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हिंदी दैनिक नवभारत के नयी मुंबई आफिस में मीडियाकर्मियों को हगना-मूतना मना है…

मामला पहुंचा पुलिस आयुक्त तक… महाराष्ट्र सहित मध्य प्रदेश के प्रमुख हिंदी दैनिक नवभारत से खबर आ रही है कि नवभारत के नयी मुम्बई स्थित कार्यालय में कर्मचारियों का जमकर शोषण किया जा रहा है। हालात ये हो गए हैं कि इस अखबार में पहली मंजिल पर बने एक मात्र शौचालय का इस्तेमाल करने से भी कर्मचारियों को रोक दिया गया है। उस शौचालय को नवभारत के डायरेक्टर के लिए रिजर्व कर कर्मचारियों को इसकी सूचना दे दी गयी है।

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मामला पहुंचा पुलिस आयुक्त तक… महाराष्ट्र सहित मध्य प्रदेश के प्रमुख हिंदी दैनिक नवभारत से खबर आ रही है कि नवभारत के नयी मुम्बई स्थित कार्यालय में कर्मचारियों का जमकर शोषण किया जा रहा है। हालात ये हो गए हैं कि इस अखबार में पहली मंजिल पर बने एक मात्र शौचालय का इस्तेमाल करने से भी कर्मचारियों को रोक दिया गया है। उस शौचालय को नवभारत के डायरेक्टर के लिए रिजर्व कर कर्मचारियों को इसकी सूचना दे दी गयी है।

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सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2005 में नवभारत का संपादकीय विभाग मुम्बई से नयी मुम्बई आया और तब से लगभग 12 साल हो गए, नवभारत के कर्मी इस शौचालय का इस्तेमाल कर रहे थे। मगर अब उसे डायरेक्टर के लिए रिजर्व कर दिया गया है। नवभारत प्रबन्धन पर ये भी आरोप है कि वह अपने कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं दे रहा है। वेतन मांगने पर बाहर निकालने की धमकी दी जा रही है। साथ ही यहां, कैंटीन सुविधा और चाय सुविधा तक नहीं है। कर्मचारियों के बाहर जाने पर भी रोक है।

नरक से बदतर जिंदगी जी रहे इन कर्मचारियों ने इस मामले की लिखित शिकायत पुलिस और तमाम सरकारी महकमों से की है। आपको बता दें कि यहाँ कई कर्मचारियों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की मांग सरकारी महकमों को पत्र लिखकर की है। आरोप तो यहाँ तक है कि नवभारत में छींकने पर भी रोक है। अगर किसी ने डायरेक्टर के सामने छींक दिया तो उसे जमकर डांट सुननी पड़ती है।

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पेश है नवभारत कर्मचारियों द्वारा पुलिस विभाग को लिखे गए पत्र का विवरण

दिनांक-14 अप्रैल, 2017
नवभारत भवन,
प्लाट नम्बर; 13,
सेक्टर-8, सानपाड़ा ((पूर्व),
नवी मुंबई, महाराष्ट्र

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सेवा में,
मा. पुलिस आयुक्त,
पुलिस आयुक्तालय,
नवी मुंबई

विषय-‘नवभारत’ के निदेशक (संचालन) श्री डी. बी. शर्मा द्वारा कर्मचारियों की मानसिक प्रताड़ना के सन्दर्भ में

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आदरणीय महोदय,
हम ‘नवभारत प्रेस लिमिटेड’ के कर्मचारी विगत कई वर्षों से श्री डी. बी. शर्मा (निदेशक-संचालन) से मानसिक रूप से लगातार प्रताड़ित किये जा रहे हैं। श्री शर्मा जी द्वारा कैंटीन, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित किये जाने के साथ-साथ कर्मचारियों को लगातार नौकरी से निकालने की धमकी भी दी जा रही है। इससे कई कर्मचारी गहरे अवसाद की स्थिति में पहुँच गए हैं।

