Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

हिदी न्यूज चैनलों में बस रवीश और एनडीटीवी ही उम्मीद हैं!

Naveen Sinha : रविश का चुनाव के समय बिहार जाना और बिहार को नए नजरिये से देखना। ndtv‬ पर रविश का ‘ये जो बिहार है’ एक बार पुनः उनको अलग कर रहा है भीड़ से। बिहार की लडकियों की साइकिल शक्ति को एक नए रूप में आज दुनिया को रविश ने दिखाया। कार्यक्रम के बीच एक जगह उन्होंने अंग्रेजी की बड़ी जोरदार वकालत की जो एक बिहारी के रूप में शायद उनके भी संघर्ष के दिनों का दर्द रहा होगा।

Naveen Sinha : रविश का चुनाव के समय बिहार जाना और बिहार को नए नजरिये से देखना। ndtv‬ पर रविश का ‘ये जो बिहार है’ एक बार पुनः उनको अलग कर रहा है भीड़ से। बिहार की लडकियों की साइकिल शक्ति को एक नए रूप में आज दुनिया को रविश ने दिखाया। कार्यक्रम के बीच एक जगह उन्होंने अंग्रेजी की बड़ी जोरदार वकालत की जो एक बिहारी के रूप में शायद उनके भी संघर्ष के दिनों का दर्द रहा होगा।

टीवी पत्रकारिता आने के बाद समाचार के मायने ही बदल गए हैं। समाचार पत्रों के अन्दर समाचार के अलावा सामजिक मुद्दों पर लेखों का घोर अभाव होता है। मुझे याद है आज से एक दशक पहले तक ‘हिंदुस्तान’ में रविवासरीय में एक उम्दा मुद्दे को लिया जाता था। रोज की सम्पादकीय और उस पृष्ट पर आने वाले लेख बहुत मजबूत होते थे। इन्डिया टुडे के बहुत सामाजिक मुद्दे पर लेख होते थे जो अब नदारद रहते हैं। टीवी के दौर में सब कुछ अच्छा लगने लगा। पत्रकार खासकर हिंदी के अपनी खादी की कुरता वाली छवि से कोट पैंट पर आ गए और समाचार के नाम पर जान लेने वाली हरकत करने लगे। आज 8 बजे ibn7 पर इस दशक का सबसे बड़ा न्यूज़ दिखाने का दावा किया गया और दिखाया क्या गया, एक मामूली इंटरव्यू। पाकिस्तान के पूर्ब विदेश मंत्री का। पूरा समाचार खासकर हिंदी मीडिया बहुत बड़े प्रश्न चिन्ह के साथ खड़ी है। क्या वो वही दिखा, सुना या पढ़वा रहे हैं जो आम आदमी या एक नागरिक चाहता है? या जबरदस्ती आम को खास का खुराक दिया जा रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पूरी की पूरी मीडिया लुटियन के 10 km के दायरे में आके सिमट गयी है। राष्ट्रीय का मतलब दिल्ली हो कर रह गया है। जब तक कोई किसान जंतर मंतर पर मरेगा नहीं मीडिया को महाराष्ट्र का किसान याद आएगा नहीं। करोलबाग में लड़की की हत्या सबको दिखती है, पूरे देश में लडकियों के बारे में किसी को कुछ नहीं पता। सारे न्यूज़ चैनल के मीडिया स्कूल खुल गए हैं और पत्रकारिता के नाम पर ये सब भी नॉएडा ग्रेटर नॉएडा के कॉलेज जैसे शिक्षित बेरोजगार पैदा कर रहे हैं।

पत्रकारिता पूरी तरह बिक चुकी है। बिहार के प्रभात खबर के हरिवंश जो नितीश की तारीफ करते थकते नहीं थे और नितीश उनको बिज्ञापन देते, आज वो राज्य सभा में हैं, नितीश की पार्टी के प्रवक्ता हैं, फिर भी संपादक हैं। पंजाब केसरी के लोग बीजेपी से सीधे जुड़े हैं। कई संपादक अपने अजेंडे को जबरदस्ती लागू करने लगते हैं। इसका उदाहरण है जब प्रभु चावला को इंडिया टुडे से भगाया गया और दिलीप मंडल को प्रभार दिया गया। उन्होंने अपनी दलित छवि चमकाने के चक्कर में उजुल फुजूल छापना शुरू किया। फिर एम जे अकबर आये और बीजेपी में चले गए। कभी हिंदी की सबसे अच्छी समाचार पत्रिका आज पता नहीं क्या छापती है। वही जाने।

Advertisement. Scroll to continue reading.

टीवी का तो पूरा ही बुरा हाल है। समाचार के नाम पर सिर्फ राजनीती। वो भी खुल के किसी दल विशेष के लिए। ndtv की जरूर तारीफ कुछ हद तक करनी होगी कि इसके एंकर और संवाददाता जरूर कुल मिला कर बाकी सबसे अच्छे हैं। इनके मालिक उनको जरूर उतना छूट देते हैं समाचार के लिए ताकि ये कुछ सही चीजें दिखा पायें। रविश जरूर आगे हैं अपने लोगो में लेकिन रविश के पीछे भी ndtv के कुछ और लोग जरूर हैं जो आने वाले वक्त में रविश बनने की काबिलियत रखते हैं। बीबीसी हिंदी एक समय में जान थी हिंदी बेल्ट की लेकिन उनके आंतरिक कारणों से अब वो सिर्फ दिखावा मात्र है। लोग अच्छे है उसमें लेकिन आम जन से ये बीबीसी संस्था दूर जा चुकी है।

फेसबुक पर सक्रिय नवीन सिन्हा के फेसबुक वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसे भी पढें>>

सलाम रवीश कुमार, बिहार के सामाजिक परिवर्तन की कहानी देश के सामने रखने के लिए

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. Sandeep

    October 14, 2015 at 5:15 am

    व्यक्तिवादी चाटुकारिता का घृणास्पद नमूना

  2. raza husain

    October 29, 2015 at 8:57 am

    mai ravish ka bhot bara fan hoo. voh chaplosi media mai bilkul alag khare hai. unki shaily, reporting sabse alag hai. kisano, mazdoro, garibo ki awaz uthate hai.

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement