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‘नैनीताल समाचार’ और राजीव लोचन साह के बिना उत्तराखंड की जागरूक पत्रकारिता की कल्पना नहीं की जा सकती

क्षेत्रीय पत्रकारिता का प्रतिमान ‘नैनीताल समाचार’

चार-पांच दिन से मैं भाई साहब की बरसी की वजह से गाँव में था. परसों पंकज बिष्ट जी का हैरानी भरा फोन आया कि क्या ‘नैनीताल समाचार’ बंद हो रहा है? मैं खुद भी इस खबर को सुन कर हैरान हुआ. नैनीताल लौटकर फेसबुक टटोला तो काफी बाद में महेश जोशी की खबर के साथ एक बहुत अशिष्ट भाषा में लिखी पोस्ट पर नजर पड़ी. मुझे लगता है, यह पोस्ट एकदम व्यक्तिगत दुराग्रहों के आधार पर लिखी गयी है, ठीक ही हुआ कि इसे व्यापक प्रचार नहीं मिला. जहाँ तक ‘नैनीताल समाचार’ और राजीव लोचन साह का प्रश्न है, आज के दिन इन दोनों के बिना नैनीताल ही नहीं, उत्तराखंड की जागरूक पत्रकारिता की कल्पना नहीं की जा सकती.

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क्षेत्रीय पत्रकारिता का प्रतिमान ‘नैनीताल समाचार’

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चार-पांच दिन से मैं भाई साहब की बरसी की वजह से गाँव में था. परसों पंकज बिष्ट जी का हैरानी भरा फोन आया कि क्या ‘नैनीताल समाचार’ बंद हो रहा है? मैं खुद भी इस खबर को सुन कर हैरान हुआ. नैनीताल लौटकर फेसबुक टटोला तो काफी बाद में महेश जोशी की खबर के साथ एक बहुत अशिष्ट भाषा में लिखी पोस्ट पर नजर पड़ी. मुझे लगता है, यह पोस्ट एकदम व्यक्तिगत दुराग्रहों के आधार पर लिखी गयी है, ठीक ही हुआ कि इसे व्यापक प्रचार नहीं मिला. जहाँ तक ‘नैनीताल समाचार’ और राजीव लोचन साह का प्रश्न है, आज के दिन इन दोनों के बिना नैनीताल ही नहीं, उत्तराखंड की जागरूक पत्रकारिता की कल्पना नहीं की जा सकती.

इसके शुरुआती दिनों से ही मैं राजीव को सताता रहा हूँ, बल्कि कहना चाहिए, उकसाता रहा हूँ. एक अंक तो इसका मैंने भी सम्पादित किया है. मुझे हमेशा लगता रहा है कि एक क्षेत्रीय अख़बार के रूप में ही नहीं, एक जागरूक पत्रकारिता के प्रतिमान के रूप में यह अख़बार हिंदी पत्रकारिता में याद किया जायेगा. (राजेन्द्र यादव का जब भी फोन आता था, वे ‘नैनीताल समाचार’ का जरूर जिक्र करते थे.) एक छोटी जगह से, जहाँ हर छोटी-सी बात को भी व्यक्तिगत आक्षेप के रूप में लिया जाता हो, इतना जिंदादिल और निष्पक्ष समाचार-पत्र निकाल ले जाना छोटी बात नहीं है.

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मुझे इस अख़बार की सबसे बड़ी बात यह लगती है कि इसके संपादक ने कभी भी इसे अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया. (अगर मैं गलत नहीं हूँ तो यह बात उन्होंने निश्चय ही शैलेश मटियानी से सीखी होगी) हाल के अंकों में संपादक के नाम से टिप्पणियां दिखाई देने लगी हैं, पहले तो वह अपनी बात छद्म नाम से या दूसरों के नाम से लिखा करते थे. यह इस अख़बार की निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता ही है कि किसी ज़माने में इस अख़बार को लोग शेखर पाठक और गिर्दा का अख़बार समझते थे. आज इन दोनों बड़ी प्रतिभाओं की जो राष्ट्रीय स्तर की पहचान बनी है, उसमें इस समाचार पत्र के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. नैनीताल के रहने वाले हम सब जानते हैं कि इस अख़बार के लिए किस तरह राजीव ने मांग-मांग कर पैसा एकत्र किया है. ऐसे व्यक्तित्व के लिए ओछी बातें शोभा नहीं देतीं, बल्कि ये खुद की ही संस्कारहीनता दर्शाती हैं.

बटरोही जी की फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. bhaskar joshi

    October 17, 2016 at 6:00 pm

    bhai saab , jaisa ki upar likhi bato se prayeet hota hai ki nanital samachar ko sab band karne pe tule hai., jo bilkul bhi sahi nahi hai.
    mai Nanital Samachar ke dwara aayojit ki ja rahi ya judi pratiyogita ka eak vijeta raha hu
    jaisa ki MANNIYA Trilochan Shah ji dawara nanital samachar ko aaj tak chala pana hum sab logo ke liye eak prerda hai. maine kahaa kaha tha unse aaj se 8☞saal pahle, aap is Samachar ko khali kumau ke liye kyo chapte hai ise apne,fayde ke liye kyo nahi chapte to unka ,ISWARI DUTT JOSHI JI ke roop mai kahna tha nahi hum,nanital samachar ka upyog fayde ke liye nahi kar,sakte.agar aapne fayde ki baat ko bhi socha hota to aaj nanital samachar ke liye ye baatin nahi kar pate log .
    mera ye kahna hai Nanital samachar se jude logo ko eak,manch pe lake hum NANITAL SAMACHAR ko or aaghe le,ja sakte hai .please aap in sab ko or ikhattha kijiye.

    Bhaskar joshi
    village,haroli near MAHESH DAA VILLAGE

  2. bhaskar joshi

    October 17, 2016 at 6:03 pm

    please call………………..9717716615

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