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‘नईदुनिया’ प्रबंधन ने की श्रवण गर्ग से मुक्ति पाने की तैयारी, ब्यूरो दिए जाएंगे ठेके पर

‘नईदुनिया’ को लेकर इन दिनों दो ख़बरें मीडिया जगत में हैं। पहली ये कि ‘नईदुनिया’ के प्रधान संपादक श्रवण गर्ग से मुक्ति पाने की मैनेजमेंट ने पूरी तैयारी कर ली है। अपने अख्खड़, जिद्दी और बदमिज़ाज व्यवहार के लिए बदनाम श्रवण गर्ग को रोजमर्रा के कामकाज से किनारे कर दिया गया है। वे जल्द यहाँ से विदाई भी ले सकते हैं।

<p>'नईदुनिया' को लेकर इन दिनों दो ख़बरें मीडिया जगत में हैं। पहली ये कि 'नईदुनिया' के प्रधान संपादक श्रवण गर्ग से मुक्ति पाने की मैनेजमेंट ने पूरी तैयारी कर ली है। अपने अख्खड़, जिद्दी और बदमिज़ाज व्यवहार के लिए बदनाम श्रवण गर्ग को रोजमर्रा के कामकाज से किनारे कर दिया गया है। वे जल्द यहाँ से विदाई भी ले सकते हैं।</p>

‘नईदुनिया’ को लेकर इन दिनों दो ख़बरें मीडिया जगत में हैं। पहली ये कि ‘नईदुनिया’ के प्रधान संपादक श्रवण गर्ग से मुक्ति पाने की मैनेजमेंट ने पूरी तैयारी कर ली है। अपने अख्खड़, जिद्दी और बदमिज़ाज व्यवहार के लिए बदनाम श्रवण गर्ग को रोजमर्रा के कामकाज से किनारे कर दिया गया है। वे जल्द यहाँ से विदाई भी ले सकते हैं।

इन दिनों ‘नईदुनिया’ के संपादकीय फैसलों की जिम्मेदारी कानपुर से इंदौर आए विष्णु शास्त्री को सौंपी गई है। उन्होंने इंदौर और भोपाल समेत कई दफ्तरों में संपादकीय और प्रोडक्शन की मीटिंग भी ली है। उनके साथ जागरण ग्रुप के सर्कुलेशन हेड शैलेश गुप्ता भी हैं! किसी भी मीटिंग में श्रवण गर्ग को शामिल नहीं किया जा रहा है। स्वयं गर्ग ने भी खुद को संपादकीय कामकाज से अलग कर लिया है।

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दूसरी बड़ी खबर ये है कि ‘नईदुनिया’ के आप-कंट्री संस्करणों के ब्यूरो को अब ठेके पर देने का फैसला किया गया है। ब्यूरो को अब बिजनेस का टॉरगेट दिया जाएगा, उसे उन्हें पूरा करना होगा! वो इसके लिए क्या हथकंडे अपनाते हैं, इससे ‘नईदुनिया’ मैनेजमेंट का कोई लेना-देना नहीं होगा। अभी तक इंदौर के किसी बड़े अखबार ने इस तरह की रणनीति नहीं बनाई थी। ये पहला उदाहरण है, जब ‘नईदुनिया’ जैसे बड़े अखबार ने ब्यूरो को संपादक के नियंत्रण से मुक्त करने का फैसला किया है। (कानाफूसी)

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0 Comments

  1. romil

    September 19, 2014 at 3:44 am

    agar aisa hota hai to nai duniya ke sabhi karmchari sanjay gupta ko itni dua denge ki unka baki bacha jivan safal ho jayega. garg sanjay gupta ko jitna doka de raha hai uski kalpana nahi ki ja sakti, apne chamchon ko bhi usne isi kam me laga diya hai, sanjay gupta ko chahiye ki kanpur ke hi kisi admi ko nai duniya ka prabhar de taki asliyat samne aaye, aisa pata chala hai ki jagran chodne ya nikale jane par garg apne chamchon ashish vyas, sudhir gore, gangesh mishra ya kisi or ko dabaab dalkar nai duniya ka mukhiya banva sakta hai taki khunnas me isey barbad kar sake, shravan garg tujhe jitni gali di jaye kam hai, patrakarita ke nam par apne rang ki taraf tu bhi kala dhabba hai, pata nahi kitne log tere marne ki dua karte honge, ab to khud se hi chod de patrakarita,