महोदय, हालात अब बेहद संवेदनशील हो गए हैं। निदेशक महोदय अब तो अपने प्रबन्ध सहयोगियों के मार्फत कर्मचारियों को शारीरिक रूप से ‘ठीक’ करने की धमकी भी देने लगे हैं। अखबारी कार्यालय में कंपनी के सर्वोच्च पदस्थ अधिकारी का यह व्यवहार चौंकाता है। विगत कुछ दिनों से निदेशक महोदय द्वारा कंपनी के भीतर हिंसक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसका बेहद अफ़सोस है और किसी अनहोनी की आशंका भी है। अतः आज हम यह शिकायत करने मजबूर हुए हैं।

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हम आपका ध्यान निम्न मुद्दों की ओर आकृष्ट कराना चाहते हैं-

1. प्रथम मजले पर स्थित एकमात्र शौचालय को निदेशक महोदय ने एक दिन अचानक ‘ओनली फॉर डायरेक्टर’ की तख्ती लगवा कर ताला लगवा दिया।

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2. कर्मचारियों के लिए कोई कैंटीन की व्यवस्था नहीं है और चाय/नाश्ते के लिए बाहर जाने पर भी पाबंदी लगा दी गयी है।

3. इतना ही नहीं, दवाई जैसी आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी के लिए बाहर जाने की इजाज़त तक नहीं दी जाती।

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4. कर्मचारियों के बुनियादी अधिकारों का हनन करते हुए न उनके नाश्ते का समय तय किया गया है और न ही भोजन का।

5. अर्थात, एक बार कंपनी में प्रवेश किया तो आप आवश्यक कार्य के लिए 10-15 मिनट भी बाहर नहीं जा सकते। दफ्तर को एक किस्म के क़ैदख़ाने में ही तब्दील कर दिया गया है।

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6. इसके अलावा छुट्टियाँ मांगने पर धमकाना और लाख अनुनय-विनय के बाद बमुश्किल कुछेक दिनों की अपर्याप्त छुट्टी देना।

7. समय पर तनख्वाह न देना और इस बाबत पूछने पर नौकरी से निकालने की धमकी देना।

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8. कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के लिए उनके विभाग बदल देना।

9. कर्मचारियों पर निजी काम के लिए दवाब डालना।

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हद्द तो यह है कि-

10. ग़र कभी किसी कर्मचारी ने छींक भी दिया, तो उसे निदेशक महोदय सरेआम बेइज़्ज़त करते हैं कि क्यों छींका।

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इस तरह की कई घटनाएं हैं, जिसके चलते कर्मचारी मानसिक रूप से बुरी तरह प्रताड़ित हैं और अब निदेशक महोदय द्वारा बनाये जा रहे हिंसक माहौल से स्थिति तनावपूर्ण भी हो गयी है। ऐसी स्थिति में किसी अनहोनी की आशंका है। अगर इस तरह के हिंसक माहौल में कोई वारदात होती है, तो उसके लिए निदेशक (संचालन) श्री डी. बी. शर्मा जी एवं प्रबंधन ज़िम्मेदार होगा।

महोदय, प्रताड़नाओं को लंबे समय से झेलते कर्मचारी अब आपकी शरण में हैं आपसे न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

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धन्यवाद!

प्रतिलिपि-

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1. मा. मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र सरकार
2. मा. श्रम मंत्री , महाराष्ट्र सरकार
3. मा. कामगार आयुक्त, वागले इस्टेट, ठाणे
4. मा. आयुक्त, मानवाधिकार आयोग, महाराष्ट्र राज्य
5. मा. उपायुक्त, वाशी पुलिस स्टेशन, नवी मुंबई
6. मा. अध्यक्ष, बृहन्मुंबई यूनियन ऑफ़ जॉर्नलिस्ट, डी. एन. रोड, मुम्बई
7. मा. अध्यक्ष, महाराष्ट्र मीडिया एम्प्लॉयस यूनियन, डी. एन. रोड, मुम्बई

(कर्मचारी नाम व हस्ताक्षर संलग्न)

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शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
9322411335

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0 Comments

  1. Shrikant

    April 19, 2017 at 5:29 am

    इस दफ्तर में काम करने वाले मनुष्य ही हैं या किसी और प्रजाति के लोग? जूता-चप्पल कुछ तो पहनते होंगे। सुंघा दें डायरेक्टर को। सारी मिर्गी एक बार में ही ठीक हो जायेगी। ऐसे हीं-हीं करने से क्या होगा? पुलिस जाए हर दिन शौचालय खुलवाने?

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