निराला बिदेसिया-
रांची में रहनेवाले वरिष्ठ पत्रकार नवीन शर्मा भाई नहीं रहे. यह सुनकर ही मन धक्क से रह गया. सहसा विश्वास करने का कहीं से कोई कारण नहीं था. कुछ दिनों पहले ही उनसे लंबी बात हुई थी. उनके न रहने की सूचना मिलने के बाद ही उनसे जुड़ी स्मृतियां उभार ले रही हैं.
उनसे मुलाकात होने पर या फोन आने पर मिसरी की डली सी मिठी और विनम्र आवाज आती— निराला जी/ निराला भाई. ओह! कितने प्यार, कितने अपनापन, कितनी आत्मीयता से नाम भी लेते थे. कभी तेज आवाज नहीं. झल्लाहट नहीं. हड़बड़ी नहीं. अब ऐसे लोग कमते जा रहे हैं, जिनके बोलने में ही आत्मीयता, अपनापा का बोध उत्कर्ष पर पहुंच जाए. जिनसे अपना नाम सुनने के लिए भी आप कभी फोन मिला दें. नवीन भाई उन दुर्लभ लोगों में से एक थे.
फिल्मी गीतों के सफर पर उनकी नयी किताब आनेवाली थी, उसके पहले वे अक्सर फोन करते. फिल्मी गीतों से जुड़ा कोई नया किस्सा जुगाड़ते, तो सुनाते. बच्चों की तरह उत्साह दिखाते हुए.जब वह फिल्मी गीतों के सफरनामे पर किताब लिख रहे थे, तो एक बार उनको कहा कि फलां—फलां की किताब पढ़ी आपने? वह कहते, नहीं पढ़ते हैं डर से कि फिर कॉपी करने लग जाएंगे, इसलिए चाहते हैं कि पहले हम जितना अपने स्तर से, हिंदी की लोकप्रिय किताबों के अलावा दूसरे स्रोतों से सामग्री जुटा सकते हैं, जुटा लें, तब देखेंगे. उनकी याद हमेशा आती रहेगी.
एक-एक कर, कम उम्र में ही दुनिया से विदा हो रहे दोस्तों को देखने के बाद मन और विनम्र होते जाता है. पिछले तीन सालों में करीब दर्जन भर ऐसे लोगों को खोने का अनुभव रहा, जिनके अभी जाने के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता था. असामयिक किसी दोस्त, करीबी, परिजन का जाना मन में गहरा दुख छोड़ता है. सबक भी देता है. अलविदा नवीन भाई. आपकी विनम्रता, सहजता, सरलता के हम कायल थे और हमेशा मुरीद रहेंगे.
झारखंड श्रमजीवी पत्रकार यूनियन
May 28, 2022 at 3:55 pm
विनम्र श्रद्धांजलि