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विज्ञापन रुकते ही नवज्योति ने दे दिया मजीठिया

मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर समाचार पत्र संस्थानों ने किस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाया है इसकी ख़बरें भड़ास पर निरंतर आती रहीं हैं। लेकिन जिन संस्थानों में यूनियनें अपना हक लेने पर अड़ गयीं वहां प्रबंधन को मजीठिया देना ही पड़ा है। ताजा मामला दैनिक नवज्योति का है। नवज्योति की यूनियन ने सरकारी विज्ञापनों के डंडे से वेजबोर्ड लेने का सफल प्रयोग किया है।

<p>मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर समाचार पत्र संस्थानों ने किस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाया है इसकी ख़बरें भड़ास पर निरंतर आती रहीं हैं। लेकिन जिन संस्थानों में यूनियनें अपना हक लेने पर अड़ गयीं वहां प्रबंधन को मजीठिया देना ही पड़ा है। ताजा मामला दैनिक नवज्योति का है। नवज्योति की यूनियन ने सरकारी विज्ञापनों के डंडे से वेजबोर्ड लेने का सफल प्रयोग किया है।</p>

मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर समाचार पत्र संस्थानों ने किस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाया है इसकी ख़बरें भड़ास पर निरंतर आती रहीं हैं। लेकिन जिन संस्थानों में यूनियनें अपना हक लेने पर अड़ गयीं वहां प्रबंधन को मजीठिया देना ही पड़ा है। ताजा मामला दैनिक नवज्योति का है। नवज्योति की यूनियन ने सरकारी विज्ञापनों के डंडे से वेजबोर्ड लेने का सफल प्रयोग किया है।

यूनियन के ज्ञापन पर कार्यवाही करते हुए मंत्री के आदेश पर डीएवीपी ने नवज्योति के सरकारी विज्ञापन रोक दिए थे। विज्ञापन रुकने से घबराए मैनेजमेंट को आनन फानन में वेज बोर्ड देकर यूनियन से इस बावत सेर्टिफिकेट लेना पड़ा कि मजीठिया दे दिया गया है।

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इसके पूर्व आईएफडब्ल्यूजे की राजस्थान यूनिट ने भी मुख्यमंत्री से मांग की थी कि मजीठिया लागू नहीं करने वाले दैनिक समाचार पत्रों के सरकारी विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाया जाए।

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।

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0 Comments

  1. seema sing

    June 30, 2014 at 12:12 pm

    mr.gulab kothari what are your intention

  2. amita

    June 30, 2014 at 8:59 pm

    Gulab ka to jail jane ka irada hai..

  3. Kashinath Matale

    July 10, 2014 at 9:36 am

    MAJITHI IMPLEMENT KIYA HAI. PARNTU KIS TARAH KIYA HAI. PROPER IMPLEMENTATIONO HUA HAI NAHI DEKHANA HAI. SALARY SLIP BHADAS4MEDIA.COM PAR POST KARE.
    THANKS.
    KASHINATH MATALE

  4. कुमार

    August 8, 2014 at 6:03 am

    लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
    यही अादेश सभी अखबार वालों पर सरकार लागु कर दे तो सारी समस्याएं दुर हो जायेगी।

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