केंद्र सरकार को चाहिए कि वह नौकरी करने वालों की नौकरी सुरक्षित रखने के लिए नौकरी बीमा पॉलिसी बनाये। इसमें सरकार और नौकरी करने वालों दोनों को फायदा है।
इसमें सरकार या उसके द्वारा नियुक्त बीमा कंपनी को भारी धनराशि प्रीमियम के रूप में मिलेगी और जो नौकरी कर रहे हैं उन्हें भी नौकरी खोने के बाद परिवार का खर्च चलाने में आर्थिक मदद मिलेगी।
इसके लिए सरकार स्वाथ्य बीमा योजना की तर्ज पर हर महीने एक निर्धारित प्रीमियम राशि उन लोगों से ले जो कहीं भी निजी संस्थान में नौकरी कर रहे हैं। उसके बाद अगर प्रीमियम राशि देने वाले किसी भी व्यक्ति को उसके नियोक्ता नौकरी से निलंबित करते हैं तो निलंबन की अवधि तक उस व्यक्ति का जो अंतिम माह का वेतन होगा उसका 25 प्रतिशत हर महीने सरकार या उसके द्वारा नियुक्त बीमा कंपनी दे और अगर प्रीमियम देने वाले व्यक्ति को नियोक्ता टर्मिनेट करते हैं तो उस व्यक्ति को उसके अंतिम वेतन का पचास प्रतिशत या 75 प्रतिशत हर महीने सरकार या उसके द्वारा नियुक्त बीमा पॉलिसी कंपनी दे। पूरा वेतन हर महीने बीमा कंपनी ना दे। इसकी वजह ये है कि अगर पूरा वेतन बीमा कंपनी देगी तो नौकरी छोड़ने वालों की बाढ़ लग जायेगी। स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने पर बीमा कंपनी कोई धनराशि न दे।
साथ ही सभी राज्य और केंद्र सरकार एक काम और करे। एक नियम बनाये कि कोई भी नियोक्ता अगर किसी भी कर्मचारी को नौकरी पर रखता है तो उसकी नियुक्ति पत्र की एक प्रति नौकरी करने वाले, उसकी बीमा कंपनी, पीएफ ऑफिस और लेबर विभाग को जरूर दे।
आज होता ये है कि आज बड़ी बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र नहीं देती या उनसे साइन कराकर दोनों प्रति रख लेती हैं। अगर कर्मचारियों का नियुक्ति पत्र लेबर विभाग में या पीएफ ऑफिस में होगा तो कंपनियां कर्मचारी को उसका नियुक्ति पत्र आराम से देंगी। अगर कोई कंपनी लेबर विभाग को बिना नियुक्ति पत्र भेजे किसी कर्मचारी की नियुक्ति करतीं हैं तो सरकार उस कंपनी पर भारी जुर्माना लगाए। साथ ही सभी कंपनियों के लिए स्टैंडिंग आर्डर बनाना अनिवार्य कर दे और उसकी एक प्रति लेबर विभाग तथा एक प्रति कर्मचारी को नियुक्ति के समय ही देना अनिवार्य हो।
आज ज्यादात्तर कंपनियां स्टैंडिंग आर्डर की जगह मॉडल स्टैंडिंग आर्डर का इस्तेमाल कर रही हैं। साथ ही श्रमिकों की भलाई के लिए सरकार एक नियम और बनाये कि जिन कंपनियों में 100 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं उन्हें आरटीआई के दायरे में लाएं।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
9322411335
Deepak kumar
August 30, 2020 at 10:57 am
शशिकांत भाई आपको पता होगा कि अधिकतर न्यूज़ चैनल और अखबार किसी रिपोर्टर को नौकरी से निकालते नही हैं बल्कि उनपर जबरन इस्तीफा देने का दबाव बनाकर इस्तीफा ले लिया जाता है। ऐसे में इस नियम से वो तो स्वेच्छिक हुआ और पीड़ित को कुछ नही मिलेगा।