यशवंत भाई जी नमस्कार, गरीब पत्रकारों के दुख-दर्द में भागीदारी करने वाले आप धन्य हैं। पत्रकारिता में गरीब तबके के पत्रकारों का शोषण आज भी जारी है। नेशनल दुनिया में दर्जनों कर्मचारियों का वेतन अटका हुआ है। नेशनल दुनिया अखबार में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है। वैसे तो अखबार बंद होने की कगार पर है। अखबार में लंबे समय से काम कर रहे करीब डेढ़ दर्जन कर्मचारियों का वेतन अभी तक नहीं मिला है जिन्हें अभी तक कैश से सेलरी दी जाती थी। हालांकि मोटी पगार पाने वाले सभी लोगों की सैलरी मिल चुकी है। लेकिन कई गरीब कर्मचारियों की सैलरी अभी तक नहीं मिली है। इससे कर्मचारियों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है।
कई कर्मचारी बिना काम किए ही वेतन पा गए जबकि कई कर्मचारी काम करने के बाद भी वेतन पाने का इंतजार कर रहे हैं। मेरठ के संपादक सुभाष सिंह का स्थानांतरण जयपुर कर दिया गया है। सुभाष के पास कर्मचारी वेतन पाने के लिए लगातार फोन कर रहे हैं। लेकिन सुभाष सिंह किसी का फोन नहीं उठा रहे हैं। वैसे सूत्रों का कहना है कि अखबार का मालिक भदौरिया अब सुभाष सिंह की कोई बात नहीं सुन रहा है। वह मेरठ में अखबार के वरिष्ठ लोगों के सीधे संपर्क में है। गरीब कर्मचारियों के पेट पर लात मारने वाला और तनख्वाह को हजम करने वाला भदौरिया खानदान मार्केट में ज्यादा समय तक नहीं टिक सकेगा।
मेरठ से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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unknown
August 1, 2014 at 9:29 am
Funny but still intersting Mr. A P Singh…. 😆 & one more thing dont pray for us. pray for yourself. Thanks & Good bye
A.P Singh
July 27, 2014 at 4:16 pm
Addressed to : The unknown mediaperson from Meerut
Reading the above mentioned abstract I could get one thing that you bear a negative outlook . First of all – if you claim to be the part of such organization then you should not have leaked out out any news of insolvency or so in order to extract fun and criticize and mock the organisation for your failures.
Secondly- This being a very personal information in respect to the organisation you could have gone straight away to the higher officials of the concerned organization and make them aware of such injustice and discrimination going on (if so ) . This portrays a very unprofessional behavior towards your profession. National Duniya or any organisation like this runs like a family I guess. Henceforth the “Bhadauria Family” as you accuse them of taking away your money and questioning them about their future sustenance is really saddening.
If you think you are impeccable enough to worth that sum of money which you claim to be yours you should not have come up with such a cowardly behavior as this. If you do worth it , go up and fight for it why taking the help of public platform and ruining your organisation’s name?
I know each and every human has a right to put forth their statements being the freedom of expression the very fundamental right , but this right is subjected to utter misuse by the author. It suggests a complete unprofessional behavior I must say . Couldn’t you just like some prudent man dear author, could have considered that there would have been certain circumstances because of which you aren’t paid until now? There must have been some serious problem , but only if you were wise enough to understand this and could interpret it before getting such article published
May God save your soul!
P.S- I am not in anyway related to National Duniya or so. I am just another regular reader who couldn’t listen as to what shit the people of the very organisation came up with .