  2. Kunal

    September 20, 2014 at 5:27 am

    ये कमीना श्रवण गर्ग बहुत भुगत-भुगत के सड़-सड़ के मरेगा। तब अपने पापों को याद करेगा लेकिन इसे मुक्ति नहीं मिलेगी । अर्थी को कांधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिल पाएंगे। काश इसे इसके घर वाले समझा सकें कि लोगों की बद्दुआ लेने की बजाए घर बैठ जाए तो अच्‍छा होगा।

  3. rajesh

    September 20, 2014 at 5:33 pm

    तुम नयी दुनिया वाले बहुत अज्ञानी और बहुत बदकिस्मती हो। दानव से मुक्ति पाये हो तो अब राक्षस के चंगुल में फँसने जा रहे हो। कहावत है, दूर के ढोल सुहावने होते हैं। हो सकता है कि ये श्रवण गर्ग बहुत बदमाश व्यक्ति हों, परन्तु तुम लोगों को संजय गुप्ता बहुत फरिश्ता समझ में आ रहा है, तुम लोगों की यह गलतफहमी दूर हो जाएगी। संजय गुप्ता सबसे बड़ा जल्लाद और इसका जागरण प्रकाशन लिमिटेड तो सबसे बड़ा नरक है। श्रवण गर्ग के समय तुम लोग नौकरी तो कर लिये, अब जागरण होल्ड देखना, तुम सब नौकरी छोड़-छोड़कर भागोगे।

  4. mridul sharma

    September 21, 2014 at 9:16 am

    श्रवण गर्ग का असली चेहरा, चरित्र और चाल तो अजय उमठ, राजकुमार केसवानी, निर्मल पाठक, अनिल जैन, अशोक वानखेडे, यशवंत व्यास, अभिलाष खांडेकर जैसे लोग अच्छी तरह बता सकते हैं, जो इसके साथ कभी न कभी काम कर चुके हैं। ये लोग बता सकते हैं कि श्रवण गर्ग कितना धूर्त, बेईमान, पाखंडी और गिरे हुए चरित्र का इंसान(?) है। अनिल जैन तो अभी भी नईदुनिया के दिल्ली ऑफिस में काम करते हुए श्रवण गर्ग की दुष्टता का शिकार हो रहे हैं। उन्हें नईदुनिया में लाया भी यही श्रवण गर्ग था। पहले तो उसने नईदुनिया के दिल्ली ऑफिस में सुरेश बाफना को निपटाने के लिए पहले तो अनिल जैन का इस्तेमाल किया और बाद में बाफना से सौदेबाजी कर अनिल जैन को परेशान करना शुरू कर दिया। उनको प्रताडित करने का सिलसिला अभी भी जारी है। श्रवण गर्ग ने कुछ वर्ष पूर्व भास्कर के दिल्ली संस्करण में कार्यरत हरिमोहन मिश्रा जैसे निहायत शरीफ व्यक्ति को भी अपने चमचे गंगेश मिश्रा के साथ मिलकर इस कदर प्
    रताडित किया था कि हरिमोहन को आफिस में ही दिल का दौरा पड गया था। ऐसे और भी कई लोग हैं जो श्रवण गर्ग की नीचता और कमीनेपन का शिकार हुए हैं।

  5. ravan garg

    September 21, 2014 at 11:15 am

    Bhaiyon ab time aa gaya hai is harami garg ki bidaai muh kaala kar aur jooton ki mala pahana kar ki jaaye. Kai logo ki nauari ye kha chooka hai. Kai ko badi kaminai se contract par rejoin karvaya hai.
    Iske chamchon Sudhir gore….Gangesh….Vinod purohit ko bhi ab khoob laat lagaao…. inhone cabin mai ghoos kar khoob kaam karne wale logo k khilaaf aag lagai… ab kahan jaayega beta garg…teri tho bich bazaar hum baja denge.

  6. reporter naidunia

    September 24, 2014 at 3:09 am

    are bhaeyo jara haramkohor JAIDEEP KARNIK , K.P.S. JADOUN and RITURAJ SINGH jaise dalalo ko hhi YAD kro aaj kha par hai . PURANE PAPI ,,HARAMKHOR ,CHAMCHE ,DALAL , BHAD KHauyo ki AOULAD . BHADAWE bhag gaye . SSALLO NE nak me DAM kr RAKHA tha PAISA kamane ke liye.. Grrrrrrrrr…………………….hooooooooooooooooo………………..teriiiiiiiiiiiiiiiiiiiii…………………..sallo kaha ho . 😆 😆 :zzz :zzz

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