उज्जैन संस्कारण का … नईदुनिया के चीफ एडिटर श्रवण गर्ग का मंथली रिव्यू काफी कुख्यात है क्योंकि इसमें केवल जलालत-मलामत ही होती है… पूरे वक्त अपने भास्कर के कथित किस्से, किसे कब नौकरी के लिए मोहताज किया, किसकी कैसे बारह बजाई… आदि आदि।

<p>प्रधान संपादक के क्रोध का असर देखिए... घबराए संपादक ने बचने के लिए इस्तीफा देना ही बेहतर समझा... मामला नईदुनिया के उज्जैन संस्कारण का ... नईदुनिया के चीफ एडिटर श्रवण गर्ग का मंथली रिव्यू काफी कुख्यात है क्योंकि इसमें केवल जलालत-मलामत ही होती है... पूरे वक्त अपने भास्कर के कथित किस्से, किसे कब नौकरी के लिए मोहताज किया, किसकी कैसे बारह बजाई... आदि आदि।</p>

प्रधान संपादक के क्रोध का असर देखिए… घबराए संपादक ने बचने के लिए इस्तीफा देना ही बेहतर समझा… मामला नईदुनिया के उज्जैन संस्कारण का … नईदुनिया के चीफ एडिटर श्रवण गर्ग का मंथली रिव्यू काफी कुख्यात है क्योंकि इसमें केवल जलालत-मलामत ही होती है… पूरे वक्त अपने भास्कर के कथित किस्से, किसे कब नौकरी के लिए मोहताज किया, किसकी कैसे बारह बजाई… आदि आदि।

गत दिनों जब उज्जैन के संपादक मुकेश तिवारी को पता चला कि रिव्यू होना है तो उन्होंने तत्काल अपना इस्तीफा मेल कर दिया। रिव्यू के लिए प्रधान संपादक इंतजार करते रहे।  बाद में मुकेश तिवारी से संपर्क करने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन बंद ही मिला। नाराज गर्ग ने तत्काल नीमच जिले के रिव्यू की घोषणा कर डाली।

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0 Comments

  1. mishra. prem

    June 19, 2014 at 7:35 am

    श्रवण गर्ग साहब चीखते चिल्लाते हैं। साथ में काम भी करते हैं। असल में पूरे मध्यप्रेदश में इस समय पत्रकारिता भांडगीरी हो गई है। भास्कर नम्बर एक है इसलिए वह जो करे, बाकी के लिए नजीर बन जाता है। पत्रिका ने तो भांडगीरी की नई सीमा ही बना दी है। देखना है तो जबलपुर, सतना पत्रिका में देख लें। चैहान साहब ने उम्मीद से अपनी टीम बनाई। धनंजय प्रताप सिंह जैसे नाम को बाहर का रास्ता दिखा दिया। बदले में आलोक मिश्रा, प्रदीप पांडे जैसों के हाथ में उस्तरा दे दिया है। कहना यही चाहिए कि इन दोनों ने अपने को चैहान साहब से भी बडा दिखाना शुरू कर दिया है। तमाम शिकायतों के बाद भी आलोक मिश्रा ने वही किया, जो उनके चमचों मनोज दीक्षित और वीरेन्द्र रजक ने कहा। इन दोनों ने भांडगीरी को नई दिशा दी है। आलोक मिश्रा और प्रदीप पांडे को लग रहा है कि वे चैहान साहब की आड में चाहे जो कर लें। हाल ही में अग्निबाण के संपादक काषी जी पत्रिका आॅफिस में संपादक से मिलने आए थे। बाहर निकले तो हवा फैला दी कि आलोक अगले स्टेट हेड बन सकते हैं। जबकि, मनोज दीक्षित संपादक। वीरेंद्र रजक अपने को सिटी चीफ मानकर बैठे हैं। बाकी के लोग इंतजार कर रहे हैं। जो प्रताडित हैं, वे कहते हैं कि बुरा दौर कभी तो बीतेगा। तीसरी आंख सब देख रही है।

  2. Manish Sharma

    June 21, 2014 at 2:37 am

    श्रवण गर्ग के पागलपन के सैकड़ों किस्से मशहूर हैं। स्टाफ के साथ कैदियों जैसा सुलूक करने वाले इस पागल संपादक के कारण ‘नईदुनिया’ में दहशत जैसा माहौल है। सीनियर स्टॉफ को भी खुलेआम गाली देना और अपना ज्ञान बघारना इनकी दिनचर्या है। कभी यही स्थिति ‘दैनिक भास्कर’ में होती थी! वैसे वहाँ भी श्रवण गर्ग जैसा ही एक सनकी कल्पेश याज्ञिक है, जिसने श्रवण गर्ग से ही दीक्षा ली है। पर, आज ये साइड लाइन हैं और ट्रांस्लेटेड आर्टिकल लिख रहे हैं।

  3. mradul jain

    July 15, 2014 at 6:39 am

    आदरणीय और सम्मानीय प्रेम मिश्रा जी
    मुझे लगता है कि श्रवण गर्ग जी की तारीफ और आलोक मिश्र जी की ऐसी आलोचना कर आप भांड गिरी की नई इबारत लिखने का प्रयास कर रहे हैं, रही बात धनंजय भाई साहब की, तो आप अपना ज्ञानकोष बड़ा लीजिये, कि उन्हें पत्रिका से निकाला नहीं गया, बल्कि खुद उन्होंने इस्तीफा दिया था, क्योंकि उनके लिए राजधानी बेहतर कर्मस्थली थी।
    रही बात (आपके अनुसार) आलोक जी के हाथ में उस्तरा थमाने वाली, तो सुनिए बंधू आप हिंदी अख़बारों के किसी भी संपादक को आलोक जी के साथ कम कराकर देख लीजिये शायद वह आपके ज्ञान चक्षु खोल दें और बता पायें की बन्दर कौन हैं, और हाँ मैंने ये किसी की चमचागिरी के लिए नहीं लिखा, क्योंकि न तो मैं कहीं नौकरी करता और न मुझे जरूरत है, लेकिन मैंने आलोक जी के साथ कम किया है और भुत कुछ सीखा भी है, तो आप भी किसी का भांड बनने की बजाये अपने कम पर धयान दो और अपने कम का लोहा दिखाओ।

  4. Ashaya

    July 29, 2014 at 9:04 pm

    श्रवण गर्ग और कल्पेश याग्निक महज सनकी ही नहीं हैं बल्कि अव्वल दर्जे के पाखंडी भी है। दोनों ईमानदार होने का ढोंग करते हैं लेकिन दोनों ही दलालों के सरगना हैं।

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