unknown
July 30, 2014 at 8:26 am
ए पी सिंह जी की बातें सुनकर अच्छा लगा और साथ ही यह भी पता चल गया कि वह किस तरह की मानसिकता रखते हैं. जो मालिक अपने कर्मचारियों का वेतन खा जाये उसे सम्मान किस तरह और क्यों कर दिया जाए. रही बात प्रोफेशनलिज़्म की तो भूखा पेट प्रोफेशनलिज़्म नहीं जानता और अगर प्रोफेशनलिज़्म की पट्टी पढानी ही है तो यह सबक मालिक वर्ग क्यों नहीं समझते. मैं समझती हूं ए पी सिंह जैसे लोग ही नेशनल दुनिया में बैठे हरामखोर समूहों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिन्हें सचमुच गरीब कर्मचारियों की तनिक चिंता नहीं. सिर्फ भदौरिया परिवार ही क्यों, मेरा मानना है कर्मचारियों को वेतन से दूर रखनेवाला और भदौरिया परिवार के सामने दुम हिलानेवाला प्रत्येक शख्स भर्त्सना के योग्य है. कहते हैं पाप करनेवाले के साथ उसके भागीदार भी पापी होते हैं और यह सभी सड सडकर मरेंगे. विशेष रूप से एडिटर बलदेव भाई शर्मा (इसे भाई क्यों कर कहा जाता है समझ नहीं आता), एडिटर का चमचा प्रेम प्रकाश, एच आर रश्मी शर्मा, एच आर संध्या सिंहा, अकाउंटंट हरप्रीत तथा अमरेंद्र.
A.P Singh
July 31, 2014 at 3:09 pm
I just wanted to say one thing , I would actually comment on the thing which has been pointed out for me. You have absolutely no right to compare me with a person reason being that you don’t have any idea as to what I do and what I am . So better part ways as to what I am.
My only motive behind commenting over this report was that am a regular reader and couldn’t hear anything against the organization. Moreover the issues are concerned with your organisation then why don’t you go and talk to them directly or take legal aid if you really want justice and care about your rights. But I shall say avoiding profession ethics is no excuse.
and still I would say why are you hiding ? Why you are not coming up with your identity
if you really want to support your cause?
Again I would pray God save your soul.
Plus I cant see the essence of journalism in you . Journalists are not what you act here to be. Journalism is something else which I firmly believe that you won’t ever be able to become. All the best, Improve, strive, Rise and shine.
Adios
Raah Chalte
July 31, 2014 at 8:54 am
यशवंत भाई ! नेशनल दुनिया के मालिक के पास पैसा होते हुए भी वो नहीं देना चाह रहा है मतलब साफ़ है की नीयत में कमीनापन है। फ़र्ज़ी अकाउंट खोलकर उसमे बिना पैसे के चेक पर चेक इशू करना अकाउंटेंट के और किसी फ़र्ज़ी शख्स के सिग्नेचर कर उसको बाउंस करवाना ये तो उसका पेशा है. मौज की बात तो ये की जब लोग अपने चार साथियो के वेतन मिलने की खुशी मिठाई बाटकर कर करते है तो मालकिन यानी मिसेस भदौरिया ये कह कर बिना लाज शर्म के उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया क़ि एस बी मीडिया से उनका कोई सरोकार नहीं।
A.P SINGH
August 1, 2014 at 10:15 am
The things which are of grave concern seem to be fun to the dimwits . Secondly , I need not pray for myself as I am sound and sane . I talk sense . I don’t blabber shit like loggerheads as you . Prayers are needed for an unsound cranium nothing else . Beat that Bro ! 😉
Learn philosophy and ethics of professionalism and then come and claim to have a right to stand up here and comment . Cyberspace encompasses right to put forth what is right and just or else it gives sanctions . Better stick onto the promulgation of decent message to society . Reason being you claim to be the fourth estate you have much strength to transpose shit to the nation’s top news . So better get some brain and preach the right thing , the right behaviour . Plus whatever author says I would like to know if that is in conformity with any evidence if available ? I would also like to question the media portal if it scrutinises the news they are being fed with from ‘n’ number of readers ? Are there any levels of scrutiny the news undergoes ge fore publishing ? If no then I wonder what wrong with today’s media . Alas ! I wonder how could you publish the news without any proof but a mere hearsay . The author stands without any identity . Today its him and tomorrow anyone like him might come up and blabber shit about anything and you would still publish ! Atrocious to the nth degree .
I have a right anyway to get the things informed . I am the reader I have the right to be rightly informed . But what if I get wrong information . What’s all this?