नवीन कुमार
मैं आप सभी से उम्मीद करता हूं की आप मेरे साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ अपनी बात जरूर रखेंगे जिसकी मुझे सबसे ज्यादा ज़रुरत है। पहले मैं आप को अपना परिचय दे दूं। मैं दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में अपने परिवार के साथ पिछले 25 वर्षों से रह रहा हूं और मैं आत्मसम्मान के साथ जीने को प्राथमिकता देता हूं। बेहद गरीबी के हालात में मेरे माँ-बाप ने मुझे पढ़ाया है। माली हालात ख़राब होने के कारण हमारा एक छोटा सा 50 गज का टूटा-फूटा घर भी बिक गया था। जिसके बाद हम लोग, पिछले 8 साल से किराये के घर में रह रहे थे। किराये के घर में ही मेरी और मेरी छोटी बहन की शादी हुई थी। मेरी 3 साल की एक बेटी है और वर्तमान में हम एक बेहद क्लोज़ रिश्तेदार के घर में रह रहे हैं।
मैंने दिल्ली विश्वविधालय के देव नगर खालसा कालेज से हिंदी पत्रकारिता में डिग्री ली है। इससे पहले मैंने वर्ष 2000 में सैनिटरी इंस्पेक्टर का कोर्स किया था, जिसमें मैंने प्रथम दर्जा हासिल किया था। लेकिन सरकारी नौकरी नहीं मिली। वर्ष 2005 के बाद मैंने कई जगह पत्रकारिता की जॉब के लिए पुरज़ोर कोशिश की। काफी मशक्कत के बाद मुझे 18 अप्रैल 2008 को ndtv के साथ स्ट्रिंगर के रूप में जुड़ने का अवसर मिला। इससे मुझे एक नयी पहचान मिली जिसे पाकर मैं बहुत खुश था।
अब आप आगे का मेरा दर्द सुनिए जो मुझे बिलकुल बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
अभी कुछ समय पहले जहां हम किराये पर रह रहे थे वहीं पास में एक श्री गोदारा नाम का एक डीलर रहता है जो घरों की खरीद फरोख्त करता है। उसने मेरे एक जानकार के पैसे हड़प लिए। मैंने श्री गोदारा डीलर को कहा की इसके पैसे दे दो। डीलर पैसे देने में आनाकानी करने लगा और जब मैंने दोबारा डीलर को पैसे देने की बात कही तो उसने मुझे मेरे पुराने मो. नं. 9818003526 पर मारने की धमकी दी। मैंने इसकी शिकायत नजफगढ़ थाने में की। बाद में मैंने मामले को क़ानूनी तवज्जो न देकर इंसानियत के नाते खत्म कर दिया।
उसी दिन दोपहर में डीलर श्री गोदारा ने ndtv के ऑफिस में झूठी कॉल कर जानकारी दी की नवीन कुमार ने मेरा स्टिंग आपरेशन कर लिया और मुझे ब्लैकमेल कर 6 लाख रूपए की मांग कर रहा है। लेकिन सवाल यहां दो हैं। पहली बात मैंने कोई स्टिंग ऑपरेशन किया ही नहीं। दूसरा कि स्टिंग ऑपरेशन किस चीज को लेकर हुआ? इसका मतलब डीलर गलत है तभी उसके दिमाग में स्टिंग ऑपरेशन का ख्याल आया। सवाल ये भी कि यदि डीलर सही था तो उसने पुलिस को सबूतो के साथ इसकी जानकारी क्यों नहीं दी।
इसी बात की सच्चाई जानने के लिए ndtv से नवम्बर 2012 में मुकेश सिंह सेंगर को भेजा गया। जिसके बाद ये रिपोर्टर डीलर गोदारा से मिला। डीलर ने मुकेश को भी स्टिंग ऑपरेशन की मनगढंत कहानी बताई लेकिन रिपोर्टर मुकेश डीलर से इस सवाल की जानकारी नहीं ले पाया की स्टिंग हुआ भी था या नहीं। अगर हुआ था तो इसका क्या सबूत हैं। इसके बाद रिपोर्टर मुकेश ने मुझसे संपर्क किया। मैं अपनी मौसी के घर गोपाल नगर था। मुकेश और कैमरामैन मुझसे मिलने आये। मैंने उनको मौसी के घर अंदर बैठा लिया करीब 5 मिनट बाद मुकेश ने मुझसे कहा कि नवीन मुझे तुमसे कुछ पूछना है।
मैंने कहा पूछो, मुकेश ने कहा कि बाहर चलो। हम घर के बाहर आ गए। शांत एरिया में मुकेश ने पूछा की किसी डीलर गोदारा को जानते हो। मैंने कहा, हां जानता हुं। रिपोर्टर मुकेश ने कहा की वो तुम्हारी शिकायत कर रहा है। मैंने पूछा कि क्या कह रहा है। मुकेश ने कहा कि तुम्हे सब पता है। मैंने पूछा कि क्या पता है, मुकेश ने कहा की तुम उससे पैसे मांग रहे हो तुमने उसका स्टिंग किया है। मैंने कहा, आपसे गोदारा झूठ बोल रहा मैंने कोई स्टिंग नहीं किया है। लेकिन मुकेश सिंह सेंगर मुझ पर दबाव बनाने लगा और कहने लगा कि वो स्टिंग मुझे दे दो। फिर भी मैंने कहा गोदारा आप को गलत जानकारी दे रहा है, लेकिन मुकेश मुझसे बदतमीजी पर उतर आया।
मेरे और मुकेश के बीच कहासुनी हो गयी और फिर मुकेश वहां से चला गया। मुकेश ने फोन करके ndtv के दूसरे रिपोर्टर आशीष भार्गव को बुला लिया और निवर्तमान डीसीपी अनिल कुमार ओझा तथा एसीपी नजफगढ़ नारायण मीणा को मेरे बारे में बढ़ा चढ़ा कर जानकारी दी। कुछ ही मिनटों के बाद ही मुकेश सिंह सेंगर नजफगढ़ पुलिस स्टेशन से पुलिस को लेकर आ गया। और पुलिस मुझे नजफगढ़ ले गयी। वहां से कुछ देर के बाद मुझे बाबा हरिदास पुलिस स्टेशन लेकर गयी।
बाबा हरिदास नगर पुलिस ने मुझ पर आर्म्स एक्ट की धारा 25 (54), 27, 59 और आईपीसी की धारा 323, 365, 506 के तहत एफआईआर (मु.अ.सं. 229/12) दर्ज की। वहां मेरा मोबाइल nokia c-2 कांटेक्ट नंबर 9818003526 छीन लिया गया। उस समय मौजूद sho राजबीर सिंह लाम्बा ने मेरी मौसी और मामी के साथ बदतमीजी की। इस सबके बाद मुझे हाथो में हथकड़ी लगाई गई। फिर इस केस के इंवेस्टिगेशन ऑफिसर पुरुषोत्तम ने मुझे पुलिस स्टेशन में मौजूद पेड़ से बाँध कर पीटा। इसके बाद इसके बाद मुझे राव तुलाराम हॉस्पीटल लेकर गए।
वहां मौजूद डॉक्टरों ने मुझे दर्द निवारक इंजेक्शन इसलिए लगाये कि मुझे दर्द न हो और मुझे नींद के इंजेक्शन भी लगाये। इसके बाद मुझे नजफगढ़ के लॉकअप में बंद कर दिया। अगले दिन भी जब मुझे द्वारका कोर्ट में पेश किया तो भी नींद के हैवी डोज के इंजेक्शन लगाये। ज़मानत अर्जी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने मुझे परमानेंट जमानत दे दी। उससे बाद से आज तक मुझे पुलिस की तरफ से और ना ही कोर्ट की तरफ कोई समन मिला है।
इस बीच सबसे बड़ी सजा मेरे लिए यही है की इस आरोप के लगने के बाद से दो दिन बाद मुझे जमानत तो जरूर मिल गयी लेकिन मै डिप्रेशन से ग्रस्त हो गया। हर एक दिन घर पर रह कर सजा की तरह काट रहा हूं। फिलहाल कुछ काम नहीं कर रहा हु मानो जिंदगी मेरे लिए एक बोझ हो गयी है। मुझे सबसे बड़ी शिकायत मुकेश सिंह सेंगर और आशीष भार्गव है से है, जो इस बात की तह तक जाने के बजाय झूठे आरोपों को लगाकर अपने को बड़ा मान रहे हैं। इस बात के लिए मुकेश और आशीष दोनों इस मनगढंत कहानी के कसूरवार हैं।
नवीन कुमार
म. नं. 273, धर्मपुरा फेज-I,
नियर डबास मेडिकल स्टोर,
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ईमेलः [email protected]
मुकेश कुमार सेंगर ने भड़ास के साथ बात करते हुए नवीन के आरोपों को झूठा और निराधार बताया। उन्होने कहा कि गोदारा द्वारा लगाए गए स्टिंग के आरोप के संबंध में जब वे नवीन से मिलने गए तो बातचीत के दौरान नवीन ने उनके साथ कहासुनी और मारपीट की थी। इसलिए नवीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ करवाई गई थी।
अगर नवीन द्वारा लिखित इस मामले में संबंधित पक्षों को कुछ और कहना है तो नीचे कमेंट बाक्स के जरिए अपनी बात रख सकते हैं या फिर [email protected] के जरिए मेल भेज सकते हैं।
susheel triapathi
August 17, 2014 at 12:54 pm
jaise apne bat btaye iske hesab se apke sath bahut galat hua hai ap apna atm viswas mat koiyega apne mitro ke sath aur godra ka o bura hal karna ke ki kabhi dusro ke sath aisa na kar sake jai hind
IMRAN HUSSAIN
August 19, 2014 at 9:10 am
मित्र नवीन जी आपके साथ जो बहुत गलत हुआ है। इसकी सजा उस गोदारा को तो मिलना ही चाहिए। साथ ही उन दोनों पत्रकार मुकेश सेंगर और आशीष भार्गव को भी मिलना चाहिए।